
CG NEWS:छत्तीसगढ़ में “ बवाल दर बवाल…..” धुएं के गुब़ार से उठ रहे सवाल
CG NEWS:उत्तर छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में दो मासूमों के कत्ल के बाद किस तरह की सियासत हो रही है….. और इस मामले में आरोपी का रिश्ता किस पार्टी से है… इस तरह की बयानबाज़ी और हिसाब-किताब का नतीजा सामने आने में वक्त लग सकता है। क्योंकि सियासत का रिश्ता चुनाव से होता है और चुनाव में अभी काफी समय है। लेकिन पिछले करीब़ चार महीने के दरम्यान पहले बलौदा बाजार जिला मुख्यालय फिर कबीरधाम जिले के लोहारीडीह और अब सूरजपुर में जिस तरह का बवाल सामने आया है,वह सियासत के गोल घेरे से बाहर निकलकर छत्तीसगढ़ की पहचान से नया रिश्ता जोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। सियासत कर रहे लोग अपने विरोधी को कटघरे में खड़े कर सकते हैं। लेकिन क्या इस सवाल से बच सकते हैं कि आखिर छत्तीसगढ़ किधर जा रहा है… ? सवाल सियासी नफ़ा – नुकसान का नहीं है, बल्कि सवाल इस बात का है कि आखिर लोग क्यों सड़क पर उतर रहे हैं…. ? शासन – प्रशासन के तौर तरीके पर सवाल क्यों उठ रहे हैं और शांति के टापू में बवाल जैसे शब्दों को जगह क्यों मिल रही है….? क्या छत्तीसगढ़ की अब तक की पहचान से जुड़े इन सवालों को राजनीति की ओट में छिपाया जा सकता है …?
छत्तीसगढ़ के मीडिया में ऐसी खबरें और तस्वीरें पहले कम ही देखने को मिली है कि शहर या गांव के बीच आग की लपटें उठ रही हों। लोगों की भीड़ जमा हो रही हो… और लोग यह सोचकर निकल पड़े हो कि अब उन्हें ही कोई कदम उठाना पड़ेगा ।जाहिर सी बात है कि ऐसी तस्वीर जब भी आती है , हिसाब लगाया जाता है कि सिस्टम पर से लोगों का भरोसा कितना है। करीब 4 महीने पहले बलौदा बाजार में कलेक्ट्रेट में आगज़नी हुई । फ़िर कबीरधाम जिले के लोहारीडीह गांव में लोगों ने उपसरपंच के घर को आग लगा दी । अब सूरजपुर में पुलिस हेड कांस्टेबल की पत्नी और बेटी की जघन्य हत्या के बाद भीड़ ने आरोपी का घर जला दिया । खबरें आ रही हैं कि गुसाई भीड़ में प्रशासन के अधिकारियों की भी पिटाई की । जो बातें खबरों में आ रही है उसे सिलसिलेवार जोड़ा जाए तो सूरजपुर दोहरे हत्याकांड का आरोपी कुलदीप साहू कबाड़ का काम करता है। उसके खिलाफ सूरजपुर जिले में 20 से अधिक मामले दर्ज हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव से पहले उसे 1 साल के लिए जिला बदर किया गया था। उसे सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा ,कोरबा, मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी के साथ ही मध्य प्रदेश के सिंगरौली में भी रहने की मनाही थी। अब क्या पुलिस से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि जिला बदर के बावजूद कुलदीप साहू सूरजपुर में कैसे घूम रहा था। इतना ही नहीं दशहरे के दिन उसने सूरजपुर में तैनात कांस्टेबल घनश्याम सोनवानी पर कढ़ाई में खौलता तेल डाल दिया । कांस्टेबल को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया।
इसके बाद सूरजपुर में कोतवाली में तैनात हेड कांस्टेबल तालिब शेख आरोपी को पकड़ने निकले । तालिब शेख अपनी ड्यूटी कर रहे थे । उधर कुलदीप साहू ने उनके घर में घुसकर पत्नी और मासूम बेटी को बेरहमी से मार डाला। इसके बाद दोनों का शव 5 किलोमीटर दूर खेत में फेंक दिया । शायद यह छत्तीसगढ़ में अपने तरह की पहली घटना है, जिसमें कई मामलों के आरोपी ,जिलाबदर अपराधी ने पुलिस परिवार के साथ ऐसी क्रूरता दिखाई हो। ख़ुद को सिस्टम से ज्यादा ताक़तवर दिखाने की कोशिश में ऐसे दो मासूमों की जान ले ली, जिनका कोई कसूर नहीं है।दिल दहला देने वाली इस घटना से जुड़ी पूरी बातें जांच में सामने आएंगी । लेकिन फ़ौरी तौर पर तो लगता है कि तालिब शेख पुलिस की स्पेशल टीम में शामिल है। उन्हें बड़ी वारदातों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है । इसलिए कुलदीप को उनसे डर था। लिहाजा कुलदीप साहू ने इस वारदात को अंजाम दिया। इस घटना से गुस्साए सूरजपुर के लोगों के बीच प्रतिक्रिया रही कि जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं है तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी। इसके बाद लोगों ने प्रदर्शन किया और कुलदीप साहू का घर जला दिया। इस दौरान तनाव के बीच पहुंचे एसडीएम को भी लोगों ने पीट दिया। घटना के विरोध में सूरजपुर बंद रहा ।
छत्तीसगढ़ के उत्तरी कोने में बसे सूरजपुर इलाके में इस बड़ी घटना के बाद कई बातें सामने आ रही है । जिसमें खासतौर से यह बात उठ रही है कि कोयला खदान वाले इस इलाके में कबाड़ का अवैध धंधा फल फूल रहा है । जिसमें सिस्टम भी कहीं ना कहीं जिम्मेदार नजर आता है। धीरे-धीरे पनप रही जुगलबंदी ने अब इतना बड़ा रूप ले लिया है कि 20-20 मामलों का आरोपी पुलिस प्रशासन को भी चुनौती दे रहा है । जिससे आम लोगों में भी आक्रोश पनप रहा है । इस गुस्से का इज़हार इस घटना के बाद हुआ। आम लोगों को सड़क पर उतरना पड़े यह कतई ज़ायज़ नहीं है। ऐसी नौब़त नहीं आनी चाहिए। व्यवस्था के ज़िम्मेदार लोगों को यह मानने में गुरेज़ नहीं करना चाहिए कि कहीं ना कहीं तो ख़ामी है। जिसके चलते एक के बाद एक छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं सामने आ रहीं है। केवल सियासत का नाम देकर आरोप-प्रत्यारोप में उलझाने की बज़ाय गुत्थी को सुलझाने की तरफ़ कदम बढ़ाना चाहिए । जिससे छत्तीसगढ़ की पहचान बनी रहे।