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15 वें वित्त राशि पर मेयर और आयुक्त का अधिकार…बोले निगम सभापति…पत्र लिखा…3 बार मिला..आयुक्त ने सुना ही नहीं..क्या कर सकता हूं ?

निगम ही बांट सकता है पन्द्रहवें वित्त का रूपया..

बिलासपुर—निगम सामान्य सभा बैठक बुलाने को लेकर हमने कई बार पत्र लिखा। तीन बार फिजिकली उपस्थित होकर सामान्य सभा की बैठक बुलाने को कहा। लेकिन आयुक्त ने सुना ही नहीं…आखिर हम कर ही क्या सकते हैं।

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सामान्य सभा की बैठक नहीं होने से जनता को बहुत नुकसान हुआ है।

चूंकि पार्षदों का बहुत दबाव था। इसलिए मेयर ने विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए तीन दिन में विशेष बैठक बुलाने के लिए आयुक्त को पत्र लिखा है।

यह बातें निगम सभापति शेख नजरूद्दीन ने बातचीत के दौरान कही।

जनता में छोटे पार्षद के नाम से मशहूर निगम सभापति ने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि निगम को मिलने वाला पन्द्रह वित्त का पैसा उप मुख्यमंत्री ने निगम क्षेत्र में आने वाले विधायकों के बीच बांट दिया है। ऐसा किया जाना अनुचित है। यदि बैठक में मुद्दा आता है तो  गंभीरता से लिया जाएगा।

       निगम सभापति शेख नजरूद्दीन ने कहा कि पिछले एक साल से निगम सामान्य सभा की बैठक नहीं हुई है। सामान्य सभा की बैठक को लेकर पार्षद लगातार मांग कर रहे थे। सामान्य सभा बुलाने को लेकर निगम आयुक्त को कई बार पत्र  लिखा। इसके अलावा तीन बार प्रत्यक्ष रूप से मिलकर सामान्य सभा बैठक बुलाने को कहा। लेकिन उन्होने हर बार हमारी बातों को अनसुना कर दिया। सामान्य सभा की बैठक नहीं होने से जनता को बहुत नुकसान हुआ है। जिसका सीधा दुष्प्रभाव जनता के आर्थिक हितों और उनकी दैनिक जीवन पर पड़ा है।

अन्ततः जनता की समस्याओं के मद्देनजर पार्षदों ने सामुहिक रूप से मेयर पर सामान्य सभा बुलाने का दबाव बनाया। मेयर ने अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए आयुक्त को धारा 30 के तहत तीन दिन के भीतर विशेष सभा बुलाने को कहा है। शेख नजरूद्दीन ने बताया कि सामान्य सभा की बैठक बहुत पहले बुला लेना चाहिेए था। लेकिन आयुक्त ने बुलाया ही नहीं। आखिर हम दबाव बनाने या पत्र लिखने से ज्यादा कर ही क्या सकते हैं।सामान्य सभा की बैठक नही बुलाया जाना घोर लापरवाही  है।

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        सभापति ने बताया कि हमे जानकारी मिली है कि निगम क्षेत्र में आने वाले अन्य विधानसभा क्षेत्रों में उप मुख्यमंत्री ने विकास के लिए रूपया बांटा है। रूपया निगम के 15 वें वित्त मद से दिया गया है। जबकि ऐसा किया जाना अनुचित है। इससे निगम वार्डों के साथ भेदभाव होता है।

जबकि 15 वें वित्त बजट में अभी तक 1 लाख 24 हजार 95 करोड़ 87 लाख रूपया आया है। रूपयों को मेयर और आयुक्त को ही निगम वार्डों में बांटने का अधिकार है। राशि का वंटवारा वार्डों की जरूरतों के अनुसार होता है। बांटते समय किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। लेकिन जो बात सामने आ रही है वह गलत और भेदभाव पूर्ण है।

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