21 अक्टूबर को दर्श और कार्तिक अमावस्या का महासंयोग! आज रात करें ये 3 उपाय, माता लक्ष्मी और पितरों की कृपा से दूर होंगे सभी पाप और दोष

रायपुर। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस बार यह अमावस्या 20 अक्टूबर (सोमवार) दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर (मंगलवार) शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी।

मंगलवार को यह तिथि होने के कारण इसे दर्श अमावस्या के साथ कार्तिक अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा, जिसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

शुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति:
अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक।
राहुकाल: दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से शाम 4 बजकर 20 मिनट तक।

ग्रह गोचर: सूर्य तुला राशि में रहेंगे, जबकि चंद्रमा सुबह 9:36 बजे से कन्या राशि में रहने के बाद तुला राशि में गोचर करेंगे।

कार्तिक अमावस्या का धार्मिक महत्व:
ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं।

वहीं, पद्म पुराण में इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होने की बात कही गई है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस पवित्र तिथि पर गीता पाठ, अन्न दान, और भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। अन्न दान को हजारों गायों के दान के समान पुण्यदायी बताया गया है।

पितरों की शांति और सुख-समृद्धि के लिए करें ये 3 महाउपाय:
कार्तिक अमावस्या का दिन पितरों का आशीर्वाद पाने और चंद्र दोष को शांत करने के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन किए गए दान और उपाय रोग, शोक और दोष से मुक्ति दिलाते हैं:

पीपल के नीचे करें दीपदान और परिक्रमा: दर्श अमावस्या की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद शुभ है। दीपक में काले तिल डालकर रखें, पितरों का स्मरण करें, क्षमा मांगें और मनोकामना के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल की परिक्रमा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन के रुके हुए कार्यों में गति आती है।

तीर्थ स्नान और अक्षय दान: घर पर स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इस दिन कपड़े, अन्न और वस्त्र का दान करना अक्षय फल देता है। पद्म और मत्स्य पुराण में भी इस दान को विशेष फलदायी बताया गया है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और जाप करें: नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।

साथ ही, ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना और गरीबों को दान देना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।

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