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वेद की ऋचाओं से भारतीय सभ्यता…राज्यपाल आरिफ की भागवत के बयान पर मुहर…दिया..मुसलमानों की नागरिकता पर यह बयान
जिन्हें भारतीय सभ्यता पर विश्वास नहीं...वही लोग ऐसा कहते है
बिलासपुर—राज्यपाल आरिफ मोहम्मद आज बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में आयोजित कुल समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होने अपने व्याख्यान से भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर प्रकाश डाला। साथ ही संस्मरण को उपस्थित लोगों के साथ साझा किया। भारतीय संस्कृति और ज्ञान पर व्याख्यान भी दिया। पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दिया। मोहम्मद आरिफ ने सवाल जवाब के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर मुहर लगाते हुए उन्होने इंकार किया कि भारत का मुसलमान भारत में दोयम स्तर का नागरिक है। राज्यपाल ने बताया कि विविधता ही भारतीय संस्कृति की जड़ और विशेषता है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय कुल उत्सव समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने व्याख्यान माला में शिरकत किया। पत्रकारों के साथ संवाद किया। सवाल जवाब के दौरान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंठना बन्द किया जाय पर मुहर लगाया। उन्होने कहा कि मैने आज यहां जो बोला और आपने सुना उसे एक बार फिर दुहराता हूं। मैंने कहा है कि कि आदि शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद तक किसी ने ऐसी बातें नहीं की है कि यह मेरे मौलिक विचार हैं। मैं मानता हूं की भागवत ने जो भी बात कही हैं उसमें पूर्णतया भारतीय संस्कृति और भारतीय संस्कृति के आदर्श शामिल हैं। आगे की चीजों पर मैं राज्यपाल होने के नाते कुछ नही कह पाऊंगा।
क्या गंगा जमुना तहजीब बिगड़ रही है। आपका क्या जवाब होगा…। सवाल पर आरिफ मोहम्मद ने कहा कि गंगा जमुना तहजीब के बारे में मेरा मानना है..जिसे मैं हमेशा बोलता भी हूं…गंगा जमुना तहजीब से ऐसा लगता है जैसे.. इस देश मे वे लोग जो उस सिस्टम में विश्वास नहीं करते हैं…जो भारत मे पैदा नही हुए। जैसे सैमेटिक रिलीजन है। इससे यह प्रभाव जाता है कि उनके आने के बाद… यहां विविधता के लिए स्वीकार्यता पैदा हुई है। ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है।
राज्यपाल ने बताया कि ऋग्वेद की ऋचाओं से भारत की सभ्यता और संस्कृति की यात्रा शुरू हुई है। इस उद्घोषणा के साथ “एकम सत विप्रा बहुदा बदन्ति” । भारत हमेशा से ही विविधता को नैसर्गिक कानून मानता है। गंगा जमुनी तहजीब जब हम कहते हैं…तो ऐसा लगता है और ऐसा लिखा गया है… इसलिए मैं इस शब्द का प्रयोग कभी नहीं करता हूं। मैं मानता हूं कि भारतीय सभ्यता कहना ज्यादा सही है। भारतीय सभ्यता की आप बिना विविधता और स्वीकार्यता के कल्पना ही नहीं कर सकते हैं।
क्या भारत में मुसलमान अपने को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में देखने लगे हैं सवाल पर राज्यपाल आरिफ ने कहा कि मुझे लगता है कि यह वाक्य अपने आप मे बिलकुल सही नही हैं। हर किसी के विचार एक जैसे नहीं है। वे लोग भी हैं जो ईर्ष्या की भावना रखते हैं। और वे लोग भी हैं ऐसा नहीं मानते । इसलिए सबको एक जगह इकठ्ठा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।