ना तामझाम..ढोलक,ना शहनाई…1 माला और 11 रूपयों में हो गयी शादी…दोनों ने एक दूसरे को पहनाया माला..ADM ने कहा..सौभाग्यवती भव
ADM कोर्ट में दो प्यार ने पहनाया एक दूसरे को बन्धन का माला
बिलासपुर—जूना बिलासपुर निवासी रवि देवांगन और नंदू अहिरवार पिछले दो साल से एक दूसरे को डेट कर रहे थे। दोनो का रोज मिलना एक दुकान में होता था। क्योंकि एक ही दुकान में काम करते है। धीरे धीरे दोनों के बीच प्यार हुआ। प्यार की खबर की दोनों के घर तक पहुंची। हमेशा की तरह दोनो को समझाने का प्रयास भी किया गया। लेकिन दोनो चट्टान की तरह अड़े रहे। और एक दिन वह भी आया कि दोनों के परिवार को झुकना पड़ा। और दोनों अलग अलग जाति के होने के बाद भी परिवार के बीच एडीएम कोर्ट में एक दूसरे को प्यार का माला पहनाया। सात जन्मों तक साथ रहने का संकल्प लिया। एडीएम कुरूवंशी ने सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सौभाग्यवान और सौभाग्यवती का आशीर्वाद किया। और इसके बाद चला मिठाई खाने और खिलाने का दौर….।
एडीएम कोर्ट और कार्यालय हमेशा न्यायिक हमेशा प्रशासनिक काम काज के लिय़े जाना जाता है। लेिकन आज कोर्ट में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। पिछले एक महीने की लम्बी प्रक्रिया के बाद एडीएम कोर्ट में मात्र कुछ मिनटों के अन्दर प्रेमी और प्रेमिका ने एक दूसरे को माला पहनाकर वर- वधू का दर्जा हासिल किया।
चन्द मिनट में प्रेमी बन गया पति
मात्र कुछ मिनटों में दूल्हा और दुल्हन बन जाने के बाद दोनों ने एडीएम आरए कुरूवंशी से चरणस्पर्ष कर आशीर्वाद लिया। दूल्हा रवि देवांगन ने बताया कि वह जूना बिलासपुर का रहने वाला है। उसके पिता का निधन हो चुका है। लेकिन बड़े भाई शनि देवांगन ने कभी भी पिता की कमी को महसूस होने नहीं दिया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह शहर के ही एक नामचीन दुकान में काम करने लगा। इसी दौरान उसका परिचय नंदू अहिरवार से हुई। वह भी उसी दुकान में काम करती है..जहां मैं अभी भी कर रहा हूं।
पहले ना..फिर हो गया हां
दोनो के विचार एक दूसरे से मिलते जुलते थे। धीरे धीरे दोनों के बीच प्यार हो गया। दोनो के विचार एक दूसरे से मिलते जुलते थे। इसलिए हमने सात जन्मों तक साथ रहने का संकल्प लिया। लेकिन एक होने में दोनो की जातियां बड़ी बाधा थी। हमने अपने अपने घर में एक दूसरे से शादी करने के प्रस्ताव को रखा। जैसा की हमेशा होता है..हमारे साथ भी हुआ। दोनो के परिवार ने पहले तो समाज का डर दिखाकर अलग अलग जाति में शादी करने से इंकार कर दिया।लेकिन हम अपनी बातों पर अड़े रहे। और अन्ततः हमारी जीत हुई। एडीएम कोर्ट पहुंचकर दोनों ने शादी के लिए आवेदन किया
महीना की प्रकिया..चन्द मिनट में शादी
इसके लिए हमें एक महीना पहले पेपर में सूचना प्रकाशित किया। ठीक एक महीने बाद आज एडीएम कोर्ट के सामने हमने एक दूसरे को माला पहनाकर सात जन्मों के लिए संकल्प में बाधा। रवि और नंदू ने बताया कि हम जानते है कि जमीन बहुत कड़ी होती है। लेकिन पृथ्वी पर फूल खिलता है। हम अपने जीवन को कड़वे मीठे अनुभवों के साथ ईमानदारी के साथ निभाएंगे। कभी भी एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ेंगे। हम लोग गरीब है..इसलिए वकील नहीं किया। दोनो तरफ से परिजनों ने सारी शर्तों का पालन कर दोनों का हाथ एक दूसरे को दिया है।
रवि ने बताया कि सबसे बड़ी शादी कोर्ट की होती है। सामान्य शादी के बाद भी लोगों को कोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। हमारी शादी तो सीधे कोर्ट में ही हुई है। इसलिए एक दूसरे को धोखा देने का सवाल ही नहीं उठता है।
एडीएम से लिया आशीर्वाद
शादी के बाद दोनों ने एडीएम आरए कुरूवंशी का चरण स्पर्ष किया। एडीएम ने दोनों को सौभाग्यवान और सौभाग्यवती का आशीर्वुाद दिया। साथ ही पीछे खड़े होकर फोटो भी खिंचवाया। इस दौरान अन्य आलाधिकारी भी मौजूद थे। कुरूवंशी ने बताया कि दोनों की शादी में मात्र 11 रूपया खर्च हुआ है। दोनों की तरफ से कोई वकील नहीं था। इसलिए वकील की प्रक्रिया को कोर्ट में ही पूरा किया गया। हम सबका आशीर्वाद है कि सात जन्म ही नहीं बल्कि दोनों जन्म जन्मांतर तक एक दूसरे का साथ निभाएं।
बड़े भाई ने क्या कहा
लड़के बड़े भाई ने कहा कि दोनों की खुशी ही हमारी खुशी है। हम दोनो की पसंद को पसंद करते हैं। बेशक ठोलक शहनाई नहीं बजी हो। लेकिन दोनों ने देश की सबसे बड़ी कानूनी रीति रिवाज से शादी कर हमारा मान सम्मान बढ़ाया है।
ढाई लाख की प्रोत्साहन राशि
एडीएम ने बताया कि अन्तर्राजातीय विवाह को बढ़ावा दिए जाने को लेकर शासन की तरफ से विशेष प्रावधान है। दोनो अलग जाति से आते है। इसलिए दोनों को नियमानुसार शासन की तरफ से ढाई लाख की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। दोनो इस राशि का उपयोग अपनी जिन्दगी को बेहतर बनाने में उपयोग करेंगे।