Chhattisgarh
सिस्टम ने किया शर्मसार..अति पिछड़ी जनजाति परिवार को एम्बूलेन्स चालक ने लूटा..गिड़गिड़ाते गरीब पण्डो को देना पड़ा किराया
आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में शर्मसार करने वाली घटना
रामानुजगंज…(पृथ्वी लाल केशरी)–जिले में आदिवासी पीड़़ित परिवार के साथ सरकारी सिस्टम की शर्मशार कर देने वाला सामने आया है। एक तरफ सरकार अति पिछड़ी जनजाति की प्रगति और विकास को लेकर लगातार योजनाएं तैयार कर रही है। अधिकारी दिन रात एक कर अति पिछड़ी जनजाति के बीच ना केवल पहुंच रहे हैं। बल्कि उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल करने को लेकर लगातार पसीना भी बहा रहे है। बावजूद इसके प्रदेश का बीमार सिस्टम अपनी घिनौनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सिस्टम ने एक बार फिर गर्दन झुकाने को मजबूर कर दिया है। पीड़ित पण्डो परिवार के सदस्यों ने संभागायुक्त शिकायत कर सरकारी एम्बुलेन्स ड्रायवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
क्या है मामला
मामला कुछ इस तरह का है। 21 नवम्बर 2024 को सड़क दुर्घटना मे ग्राम चुनापाथर निवासी अर्जुन पण्डो गंभीर रूप से घायल हो गया। आनन आनन फानन अर्जुन को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सलवाही में भर्ती किया गया। प्रारम्भिक उपचार के बाद डाक्टर ने अर्जुन पण्डो को बेहतर इलाज के लिए तत्काल अम्बिकापुर अस्पताल रिफर किया।
आनन फानन में घायल को मिशन हॉस्पिटल अम्बिकापुर में भर्ती किया। लेकिन उपचार के दौरान अर्जुन पण्डों की 22 नवम्बर की शाम 5 बजे मौत हो गयी। दूसरे दिन यानी 23 नवम्बर को अर्जुन पण्डो के शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी शव वाहन मुक्तांजति से पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया। पोस्टमार्टम के बाद अस्पताल ने शव को ना केवल पण्डो परिवार के हवाले किया। बल्कि निशुल्क सरकारी एम्बुलेन्स मुक्तांजति की व्यवस्था कर शव घर पहुंचाने का निर्देश भी दिया।
निशुल्क सरकारी वाहन का मांगा किराया
घर पहुंचने के बाद मुक्तांजलि एम्बुलेन्स चालक राहुल वर्मा ने पीड़ित परिजनों को शव सौपने से 1000 रूपया किराया भुगतान करने को कहा। किराया मांगे जाने पर परिजनों ने कहा कि एम्बुलेन्स की व्यवस्था निशुल्क है। इतना सुनते ही ड्रायवर आग बबुला हो गया। पीड़ित पण्डो परिवार की दलीलों को खारिज करते हुए 1000 रूपया देने को कहा। इसके बाद ही शव को वाहन से उतारने की बात कही। पीड़ित पण्डो परिवार ने ड्रायवर को 500 रूपया देते हुए गरीबी का हवाला दिया। लेकिन ड्रायवर ने ना केवल पांच सौ रूपया लेने से इंकार कर दिया। बल्कि जमकर लानत मलानत और गाली गलौच किया। डरे सहमे पीडित पण्डो परिवार ने 600 रूपए देने का असफल प्रयास किया। लेकिन ड्रायवर ने ना केवल लेने से इंकार किया। बल्कि शव को अस्पताल ले जाने की धमकी दी। इतना सुनते ही पण्डो परिवार के लोगों ने चंदा कर किसी तरह 700 रूपया राहुल वर्मा को दिया । अन्ततः ड्रायवर नाराजगी जाहिर करते हुए सात सौ रूपया लेकर चलता बना।
स्थानीय लोगों ने जताया विरोध
मामले की जानकारी स्थानीय लोगों तक पहुंची। इसमें कुछ पीड़ितों ने बताया कि सरकारी की निशुल्क मुक्तांजली एम्बुलेन्स केवल नाम का निशुल्क सेवा है। मुक्तांजली वाहन चालक शव परिवहन करने के एवज में मन माफिक वसूली करते हैं। चूकि परिवार काफी दुखी रहता है। इसलिए बिना शिकायत ड्रायवर को रूपया दे देता है। अर्जुन पण्डो का परिवार बहुत गरीब है। यह जानते हुए भी कि भारत सरकार ने पण्डो जनजाति को अति पिछड़ा वर्ग मे शामिल किया है। बावजूद इसके निशुल्क मुक्तांजली एम्बुलेन्स चालक ने सात सौ रूपया लेकर माना। निश्चित रूप से खबर मानवता को शर्मसार करने वाली है।
पीडितों ने कमिश्नर ने मांगा 700
लोगों के कहने पर पण्डो परिवार के पीड़ित सदस्यों ने कमिश्नर को लिखित शिकायत कर घटनाक्रम से अवगत कराया। कमिश्नर से मृतक अर्जुन पण्डों के परिजनों ने कहा कि घटनाक्रम के बाद विश्वास नहीं हो रहा है कि प्रदेश का मुखिया आदिवासी ही है। परिजनों ने आरोपी ड्रायवर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सात सौ रूपया लौटाने की गुहार लगायी।