
शनि जयंती 2025: जानें क्यों खास है यह दिन और किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान
हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता के रूप में पूजा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव का प्राकट्य ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर हुआ था, इसलिए यह तिथि पवित्र मानी गई है. शनि जयंती के दिन कुछ कार्य करना वर्जित माना गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि वो काम कौन से हैं.
शनि जयंती 2025: हिंदू धर्म में शनि देव को कर्मफलदाता और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके नाम मात्र से कई लोग भयभीत हो जाते हैं, लेकिन वास्तव में शनि देव सिर्फ उन्हीं को दंड देते हैं जिन्होंने अनुचित कार्य किए होते हैं।
जो व्यक्ति सद्कर्म करता है, शनि देव उसकी सफलता की राह आसान कर देते हैं। यही कारण है कि शनि की दृष्टि को अत्यंत निर्णायक और प्रभावशाली माना गया है। शनि जयंती का दिन ऐसे सभी श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है जो साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था और इसी दिन को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में यह तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे शुरू होकर 27 मई को रात 8:31 बजे तक रहेगी।
उदया तिथि को प्राथमिकता देने के अनुसार, शनि जयंती 27 मई 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन शनि देव की आराधना, व्रत, दान और मंत्र जाप विशेष फलदायी माने जाते हैं।
शनि जयंती पर कुछ धार्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना गया है, जो शनि देव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं। सबसे पहले, इस दिन बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए क्योंकि इसे आत्मिक अशुद्धता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह कार्य इस पवित्र दिन पर वर्जित है।
शनि देव को तेल अत्यंत प्रिय है और इस दिन उन्हें तिल का तेल चढ़ाना या दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। हालांकि, ध्यान रखें कि तेल नया, शुद्ध और साफ होना चाहिए। जूठा या खराब तेल चढ़ाना व दान करना वर्जित है क्योंकि यह शनि देव को अप्रसन्न कर सकता है।
शनि देव न्यायप्रिय हैं, इसलिए इस दिन किसी गरीब, वृद्ध या कमजोर व्यक्ति का अपमान करना एक बड़ा पाप माना जाता है। शनि जयंती पर सभी से विनम्रता और करुणा से व्यवहार करें, जिससे शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके।
इस दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। शुद्ध और सात्विक आहार न केवल शारीरिक शुद्धि लाता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।
शनि जयंती के दिन गुस्सा, चिड़चिड़ापन और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहना चाहिए। शांति, संयम और सकारात्मक सोच शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक है। ध्यान और पूजा के माध्यम से अपने मन को स्थिर रखें और भगवान शनि से शुभ फल की कामना करें।