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शस्त्र पूजा का मतलब…साहस,संयम और संवेदना का सम्मान..शस्त्र पूजा के बाद बोले कप्तान..अधर्म के खिलाफ धर्म को बनाए अपना हथियार

पुलिस कप्तान ने विधि विधान से किया शस्त्र पूजा

बिलासपुर—सिविल लाइन स्थित शस्त्रागार में रखे गये आग्नेयास्त्र का पुलिस कप्तान रजनेश सिंह ने वैदिक मंत्रों के बीच विधि विधान से पूजा पाठ किया। परम्परागत तरीके से कप्तान ने सभी अस्त्र शस्त्र का तिलक किया। कार्यक्रम के दौरान पुलिस के आलाधिकारी विशेष रूप से मौजूद थे। पुलिस परिवार को शुभकामनाएं देते हुए रजनेश सिंह ने कहा कि शस्त्र पूजा हमारी सदियों पुरानी परम्परा है। लेकिन इस बात को भली भांति समझना होगा कि शास्त्रधारियों का स्वभाव हमेशा धीर गंभीर होता है। संयम, साहस और संरक्षण का दूसरा नाम शस्त्र पूजा है। 

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    हमेैशा की तरह दशहरा को सिविल लाइन स्थित शस्त्रागार में रखे शस्त्र की पुलिस कप्तान रजनेश सिंह ने विधि विधान से पूजा किया। वैदिक और सामरिक मंत्रों के बीच जल वायु और अग्नि की गवाही में रजनेश सिंह ने शस्त्र को तिलक लगाया। ईश्वार से साहस संयम और सौहार्ध्द का आशीर्वाद लिया। पूजा पाठ के दौरान विभाग के सभी आलाधिकारी मौजूद थे। सभी ने शस्त्र पूजा के बाद शास्त्र परम्परा के अनुसार नमन् किया।

 

पूजा पाठ के बाद पुलिस कप्तान ने पुलिस परिवार को दशहरा पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि सभी के सुख समृद्दि के लिए भगवान राम से आशीर्वाद की कामना करता हूं। कप्तान ने देश और समाज की अहर्निस सेवा की बात कही। रजनेश ने कहा कि हमें शस्त्रों के प्रति हमेशा सम्मान रखना होगा।

 

उन्होने दुहराया कि शस्त्र पूजा का मतलब शौर्य और साहस की पूजा से है। भगवान राम ने भी ऐसा किया। जबकि वह सर्वशक्तिमान थे। लेकिन उन्होने ऐसा कर मानव को संदेश दिया कि शस्त्र धारण करने वाला ना केवल बहादुर बल्कि साहस, संयम,संरक्षण और सौहार्द्ध का राजदूत भी होता है।  हमें अपने जीवन में इस संदेश को गांठ बांधकर रखना है।

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कप्तान ने कहा कि अधर्म का हर हाल में हश्र बुरा ही होता है। इसलिए हमें अपने धर्म का पूरे दिल से पालन करना है। रावण शक्तिशाली और जगत का सबसे बड़ा योद्धा था। लेकिन अधर्म के मार्ग पर चलकर वनवासी राम के हाथों पराजित हुआ। मतलब साफ है कि यदि आप धर्म के मार्ग पर है तो आपकों को कोई हरा नहीं सकता है। जीत निश्चित है। राम ने अपने पूरे जीवन में हमें और आपको यही संदेश दिया है।

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