
तो इसलिए किए संघर्ष…विधायकों को पूछा नहीं…कार्ड में केन्द्रीय मंत्री का नाम नहीं…केन्द्रीय विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह…शामिल होंगे महामहिम धनखड़
विधायकों और केन्द्रीय मंत्री का नाम आमंत्रण पत्र से गायब..छपा है सचिव का नाम
बिलासपुर—बिलासपुरिहा अक्सर बोलते ही रहते हैं कि हमने संघर्ष से जोन पाया…सीना चौड़ा कर .यह भी बोलते हैं कि हमने संघर्ष के बाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी हासिल किया। जब जब हमने संघर्ष किया..हमारी जीत हुई है। अलग बात है कि संघर्ष और परिणाम के बाद हमें भुला दिया जाता है। एक बार फिर ऐसा ही हुआ है। इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया है। 15 जनवरी को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ केन्द्रीय विश्वविद्यालय के 11 वें दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। बच्चों को सम्मानित करेंगे। राज्यपाल रमेन डेका अतिविशिष्ट अतिथि और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। लेकिन राज्य से एक मात्र केन्द्रीय मंत्री बिलासपुर सांसद को विश्वविद्यालय ने अतिथियों के बीच में स्थान नहीं दिया है। मतलब बिलासपुरिहा ठीक ही कहते हैं कि संघर्ष और परिणाम के बाद हमारी नियति सिर्फ उपेक्षा का दंश झेलना है। विश्वविद्यालय ने इस बार भी ऐसा ही किया है।
केन्द्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ को एक केन्द्रीय मंत्री मिला। बिलासपुर सांसद तोखन साहू को आवासन मंत्री की जिम्मेदारी मिली। घोषणा के बाद प्रदेश में जमकर जश्न का माहौल चला। खासकर बिलासपुरियों ने तोखन साहू के मंत्री बनने पर अलग अलग तरीके से खुशी जाहिर किया। लेकिन विश्वविद्यालय ने हर बार की तरह इस बार भी बिलासपुरियों की खुशी को पंचर कर दिया है।
15 जनवरी को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ केन्द्रीय विश्वविद्यालय के 11 वें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्यमंत्री शिरकत करेंगे। कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि प्रदेश के राज्यपाल रमेन डेका,विशिष्ट अतिथि प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय होंगे। इसके अलावा निमंत्रण पत्र में शिक्षा संस्कृति उत्थान राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी और एआईसीटीई अध्यक्ष टी जी सीतराम को विशिष्ट अतिथि बनाया है। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
निमंत्रण कार्ड सामने आने के बाद शहर में भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच एक बार फिर विश्वविद्यालय के गठन से स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अपमान को लेकर जमकर चर्चा है। चर्चा इस बात को लेकर है कि दीक्षांत समारोह में विधायक तो दूर प्रदेश से एक मात्र केन्द्रीय मंत्री तक को निमंत्रण कार्ड में स्थान नहीं दिया गया। कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया कि यदि यही कार्यक्रम रायपुर में होता तो मजाल है कि केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू का नाम कार्ड में नहीं होता। दरअसल बिलासपुर के साथ हमेशा अन्याय होता रहा है। इस बार यदि हो गया तो क्या आश्चर्य है।
सत्ता पक्ष के एक नेता ने बताया कि बिलासपुर पहले भी अपमानित होता रहा है…आने वाले समय में भी बिलासपुरिहों की स्थिति ऐसी ही रहेगी। इसके पहले की कुलपति अंजिला गुप्ता ने अपनी कार्यशैली से बिलासपुर और प्रदेश की संस्कृति को लेकर जब तब विरोधाभासी बयान दिया था। इतना ही नहीं उन्होने अपने एक बयान में बिलासपुर को पिछड़ा और आदिवासी संस्कृति वाला जिला बताया था। मामले को लेकर तत्कालीन समय जमकर विवाद भी हुआ। बाद में इस पर मिट्टी डाला गया। एक बार फिर केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बिलासपुर को अपमानित किया है।
विधायक को बुलाना तो दूर…प्रदेश से एक मात्र केन्द्रीय मंत्री को कार्ड में जगह नहीं दिया.. हां निमंत्रण कार्ड जरूर भेजा है। कार्ड को लेकर मंत्री पशोपेश में है। लेकिन बिलासपुरिहा पुूरी तरह से स्पष्ट हैं…कि हमें पहले भी अपमानित किया गया था…यदि इस बार कर दिया तो नया क्या है। लेकिन बिलासपुरिहा ने यह भी ठान लिया है कि विश्वविद्यालय की तरफ से अपमानित करने वाली संस्कृति को बदलना ही होगा। प्रदेश और जिले के एक मात्र केन्द्रीय मंत्री के अपमान अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा।