
ऑनलाइन सट्टेबाजी पर रोक की याचिका पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई ऑनलाइन गेम को प्रभावशाली व्यक्ति, अभिनेता और क्रिकेटर ऐसे ऑनलाइन ऐप को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे बच्चे इस उसके जाल में फंस रहे हैं।
दिल्ली।उच्चतम न्यायालय ने सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी एप्लीकेशन को विनियमित करने की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र सरकार नोटिस जारी किया।न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने के ए पॉल याचिका पर सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा।सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि लोग इंडियन प्रीमियर लीग की आड़ में सट्टेबाजी और जुआ खेल रहे हैं।
पीठ ने कहा, “आईपीएल के नाम पर बहुत से लोग सट्टेबाजी और जुआ खेल रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है।”याचिका में दावा किया गया है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ एप्लीकेशन का उपयोग करके कई लोगों ने आत्महत्या कर ली है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई ऑनलाइन गेम को प्रभावशाली व्यक्ति, अभिनेता और क्रिकेटर ऐसे ऑनलाइन ऐप को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे बच्चे इस उसके जाल में फंस रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा करते हुए कहा, “मैं उन लाखों माता-पिता की ओर से यहां आया हूं, जिनके बच्चों ने ऑनलाइन गेम की लत के कारण आत्मघाती कदम उठाया है। तेलंगाना में 1,023 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की, क्योंकि 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड अभिनेता/प्रभावशाली लोगों ने मासूमों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया।”
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध, ऑनलाइन गेमिंग और फैंटेसी स्पोर्ट्स के सख्त नियमन और व्यापक कानून बनाने की मांग की।
पीठ ने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कर सकती क्योंकि ये समाज की विकृतियां हैं और कानून बनाने से लोगों को स्वेच्छा से सट्टेबाजी में लिप्त होने से नहीं रोका जा सकता।
पीठ ने आगे कहा, “आजकल हमने अपने बच्चों को इंटरनेट (मोबाइल फोन) दे दिया है। वे इसे अपने स्कूलों में भी ले जाते हैं। माता-पिता एक टीवी देखते हैं, जबकि उनके बच्चे दूसरा। यह पूरी तरह से सामाजिक विकृति है। क्या किया जा सकता है? जब लोग स्वेच्छा से सट्टेबाजी में लिप्त हैं। मुख्य रूप से, हम आपके साथ हैं कि इसे रोका जाना चाहिए, लेकिन शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे कानून के जरिए रोका जा सकता है।”
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस मामले में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के कारण तेलंगाना में प्रभावशाली लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज की गई थी।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा, “जिस तरह हम लोगों को हत्या करने से नहीं रोक सकते, उसी तरह कोई कानून लोगों को सट्टा या जुआ खेलने से नहीं रोक सकता।”
पीठ ने कहा कि वह केंद्र सरकार से पूछेगी कि वह इस मुद्दे पर वह क्या कर रही है।शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहायता भी मांगी।