Chhattisgarh

CG NEWS:नगरीय निकाय चुनाव की आहटः मोदी गारंटी के अधूरे वादे भी रहेंगे चर्चा में …. ?

CG NEWS:बिलासपुर  (मनीष जायसवाल)  । (Chhattisgarh Urban Body and Rural Body Elections) नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में एक ओर जनता के मुद्दे है तो दूसरी ओर सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दलों के महारथियों ने सियासी चौसर के पासे जमाने शुरू कर दिए है। चुनावी आहट के तले बिछाई जा चुकी चौसर की बिसात में बड़ी बाजी में राज्य की विधानसभा और केंद्र की लोकसभा में सत्ता की कुर्सी पर बैठी भाजपा के लिए यह निकाय को चुनाव काफी अहम हो जाते हैं। इसलिए बड़े स्तर पर नगरीय निकायों और जिला पंचायत में भाजपा का कब्जा साय सरकार के लिए बेहद जरूरी है ..! ऐसा माना जाता है कि सत्ताधारी दल के लिए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव काफी सरल हो जाते है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा की राह इतनी आसान भी नहीं ..!

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जैसे-जैसे समय बीत रहा है मोदी की गारंटी सुर्खियों में आती जा रही है। महिला, किसान, धान के बाद बची हुई मोदी की गारंटियों से लाभान्वित होने वाला समूह राज्य की विष्णु देव साय सरकार की ओर देख रहा है। अब लाभान्वित वर्गों के एक धड़े के लिए ज्ञापन का दौर खत्म कर चुका है। शहरी निकाय और पंचायत चुनाव के पहले ही यह वर्ग आंदोलन में कूद चुका है। क्योंकि ये वर्ग जानता है अभी नहीं तो तीन साढ़े तीन साल और नहीं ..!

जनता, कर्मचारी संघ समूह, बेरोजगारो के मन में जिन समस्याओं को लेकर पूर्व सरकार की नीतियों की वजह से आक्रोश था उसी आक्रोश को अब तक यह सरकार अपने साथ लिए लिए घूम रही है..! साल भर होने के करीब भी कोई बदलाव या सुधार करने की ओर सिस्टम आगे बढ़ता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार बदल गई, चेहरे बदल गए ,लेकिन लोगो को समझ नही रहा है की बदलाव क्या हुआ है..! इस सरकार में पॉलिसी डिसीजन मेकर कौन है..? यह अबूझ पहेली है..। फाइलें अब भी कही न कही अटकी हुई है। बहुत से निर्णय लंबित है। राज्य के कई विभागों में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान जमे हुए अफसर आज भी चांदी काटते नजर आ रहे हैं।

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रायपुर दक्षिण का विधानसभा चुनाव यदि कांग्रेस जीत गई तो प्रदेश की सत्ता की कहानी में नया ट्विस्ट आएगा जिसकी फिलहाल कल्पना ही कर सकते है..!यदि भाजपा रायपुर विधानसभा का उप चुनाव जीत भी गई तब भी इसे निकाय पंचायत चुनाव की जीत ट्रायल नहीं माना जा सकता। लेकिन इतना तो दिखाई दे रहा है कि इस सरकार के वर्तमान मंत्री परिषद के पांच साल पूरे करने की गारंटी निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम भी हो सकते हैं..!

इन दस महीने में राज्य की कानून व्यवस्था ,एक के बाद एक जिलों के बवाल की स्थिति, संकल्प पत्र की शेष मोदी की गारंटी, राज्य में हावी होती ब्यूरोक्रेसी लाबी, भाजपा कार्यकर्ताओं की जगह आयोग में अफसर को महत्व मिलने से कार्यकर्ताओं में असंतोष की स्थिति, सीनियर विधायकों के रहते जूनियर विधायकों को पार्टी में महत्व मिलने के चलते भाजपा नेताओं के मनोबल में बिखराव का सत्ता पक्ष के लिए स्थानीय चुनाव में उचित माहौल तो बनता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है ..!

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस यदि संगठित हुए तो जीतेंगे का मंत्र …” लेकर राज्य के नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव उतरती है तो बड़ी जीत का खुला मैदान दिखाई दे सकता है। यदि बाबा,भूपेश और बैज की तिकड़ी राज्य के 2018 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर काम करती है तो निकाय चुनाव में सत्ता का समीकरण साधने में आसानी हो सकती है। क्योंकि यह समीकरण साध लिया मतलब राज्य में मोदी की गारंटी फेल बताने में कांग्रेस कामयाब हो गई ..! कांग्रेस के पक्ष में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम के मायने मतलब राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के मुख्य सेनापति के नाम पर बनी मोदी की गारंटी की चर्चा होना तय है।

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