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लालच बुरी बलाय….SDM ने लगाया हजारों रूपयों का जुर्माना…दिया फरमान…खेत खोदकर 7 दिनों में तैयार करना होगा तालाब
सात दिनों के भीतर दुबारा बनाना होगा तालाब
बिलासपुर— एसडीएम की रिपोर्ट पर कलेक्टर ने तालाब को पाटकर खेत बनाने वाले को जोर का झटका दिया है। एसडीएम रिपोर्ट पर कलेक्टर ने तालाब पाटने वाले को 25 हजार रूपयों का ना केवल जुर्माना् ठोंका है। बल्कि सात दिनों के अन्दर रिकार्ड के अनुसार तालाब की यथास्थित को बनाने का आदेश दिया है। कलेक्टर फरमान के बाद जमीन माफियों का होश उड़ गया है। कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आदेश की अवहेलना पर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
निगम क्षेत्र के कोनी स्थित राजस्व रिकार्ड में दर्ज तालाब को पाटकर खेत बनाने की शिकायत को कलेक्टर अवनीश शरण ने गंभीरता से लिया है। एसडीएम पीयूष तिवारी ने जांच पड़ताल के बाद तालाब पाटकर खेत बनाने वालों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया है। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम तिवारी किसान पर 25000 का जुर्माना लगाने के अलावा तालाब को पुनः मूल स्वरूप में लाने का फरमान दिया है।
जानकारी देतेच लें कि कलेक्टर अवनीश शरण ने पिछले माह एसडीएम पीयूष तिवारी को नगर निगम क्षेत्र स्थित तालाबों की जांच का आदेश दिया। जांच पड़ताल के दौरान जानकारी मिली कि ग्राम कोनी स्थित खसरा नंबर 126 रकबा 0.299 हेक्टेयर जमीन हजारी प्रसाद के नाम पर दर्ज है। राजस्व रिकार्ड में जमीन को तालाब बताया गया है। छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959 के अनुसार तालाब और पानी के ऊपर मद की जमीन का स्वरूप परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। कानूनी रूप से तालाब सामूहिक निस्तार की जमीन होती है। नियम का उल्लंघन कानूनन अपराध है।
जानकारी के बाद एसडीएम पीयूष तिवार ने तहसीलदार से जाँच प्रतिवेदन मंगाया। रिपोर्ट के अनुसार व्यासनारायण पाण्डेय और सुरेंद्र पाण्डेय ने तालाब को पाट कर खेत बनाया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम ने भू राजस्व संहिता की धारा 242 के तहत मामला दर्ज किया। साथ ही तालाब पाटकर खेत बनाने वालों से जवाब तलब किया।
तालाब को खेत में बदलने वालों ने स्वीकार किया कि तालाब की जमीन को पाट कर खेत बनाया है। इसके अलावा संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर एसडीएम ने छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 242, 253 के तहत आरोपियों पर 25000रु का जुर्माना ठोंका। साथ ही तालाब कोमूल स्वरूप में लाने का आदेश भी दिया। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सात दिन के अन्दर तालाब को मूल स्वरूप में नहीं लाने पर कठोर कार्यवाही होघी ।
कलेक्टर के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी की कार्रवाई से जमीन माफियों का गला सूख गया है। खासकर अवैध प्लाटिूंग करने वालों में हलचल मच गयी है।