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Education News: शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया नियम कायदे में उलझी ?

Education News: (मनीष जायसवाल) राज्य की शिक्षा व्यवस्था के स्तर को मजबूत करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा रिफॉर्म शिक्षको के युति युक्तिकरण की प्रक्रिया नियम कायदों में उलझी हुई है। अभी तक इसके नीति नियम जारी नही हुए है। इसलिए प्रक्रिया में शामिल होने वाले शिक्षक के साथ साथ उच्च अधिकारी भी तनाव में है ।

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Education News।शिक्षको के युति युक्तिकरण करने के नियम कायदों की एक जरा सी चूक मलतब मामला सीधे कोर्ट कचहरी तक उलझा ..! यह स्कूल शिक्षा के लिए अपनी साख का सवाल भी है। क्योंकि इस समय विभाग मुख्यमंत्री के पास है। इसलिए बड़ी सावधानी और बारीकी से पूरा मसौदा तैयार किए जाने की चर्चाएं है..!

इस युति युक्तिकरण की पूरी प्रक्रिया में ज्यादातर एलबी संवर्ग के सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता के अतिशेष और संलग्न शिक्षक शामिल होने वाले है..। मामला हाई प्रोफाईल होने के बाद भी इसमें खामियां अभी से दिखाई देने और सुनने को मिल रही है ..!

एक तरफ शिक्षा विभाग शिक्षको के तीनों संवर्ग के जिले से लेकर राज्य स्तर पर पदोन्नति की प्रकिया कर रहा है। जिससे बाद में स्थितियां जस की तस हो सकती है। यदि

युति युक्तिकरण पहले हुए तो संभवतः
विभाग सारी प्रक्रिया जिले के कलेक्टरों के माध्यम कराए जाने की तैयारी कर रहा है।

जानकार मानते है कि युति युक्तिकरण की प्रक्रिया की कमान जिला कलेक्टर को सौंपना शिक्षा संहिता के नियमो के विपरित हो सकता है। जिले के कलेक्टर केवल जिले की व्यवस्था के तहत जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से दी गई शिक्षको की संलग्न सूची की फाइल को अनुमोदित कर सकते है ..! शासन के आदेश पर युक्ति युक्तिकरण करने का अधिकार नियोक्ता को ही है। और नियोक्ता के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी, संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा और लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर होते है। फिर जिले के कलेक्टरो का क्या रोल होगा ..!

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चर्चा में यह बात निकल कर आती है कि शिक्षको के साथ कुछ स्कूलों का भी युक्ति युक्तकरण हो सकता है। जिसमे एक ही परिसर या अगल बगल चल रहे स्कूलों और इसमें बेहद निम्न दर्ज संख्या वाले स्कूलों को खत्म कर एक जगह मर्ज करने का निर्णय भी होना है। साथ ही एक ही जगह पर ट्राइबल और एजुकेशन के स्कूल पर भी निर्णय हो सकता है..।

विभाग के संज्ञान में है कि छठवीं से आठवीं तक के स्कूल सेटअप के अनुरूप दर्ज संख्या वाले मिडिल स्कूलों में अभी कई जगहों पर एक ही विषय के शिक्षक इकट्ठा हो गए है। खासकर बस्तर और सरगुजा में यह समस्या नई भर्ती की वजह से अधिक है।अब नई भर्ती वालो को विषय के आधार पर हटाया जा सकता है या नही …? इस पर भी संशय बना हुआ है। क्योंकि नई भर्ती पदोन्नति में विषय बाध्यता को लेकर राजपत्र में नियम बने हुए है वही इसे लेकर इस सरकार का विषय बाध्यता पर कोई निर्णय अभी नही हुआ है .! ये नीति नियम से जुड़े कैबिनेट स्तर के निर्णय के हो सकते है। और पिछली कैबिनेट की बैठक में नीति नियमो में बदलाव से जुड़ी ऐसी खबरे आई नही है।

शिक्षा सत्र का समय भी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आने वाले दिन स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बहुत खास है। माननीयों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास अभी से अतिशेष शिक्षक और इनके परिजन अपनी समस्या लेकर गाहे बगाहे मेल मुलाकात कर रहे है। इनका भी इस
युति युक्तिकरण प्रक्रिया के बाद कही न कही रोल रहेगा जैसा होता आया है। वही अब तय होगा कि सरकार की नीति सरकारी मिडिल स्कूल में “..हिंदी के शिक्षक से गणित और गणित के शिक्षक से संस्कृत की पढ़ाई..” जारी रखने की है या नहीं ..! खबरों में तो युति युक्तिकरण की प्रक्रिया की परीक्षा की घड़ी अब नजदीक बताई जा रही है। लेकिन धरातल पर समीकरण दूर दिखाई दे रहे है। जमीनी स्तर पर पकड़ और काम का अनुभव रखने वाले नीति नियम के जानकार और उच्च अधिकारियों को बीच योजनाओं की खामियों को बताते हुए अपनी बात रखने वाले कई शिक्षा अधिकारी बीते चार-पांच सालों से मंत्रालय और लोक शिक्षण संचालनालय से दूर है..! (जारी है….)

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