
कुसुम प्लान्ट हादसाः थानेदार की तो चल निकली…मालिक बचा..मैनेजर बना बलि का बकरा..डॉक्टर का भी बड़ा खेल..प्रशासन ने दर्ज नहीं कराया FIR
दबाव में बिना कारण बताए और लाश देखे...दूसरे दिन डॉक्टर ने किया मृतकों को रेफर
बिलासपुर—चार दिन पहले मुंगेली जिला के रामबोड़ स्थित कुसुूम प्लान्ट हादसा का जख्म अभी भरा नहीं है। फैक्ट्री का काम भी चालू हो गया है। बताया जा रहा है कि घटना वाले यूनिट को ही बन्द किया गया है। इस समय थानेदार थाना छोड़कर प्लान्ट को ही दरबार बना लिया है। कारण जांच होना बताया जा रहा है। प्लान्ट कर्मचारियों ने बताया कि इस देश में गरीबों के लिए न्याय की बात करना गलत है। जिला और पुलिस प्रशासन ने ठेका कर मालिक को बचा लिया है। प्लान्ट मैनेजर को बलि का बकरा बना दिया गया है। गैर इरतान हत्या मामले को पुलिस ने सामान्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है। जिला प्रशासन को मालिक से इतना प्रेम है कि आज तक मालिक के खिलाफ अपराध भी दर्ज नहीं कराया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब प्रशासन ही मालिकों को बचाना चाहता है तो फिर गरीबों की सुनवाई कहां हैं।
थानेदार की चल गयी
हादसा गुरूवार दोपहर एक बजे हुआ। प्लान्ट में सायलो के गिरने से चार मजदूरों की मौत हो गयी। घटना के चन्द घंटे बाद दगोरी निवासी मृतक मनोज घृतलहरे को मलवा से निकाला गया। करीब चालिस घण्टे की रेस्क्यू के बाद तीन अन्य मृतक सब इंजीनियर प्रकाश यादव, जयंत साहू और अखिलेश को शनिवार की सुबह करीब चार बजे निकालकर सीधे सिम्स में भर्ती कराया गया। दूसरे दिन उप मुख्यमंत्री अरूण साव के बयान के बाद कलेक्टर ने बिन्दु निर्धारित कर जांच का आदेश दिया। साथ ही फैक्ट्री को सील करने का भी आदेश दिया।
कलेक्टर आदेश के बाद फैक्ट्री को सील किया गया। बावजूद इसके फैक्ट्री आज भी संचालित है। सरगांव थानेदार ने घटना के बाद फैक्ट्री को ही थाना बना दिया है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि थानेदार की निगरानी में ही फैक्ट्री चलने लगी है। इसके साथ ही थानेदार की भी चल पड़ी है।कुसुम प्लान्ट से जानकारी मिली कि थानेदार का स्पष्ट आदेश है कि पत्रकारों को किसी भी सूरत में फैक्ट्री के अन्दर प्रवेश नहीं दिया जाए। पूछे जाने पर बताया जाए कि जांच चल रही है।
FIR का दिखावा..प्रशासन कब करेगा दर्ज
घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के वकील ने सुदीप श्रीवास्तव ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि फैक्ट्री मालिक सतीश अग्रवाल,आदित्व अग्रवाल,विशाल अग्रवाल समेत अन्य डायरेक्टर के खिलाफ गैर इरातन हत्या के तहत अपराध दर्ज होना चाहिए। घटना में प्रशासन की तरफ से अपराध किया जाना जरूरी है। मजेदार बात है कि प्रशासन की तरफ से अभी तक मामले में किसी के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया गया है। पहले दिन बरामद मृतक के पिता की शिकायत पर काफी जद्दोजहद के बाद अपराध तो दर्ज हुआ। लेकिन धाराएं बहुत ही कमजोर हैं। कानून के जानकारों ने बताया कि सब कुछ पुलिस ,प्रशासन और मालिकों की मिलीभगत से धाराओं को कमजोर किया गया है। इन धाराओं के तहत अपराधी मालिकों को थाना से मुचलका पर छोड़ा जा सकता है।
रिफर लेटर में झोलझाल
हादसा गुरूवार की दोपहर एक बजे हुआ। पहले दिन ही एक शव को बरामद कर सीधे जिला अस्पताल भेजा गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के हवाले किया गया । करीब चालिस घण्टे की रेस्क्यू के बाद तीन शव को शुक्रवार देर रात्रि के बाद यानि शनिवार की सुबह करीब चार बजे सिम्स लाया गया। दूसरे दिन यानि 10 जनवरी को परिजनों ने सिम्स में जमकर हंगामा किया। एक करोड़ मुआवजा के साथ सरकारी नौकरी की मांग की। इस दौरान सिम्स प्रबंधन पूरे दिन पोस्टमार्टम की अनुमति का इंतजार किया। 11 जनवरी को सिम्स प्रबंधन ने बताया कि लाश सड़ने लगी है। बदबू आ रही है..जब तक पुलिस कप्तान का आदेश नहीं होगा..हम पोस्टमार्टम नहीं करेंगे।
सरगांव डॉक्टर का खेल
कलम बचाते हुए मुंगेली पुलिस प्रशासन ने सरगांव डाक्टर से सम्पर्क किया। सरगांव डाक्टर ने रिफर पत्र 11 जनवरी को जारी किया। शव में रिफर के कारणों को नहीं बताया। इतना बताने का प्रयास जरूर किया कि तीन मृत शरीर को 11 जनवरी को सरगांव से सिम्स के लिए रिफर किया जाता है। मतलब डाक्टर ने जानबूझकर पुलिस और प्रशासन के दबाव में बताया कि शव 11 जनवरी को लाया गया है। जबकि शव को शनिवार की सुबह घटना स्थल से सरगांव अस्पताल लाने की वजाय सिम्स लाया गया।
सरगांव डाक्टर ज्योति टोप्पो ने बताया कि मृतक के शरीर को सीधे सिम्स में भर्ती किया। 11 जनवरी को दोपहर बाद थानेदार ने एक लेटर लाया। लेटर के आधार पर मैने रिफर लेटर जारी किया है। जबकि शनिवार को ड्यूटी पर डॉ.बंजारे थे। हमें कहा गया इसलिए रिफर लेटर जारी किया है।
मैनेजर को बनाया बलि का बकरा
मैनेजर मूलत राइस मिल संचालक है। मालिक ने तीन महीने पहले ही कुसुम प्लान्ट शुरू किया। मुख्तयारनामा में फैक्ट्री संचालक की जिम्मेदारी मैनजर अमित केडिया को दिया गया है। घटना के बाद मौत का सारा ठिकरा मालिकों ने अपने को बचाते हुए अमित केडिया के सिर पर फोड़ा। पुलिस ने भी फैक्ट्री मालिक सतीश अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल विशाल अग्रवाल समेत पांच लोगों को एफआईआर में अन्य साबित कर दिया। इसके अलावा अमित केडिया को भी बचाते हुए कमजोर धाराओं के तहत अपराध कायम किया। इसके अलावा प्रशासन ने अब तक अपनी तरफ से प्राथमिकी नहीं दर्ज कराकर फैक्ट्री को राहत देने का काम किया है। मतलब मालिकों पर कार्रवाई नहीं हुई तो कोई आश्चर्च की बात नहीं होगी।