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कोयला मंत्रालय का ऐतिहासिक कदम..इन खदानों से कभी नहीं होगा उत्पादन..असीम संभावनाओं के बीच CMD ने लिया समापन प्रमाण पत्र
बैतूल जिले के तीन खदानों को मिला समापन प्रमाण पत्र
नागपुर—नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय खान मंत्री की विशेष उपस्थिति में भारत के कोयला खनन इतिहास में बड़ा कदम उठाया गया। संचालित खदान में कोयला खत्म होने के बाद पहली बार कोयला मंत्रालय ने समापन प्रमाण पत्र जारी किया है। प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने के दौरान कार्यक्रम में खनन मंत्री के अलावा खान राज्य मंत्री सतीष चन्द्र दुबे, कोयला मंत्रालय सचिव विक्रम देव दत्त, कोल नियंत्रक सजीश कुमार और कोयरला मंत्रालय समेत कोयला नियंत्रक के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
कोयला मंत्रालय का एतिहासिक कदम
कोयला मंत्रालय ने जिम्मेदारी निभाते हुए कोयला खनन की दिशा में खदान बन्द करने का समापन प्रमाण पत्र जारी कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने डब्ल्यूसीएल को पाथाखेड़ा II अन्डर माइन, पाथाखेड़ा -I अन्डर माइन और सतपुड़ा II अन्डर माइन को खदान बंद करने का प्रमाणपत्र दिया है। कार्यक्रम के दोरान कोयला मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि डब्ल्यूसीएल स्थित पाथाखेड़ा क्षेत्र में संचालित तीनों खदानों का कोयला खत्म हो गया है। तीनों खदानों का संचालन पिछले आधे दशक से अधिक समय तक किया गया। कोयला खत्म होने के कारण उत्खनन का काम बन्द हो गया है। इसलिए मंत्रालय संबधित कोयला खदान क्षेत्र के समुचित विकास को ध्यान में रखते हुए पहली खदान बंद करने का प्रमाण पत्र जारी किया है। ऐसा कर कोयला मंत्रालय ने टिकाऊ खनन की दुूनिया में अहम् उपलब्धि हासिल किया है। साथ ही कोयला खनन क्षेत्र में पर्यावरण गुणवत्ता को बनाए रखने केदिशा मैें सार्थक निर्णय का फैसला भी किया है।
वरिष्ठ अधिकारियों को समापन पत्र
जनसम्पर्क अधिकारी मिलिन्द चहान्दे ने बताया कि नई दिल्ली में 22 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में खदान बन्द होने का प्रमाण पत्र डब्लूसीएल सीएमडी, डब्ल्यूसीएल जेपी द्विवेदी, जीएम (सुरक्षा) दीपक रेवतकर और पाथाखेड़ा क्षेत्र महाप्रबंधक एल.के. महापात्र ने लिया। प्रमाणपत्र दिए जाने का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की सुरक्षा , पुनर्ग्रहण और पुनर्वास की दिशा में कम्पनी ने बेहतर किया है। साथ ही भविष्य में कुछ बेहतर किए जाने की संभावनाओं को महत्व भी दिया है।
तीन खदानों को समापन प्रमाणपत्र
डब्लूसीएल जन सम्पर्क अधिकारी मिलिन्द चहान्दे ने बताया कि पाथाखेड़ा खदान नंबर- II अन्डर माइन मूल रूप से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में है। खदान का संचालन एनसीडीसी के स्वामित्व में जनवरी 1970 में खोली गई थी। कोयले का भंडार ख़त्म होने के कारण खदान को बंद किया गया है। इसी तरह बैतूल जिले के पाथाखेड़ा में अन्डर ग्राउन्ड खदान–I 16 मई, 1963 में स्थापित किया गया। इसके अलावा बैलूत जिले में सतपुड़ा II यूजी खदान: जून 1973 में खोला गया। तीनों ही खदानों में कोयला खत्म हो गया है। इसलिए तीनों खदान को बंद किया गया।
विकास की अपार संभावनाएं
मिलिन्द ने बताया कि समापन प्रमाणपत्र जारी होने के बाद जगहों का पुनरुद्धार होगा। रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। पर्यावरण अनुकूल कोयला खनन के प्रति लोगों में जागरूकता भी आएगी। भारतीय कोयला खनन इतिहास में पहली बार कोयला खदानों को समापन प्रमाणपत्र दिया जाना अपने आप में बहुत बड़ा कदम है।