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पीड़िता ने बताया..चलती ट्रेन में हुई पहचान…दोनो ने किया नम्बर आदान-प्रदान…झांसा देकर धर्मजयगढ़ के जंगल में किया बलात्कार..याचिका खारिज

प्रमाण पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट से याचिका खारिज

बिलासपुर—ट्रेन में यात्रा के दौरान एक महिला की आरोपी मर्द से पहचान हुई। दोनों ने एक दूसरे से मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान किया। आरोपी ने एक दिन महिला को नौकरी दिलाने के लिए धरमजयगढ़ बुलाया। फिर जंगल में लेकर गया और  दुष्कर्म किया। महिला ने थाने में एफआईआर दर्ज कराया। लेकिन बावजूद इसके आरोपी को सत्र न्यायालय से हाईकोर्ट तक ने दोषमुक्त  कर दिया। क्या है मामला पढ़ें खबर
 नौकरी लगाने का दिया झांसा
 मामला कुछ इस तरह है….कोरबा निवासी पीड़िता ने सबसे पहले धरमजयगढ़ थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराया। पीड़िता ने बताया कि वह कोरबा में ब्यूटी पार्लर का काम करती है.। दिसम्बर 2012 के मई जून महीने में  ट्रेन से कलकत्ता से आते समय उसकी पहचान चलती ट्रेन मे आरोपी से हुई। दोनो ने एक दूसरे को मोबाइल नम्बर का आदान प्रदान किया। आरोपी ने बताया कि वह डीबी पावर में 10,000 रुपये की नौकरी लगवा देगा। इसके बाद दोनो घर आए..लेकिन कभी-कभी दोनो की बीच बातचीत होती रही।
जंगल में किया बलात्कार
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि 3 दिसम्बर 2012 को आरोपी ने फोन पर बताया कि नौकरी लग गयी है। और उसने इसके लिए धर्मजयगढ़ बुलाया। 7 दिसम्बर 2012 को धर्मजयगढ़ पहुंची ।आरोपी उसे होटल लेकर गया।  पीड़िता के अनुसार आरोपी ने डीबी पावर कंपनी दिखाने के बहाने मोटरसाइकिल से जंगल की ओर लेकर गया। जंगल में जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया। साथ ही धमकी दिया कि किसी को बताने पर जान से मार देगा।
जान से मारने की धमकी
 पीड़िता के अनुसार इसके बाद आरोपी धरमजयगढ़ बस स्टैंड तक पहुंचा। साथ ही याद दिलाया कि यद किसी को कुछ बताया तो वह जान से मार देगा। बावजदू इसके उसने टेलीफोन से रिश्तेदार .को घटनाक्रम की जानकारी दी। पीड़िता के बयान को गंभीरता से लेते हुए एफआईआर दर्ज किया गया। पुलिस ने पीड़िता का मुलायजा भी कराया। जांच-पड़ताल में आंतरिक या बाहरी चोट नहीं पाया गया।
बलात्कार की पुष्टि नहीं
  पुलिस ने आरोपी की मोटरसाइकिल और कपड़ा जब्त कर रासायनिक जांच के लिए एफएसएल को भेजा। लेकिन रिपोर्ट में किसी प्रकार की बलात्कार को पुष्टि करने वाली जानकारी नहीं मिली। रायगढ़ सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान गवाहों के प्रतिपरीक्षण किया गया। इस दौरान पीड़िता ने ना तो बस की टिकट दिया और ना ही होटल में रुकने की जानकारी को ही पुष्ट कर सकी।
सत्र न्यायालय के न्याय पर मुहर
सत्र न्यायालय ने पीड़िता और गवाहों के बयान में भिन्नता पाए जाने पर आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने आरोपी के दोषमुक्ति के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने तमाम न्यायदृष्टांत देते हुए पीड़िता की कहानी को  कानून में स्वीकार नहीं करने वाला बताया। और याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सत्र न्यायालय के आदेश पर मुहर लगाया है।
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