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सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप,उदय,का गंभीर आरोप..आदिवासियों की जमीन पर उद्योगपति का कब्जा…फर्जीवाड़ा कर बनाया दस्तावेज..
आदिवासी जमीन पर कब्जाने का आरोप
बिलासपुर— सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप अग्रवाल की अगुवाई में उदय सिंह, शंकर यादव ने उद्योगपति पर गंभीर आरोपल गया है। प्रेस वार्ता कर दिलीप ने बताया कि विकास खण्ड कोटा स्थित ग्राम पंचायत खरगहनी के 38 किसानों से 52 एकड़ आदिवासियों की कृषि जमीन फर्जीवाड़ा कर गैर आदिवासी के नाम से रजिस्ट्री किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप ने बताया कि महावीर कोलवासरी खोलने और कोलवासरी तक बाकीघाट पहाड़ खोदकर रेल पटरी बिछाने का काम किया जा रहा है। बिना माइनिंग अनुमति मिट्टी, मुरुम, पत्थर पाटने का कार्य किया जा रहा है। शिकायत के बावजूद ना तो जिला प्रशासन गंभीर है और ना ही माइनिंग विभाग सजग है। ऐसा लगता है कि महावीर कोलवाशरी को प्रशासन ने फर्जीवाड़ा और लूटपाट के लिए पूरा मैदान खाली कर दिया है।
जनता की आवाज को दबाया जा रहा
प्रेस वार्ता कर दिलीप अग्रवाल, और उदय सिंह ने बताया कि गोयल मेसर्स ने महावीर कोलवासरी तक रेल लाइन बिछाने के लिए बाकीघाट पहाड़ खोदकर मैदान बना दिया है। लगभग 4000 हाइवा जीरा गिट्टी महावीर कोलवासरी में डम्प किया गया है। पहाड़ को खोदकर मुरुम पाटा जा रहा है। खनिज का अवैध उत्खनन को लेकर कई बार शासन प्रशासन के सामने विरोध जाहिर किया गया। बावजूद इसके जनता की अवाज को सुनने को कोई तैयार नहीं है।
दिलीप ने आरोप लगाया कि बिना लीज के पहाड़ काटा जा रहा है। हमने कई बार विरोध किया। स्थानीय प्रशासन को बताया। लेकिन अधिकारी डांटकर भगा देते हैं। कहते हैं कि बाहरी लोग गांव की जनता को भड़का रहे हैं। अपनी नेतागिरी चमका रहे हैं।हमने कलेक्टर, स्थानीय विधायक, उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री से भी शिकायत की है। लेकिन हमारी आवाज को किसी ने नहीं सुना। दुख होता है कि प्रदेश का मुखिया आदिवासी है.. बावजूद इसके आदिवासियों को खुले आम लूटा जा रहा है। हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया के सामने गुहार लगाने आए है। आदिवासी समाज के लिए न्याय की मांग करने आए हैं।
महावीर कोलवाशरी को अधिकारियों का समर्थन
उदय सिंह ने बताया कि सरकार कहती है एक पेड़ माँ के नाम करें। दुर्भाग्य जनक है बिलासपुर में महावीर कोलवासरी के नाम आदिवासियों की जमीन की जा रही है। दिलीप ने कहा जब हमने आदिवासियों का पक्ष लिया तो हमारे खिलाफ प्रबंधक के लोगों ने 23 जून को एफआईआर दर्ज करा दिया। हमें प्रबंधन के लोगों से ही जानकारी मिली कि हमारे खिलाफ अडानी के कहने पर एफआईआर दर्ज कराया गया है। ताकि महावीर कोलवाशरी के खिलाफ कोई सिर ना उठा सके। दिलीप ने आरोप लगाया कि सच का गला घोंटा जा रहा है। महावीर कोलवासरी के पास आदिवासी क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने को लेकर वैध दस्तावेज नही है। शासन कोलवाशरी के दबाव में जाँच करने से बच रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि कोटा विकासखड के कलमीटार रेलवे स्टेशन के पास विरोध के बावजूद महावीर कोलवासरी का काम शुरू हो गया है। फर्जीवाड़ा करने वाले वाशरी के विरोध में 5 पंचायत के लोगो ने धरना प्रदर्शन किया। प्रबंधन ने सभी को डरा धमका कर भगा दिया। समझ में नही आ रहा है कि आसपास के आदिवासी लोगो की 52 एकड़ भूमि की रजिस्ट्री कैसे हो गई। जबकि क्षेत्र में पेसा एक्ट लागू है। बावजूद इसके नियम विरूद्ध आदिवासियों की सारी जमीन फर्जीवाड़ा कर खरीदा गया।
जमीन खरीदी में फर्जीवाड़ा
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप गया है कि फर्जीवाड़ा कर खरीदी गयी आदिवासियों की जमीन पर 96 हजार टन स्टाक के साथ
महावीर कोलवासरी शुरू किया गया। लेकिन कागज में सिर्फ ढाई लाख टन कोयला स्टॉक रखने की अनुमति है। वर्तमान में महावीर कोलवासरी में एक किलो कोयला स्टॉक नही है। दरअसल कागजो में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। उदय ने कहा कि ग्रामवासियो को डराया धमकाया जा रहा है। अधिकारी प्रबंधन की बोली बोल रहे हैं। धमकी दे रहे हैं कि कोलवासरी का विरोध करोंगे तो पंचायत चुनाव नही लड़ पाओगे। हाथ पैर तोड़ देंगे, मरवा देंगे की धमकी दी जा रही है। कोलवासरी के महाप्रबंधक संदीप ने प्रदर्शनकारियों को जमीन में गाड़ने की धमकी दी है।
नहीं लड़ पाओगे चुनाव..धमकी
प्रबंधन ने ग्राम पंचायत खरगहनी के किसानों से जमीन खरीदते समय बताया गया कि खेती करेंगे। 52 एकड़ जमीन झारखंड निवासी राजेन्द्र सिंह गोड ने खरीदा। अब उसी जमीन पर महावीर कोलवाशरी ने प्लान्ट तैयार करना शुरू कर दिया है। ग्राम पंचायत खरगहनी के उपसरपंच दिनेश साहू ने बताया कि 2020 में महावीर कोलवासरी ने एनओसी मांगा। सभी ने पंचायत क्षेत्र में कोलवासरी का विरोध किया। एनओसी देने से मना कर दिया। लेकिन प्रबंधन ने गुचपुप तरीके से सरपंच शकुंतला मरावी से एनओसी हासिल कर लिया। जानकारी के बाद जब हमने विरोध किया। अब महावीर कोलवाशरी से धमकी मिल रही है कि पंचायत चुनाव नही लड़ पाओगे। तुम्हारा घर नही बनने देंगे।
ग्रामीणों ने कहा कि यदि हमारी गुहार को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हम मुख्यमंत्री निवास का घेराव करंगे। राष्ट्रपति महोदया के नाम ज्ञापन देने राष्ट्पति भवन दिल्ली भी जायँगे।