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शिक्षा विभाग..कलेक्टर आदेश के खिलाफ…अंगद की तरह बाबू ने दिखाया दम..और अब प्रभारी प्राचार्य ने भी झोंकी ताकत
बाबुओं में आक्रोश...पूछ रहे..फिर हमें क्यों हटाया
बिलासपुर—अब तक देखा गया है कि स्कूल और स्वास्थ्य विभाग को लेकर कलेक्टर अवनीश शरण ने हमेशा संजीदगी का परिचय दिया है। जब तब स्कूल निरीक्षण से लेकर बच्चों की समस्याओं को बहुत ही गंभीरता से लिया है। दोनो ही विभाग में किसी प्रकार की गलती पाए जाने पर तत्काल फैसला लिया है। चाहे फैसला निलंबन का हो…या फिर अधोसरंपचना विकास का..पठन पाठन का मामलो हो या फिर भोजन और अन्य सुविधाओं का। कलेक्टर ने तत्काल फैसला लिया है। लेकिन जरूरी नहीं कि शिक्षा विभाग और उसके कर्मचारी कलेक्टर आदेश को हर समय गंभीरता के साथ लें…। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। महीने भर पहले विभाग में टेबल बदलने के बाद भी बाबू आज तक पुरानी जिम्मेदारियों पर अंगद की तरह पूरे दम के जमा हुआ है। इतना ही नहीं चार दिन पहले पंडित रामदुलारे आत्मानन्द स्कूल से सेन्दरी स्कूल स्थानान्तरित की गयी प्रचार्य ने भी विरोध में अपना ताकत दिखाना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर दोनो ही कर्मचारियों ने कलेक्टर आदेश को गंभीरता के साथ इंकार कर दिया है।
कलेक्टर आदेश की नाफरमानी
जैसा कि बिलासपुर की जनता को अच्छी तरह से पता है कि कलेक्टर अवनीश शरण ने शिक्षा और स्वास्थ्य को हमेशा गंभीरता से लिया है। खासकर बच्चों के बीच अपनी गतिविधियों से उन्होने हमेशा जीवन्त रिश्ता बनाकर रखा है। साथ ही बच्चों के समग्र विकास के खिलाफ आने वाली अड़चनों को गंभीरता से निराकरण भी किया है। खासकर शिक्षा विभाग की बदमाशियों का तत्काल उपचार किया है। लेकिन जिला प्रशासन के मुखिया को कौन बताए कि शिक्षा विभाग का कामकाज आदेश से नहीं बल्कि भगवान भरोसे चलता है। जिसकी चर्चा जब तब पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से जनता तक पहुंचती रहती है। एक बार फिर शिक्षा विभाग से कलेक्टर आदेश की नाफरमानी का मामला सामने आया है।
बाबू पूछ रहे..फिर हमें कयों हटाया
जानकारी देते चलें कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद सात अक्टूबर को कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने अंगद की तरह जमें बाबुूओं के टेबल में क्रांतिकारी परिवर्तन वाला आदेश जारी किया। 25 कर्मचारियों के टेबल बदल आदेश का शिक्षकों और कर्मचारियों ने दिल से स्वागत किया। इस दौरान कलेक्टर के सख्त आदेश पर ही शिक्षा विभाग के कई कर्मचारियों के अटैचमेन्ट को खत्म कर विभाग बुलाने का आदेश भी जारी हुआ। कमोबेश सभी बाबुओ ने परिवर्तन कबूल किया । लेकिन एक बाबू आज तक अपने पुराने टेबल की फाइलों पर अंगद की तरह जमकर बैठा है। मजेदार बात है कि जिला शिक्षा अधिकारी भी इस बात को जानकर अंजान बने हुए है। जबकि उन्होने कलेक्टर को पालन प्रतिवेदन भी भेज दिया है। पूरे दम के साथ बाबू आज भी वित्त प्रभार की जिम्मेदारी निभा रहा है। जबकि कलेक्टर के निर्देशानुसार तथाकथित बाबूल को वित्त से हटाकर सामान्य प्रभार दिया गया है। इस बात को लेकर शिक्षा विभाग के कर्मचारीयों में जबरदस्त आक्रोश है। वह बाबू भी नाराज है जिन्होने कलेक्टर आदेश को गंभीरता से लिया है।
अवहेलना पहली और..आखिरी भी नहीं
इसी तरह पंडित रामदुलारे दुबे सेजस बालक विद्यालय सरकंडा की विवादित प्रभारी प्राचार्य ने कलेक्टर आदेश का पूरी ताकत के साथ प्रतिकार करने का फैसला कर दिया है। जबकि कलेक्टर ने लगातार मिल रही शिकायत के बाद प्रभारी प्राचार्या का स्थानांतरण आगामी आदेश पर्यन्त शासकीय उच्यतर माध्यमिक विद्यालय सेंदरी कर दिया है। आज दिनांक तक शिक्षिका ने सेंदरी विद्यालय में उपस्थिति दर्ज नहीं करायी है। ऐसा किया जाना स्वभाविक भी है। क्योंकि शिक्षिका ने इसके पहले नाफरमानी का काम एक बार नहीं कई बार काम किया है। फिर कलेक्टर आदेश की अवहेलना शिक्षिका के लिए कोई नई बात नहीं है।
बहरहाल दोनो ही मामले इस समय शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कलेक्टर आदेश की अवहेलना को लेकर गंभीर नहीं है। सवाल उठता है कि इनके खिलाफ अब क्या एक्शन लिया जाता है।