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मुख्यमंत्री की बुलाई पारंपरिक चाय बैठक का बहिष्कार करने का फैसला

नागपुर। महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों ने रविवार को राज्य विधानसभा के एक सप्ताह तक चलने वाले शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई पारंपरिक चाय बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया।

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रव‍िवार सुबह बैठक करने वाले विपक्षी दलों ने दावा किया कि दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, बिगड़ती कानून व्यवस्था, विशेषकर बीड़ जिले के एक सरपंच की दिनदहाड़े हत्या तथा संकटग्रस्त किसानों के प्रति सरकार की उपेक्षा के बीच चाय बैठक में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है।

महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र सोमवार से शुरू होगा और निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 21 दिसंबर को समाप्त होगा।

राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने मुख्यमंत्री फडणवीस को लिखे पत्र में इस निर्णय की जानकारी दी और आरोप लगाया कि महायुति सरकार भ्रष्टाचार और दिनदहाड़े हत्याओं की अपराधी है।

उन्होंने विपक्ष की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “दिनदहाड़े हत्या करने वाली सरकार सत्ता में है। सरकार किसान विरोधी है और दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप है।

सरकार ने सोयाबीन और कपास का उचित मूल्य सुनिश्चित नहीं किया है और दूध की खरीद कीमतों में कटौती की है। सरकार किसानों की हालत दयनीय बना रही है। विपक्ष इन मुद्दों को शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में उठाएगा।”

संविधान के अपमान के बाद परभणी में भड़की हिंसा का जिक्र करते हुए दानवे ने कहा कि परभणी में संविधान के अपमान को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद तलाशी अभियान के दौरान गिरफ्तार किए गए युवक सोमनाथ सोमवंशी की जेल में मौत हो गई।

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उन्होंने दावा किया, “जब ये सारी घटनाएं हो रही थीं, तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जुलूस और अभिनंदन समारोह में शामिल थे।” उन्होंने पूछा, “क्या सरकार इन सभी घटनाओं पर ध्यान दे रही है?”

उनके साथ राज्य विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता विजय वडेट्टीवार, एनसीपी (एसपी) विधायक दल के नेता जितेंद्र आव्हाड और शिवसेना (यूबीटी) के सचेतक सुनील प्रभु भी मौजूद थे।

विपक्ष ने बीड जिले के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की भी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि देशमुख की हत्या में शामिल व्यक्ति कथित तौर पर एनसीपी (एसपी) विधायक और पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी था।

राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने आरोप लगाया कि सरपंच की हत्या में शामिल हत्यारे उसके शव को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार थे।

दानवे ने कहा कि नशे की समस्या बढ़ने के बावजूद सरकार ने इसके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने आरोप लगाया कि महायुति सरकार ईवीएम के दम पर सत्ता में आई है।

उन्होंने दावा किया कि मरकडवाड़ी के ग्रामीणों को मॉक पोल करने से रोक दिया गया था और प्रशासन ने ग्रामीणों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे।

वडेट्टीवार ने कहा, “विदर्भ के लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद तीन सप्ताह का सत्र होगा और मुख्यमंत्री इस क्षेत्र से होंगे। लेकिन, सत्र एक सप्ताह का होगा।

सोयाबीन के लिए कोई गारंटीकृत मूल्य नहीं है और धान के लिए कोई मूल्य नहीं है। सरकार से किए गए वादों को पूरा करने की उम्मीद थी। हालांकि, सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक सोयाबीन खरीद केंद्र नहीं खोले हैं।

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