
CG NEWS:सरकार के इंजन का यह डिब्बा सात महीने से एक्स्ट्रा लोड का शिकार होते हुए बेलगाम .. पढ़े पॉइंट-टू-पॉइंट छोटी सी रपट
CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) ।राज्य सरकार के इंजन से जुड़ा स्कूल शिक्षा विभाग का डब्बा बीते करीब सात महीनों से एक्स्ट्रा लोड का शिकार है। इसकी शुरूवात छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री रहे कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर लोकसभा से सांसद चुने जाने के बाद 19 जून को मंत्री पद से त्यागपत्र देने के साथ ही हो गई थी ..! बृजमोहन के इस्तीफा देने से उनके पास के सारे मंत्रालय जिसमें उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा सहित अन्य करीब कई अहम विभाग वे मुख्यमंत्री के प्रभार में आ गए ..! करीब इन सात महीने से कर्मचारियों और छात्रों की संख्या बल के लिहाज से महत्वपूर्ण शिक्षा विभाग अपने लिए पूर्ण कालिक मंत्री की तलाश करता रहा है..! जो भाजपा की अंदरूनी सियासत और पार्टी के भीतर चल रहे गुणा भाग में बीते सात महीना से कही अटका हुआ है..। इसके बाद से स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग का सारा दारोमदार एक प्रकार से अधिकारियों के भरोसे ही रहा है..। उसमें भी बहुत से व्यवस्था से जुड़े लोग पिछली सरकार के सिस्टम का हिस्सा है। इस दौरान व्यवस्था से जुड़े कई सवाल भी उठे.. पर यह सवाल दो से तीन नए मंत्री बनने की अटकलों के बीच खो से गए ..!
एक आम सी धारणा है कि मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल कुछ ऐसा होता है कि उनका मिनट टू मिनट कीमती होता है। इसलिए उनके पास जो बड़े विभाग होते है उसके कामकाज पर पूरी तरह पकड़ नहीं रखी जा सकती है। हर एक फाइल को पढ़ा नहीं जा सकता। हर छोटे बड़े निर्णय पर घंटों चर्चा नहीं हो सकती इसलिए कही न कही सारा काम अधिकारियों के भरोसे पर रहता है। यही वजह है कि स्कूल शिक्षा विभाग का काम काज पूरी तरह पटरी पर तो दिखाई देता नहीं लग रहा है..! इस विभाग में पूर्णकालिक मंत्री के नहीं का नतीजा है कि यह विभाग अब बेलगाम सा लगता है। जिसने मुख्यमंत्री के समन्वय से होने वाले वीआईपी शिक्षकों के ट्रांसफर के तरीके पर भी सवाल खड़े किए है।
पॉइंट-टू-पॉइंट कुछ पीछे चले तो देखेंगे कि छात्र हित में सबसे जरूरी शिक्षकों की युक्तिकरण को लेकर भी यह स्कूल शिक्षा विभाग पीछे हट गया। बीएड और डीएड विवाद पर निर्णय लेने में अब तक विभाग का इकबाल कहीं दिखाई नहीं दिया। इसी मामले में प्रदेश में बीएड धारी सहायक शिक्षकों के बाहर जाने के बाद उनकी जगह पर नए शिक्षकों के रूप में अब तक डीएड किए हुए अभ्यर्थियों को सेवा में लेने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है।यही वजह है कि सरगुजा और बस्तर में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होने की कगार में है। वही भर्ती पदोन्नति के लिए मिडिल स्कूलों में विषय बंधन को फिर से लागू करने को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
आज भी प्रदेश के दर्जनों विकास खंडों में व्याख्याता प्रभारी BEO बने हुए हैं।भर्ती पदोन्नति नियमों के राजपत्र के अनुसार व्याख्याता को प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी नहीं बनाया जा सकता इसे लेकर उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी भी की थी उसके बाद भी विभाग ने कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया।
हाल ही में वीआईपी शिक्षकों की समन्वय से तबादला सूची में अपर संचालक,प्राचार्य जिला शिक्षा अधिकारी के साथ सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता के तबादले में एक साथ एक ही आदेश में सूची जारी करना भी चर्चा में रहा। जिला शिक्षा अधिकारी को जिले की शिक्षा व्यवस्था का बॉस मना जाता है लेकिन सूची जारी करते समय उस पद के महत्व को समझा नहीं गया एकल आदेश की बजाय संयुक्त सूची में आदेश जारी करने से विभाग की कार्य शैली सामने आई है।
आलम यह है कि पूर्व सरकार की कार्यकाल के दौरान जमे हुए कई जिलों के समग्र शिक्षा के जिला मिशन समन्वयक को भी यह विभाग कंटिन्यू किए हुए हैं।हालांकि कुछ जगह पर इस मलाईदार पद पर चेहरा देख देख कर बदलाव भी किए गए हैं। लेकिन कोई बड़ी सर्जरी नहीं हुई।
शिक्षकों की पदोन्नति से लेकर प्राचार्य और संचालक स्तर की पदोन्नति भी अटकी हुई है। पदोन्नति से सहायक शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग खाली हो चला है उसकी भर्ती की कयावद अटकी हुई है। यहां बीते एक साल की रीति और नीति गिनाई जाए। तो शब्द कम पड़ सकते है। कुल मिलाकर स्कूल शिक्षा विभाग भगवान भरोसे चल रहा है।
अब राज्य की 11 लोकसभा में से 10 पर भाजपा के निर्वाचित सांसद और राज्य की 90 में से 54 विधायकों की संख्या वाली राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।जिसमें दो उपमुख्यमंत्री सहित आठ मंत्रीमंडलीय वाली मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार निकाय और पंचायत चुनाव में जाने वाली है।
एक ओर राज्य के सबसे बड़े विभाग अपना पूर्ण कालिक मंत्री खोज रहा है। तो वहीं शिक्षा विभाग सहित सरकार के लिए अब निकाय और पंचायत चुनाव की परीक्षा सर पर है। ऐसे में मुद्दे उठना तो लाजमी है। क्योंकि डबल इंजन की सरकार है इसके बाद भी शिक्षा विभाग का डब्बा एक्स्ट्रा लोड का शिकार क्यों है। इन सब बातों से बेखबर सरकार के शुभ चिंतित और रणनीतिकार जमीनी हकीकत से दूर हवा में महल बनाते हुए इस बात को नजरअंदाज कर रहे है कि स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग राज्य की रीड की हड्डी है।