CG NEWS:नगरीय निकाय के चुनाव टलेंगे तो……
CG NEWS:बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव फिलहाल टलते हुए नजर आ रहे हैं । इस चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान अब तक नहीं हो सका है। हालांकि पदों के आरक्षण की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी हो चुकी है। लेकिन विधानसभा में पेश संशोधन विधेयक को देखते हुए माना जा रहा है कि चुनाव की तारीखें आगे बढ़ सकती हैं। फिलहाल चुनाव टालने की वजह को लेकर सभी की अपनी-अपनी राय है। नगरीय निकाय चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे दावेदारों को और भी समय मिल गया है। आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद अब पार्षद के दावेदार अपने वार्ड की तैयारी में जुट गए हैं।
1994 के बाद जब से नए तरीके से नगरीय निकाय के चुनाव कराए जा रहे हैं, तब से हर बार 5 साल के बाद चुनाव होते हैं। मौजूदा नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने में अब कुछ समय बचा है। जिसे देखते हुए माना जा रहा था कि इस बार भी समय पर चुनाव होंगे। लेकिन आरक्षण की प्रक्रिया को देखते हुए कुछ समय लगा। इसके बाद सरकार की ओर से हाल ही में पेश किए गए संशोधन विधेयक के बाद माना जा रहा है कि चुनाव टाले जा सकते हैं। आपस की चर्चाओं में जो बातें आ रही हैं उससे लगता है कि चुनाव को आगे बढ़ाने के पीछे राजनीतिक कारण भी लोग मानते हैं। चर्चाओं में यह बात भी सामने आ रही है कि बीजेपी फिलहाल चुनाव को आगे बढ़ाना चाह रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि देहात के इलाकों में धान खरीदी को लेकर किसानों को हो रही परेशानी की वजह से लोगों में असंतोष है। इसी तरह शहरी इलाकों में भी उनके हिसाब से अनुकूल माहौल नज़र नहीं आ रहा है। वैसे प्रशासनिक स्तर पर भी लचर व्यवस्था के कारण तैयारी उम्मीद के हिसाब से नहीं हो पाई है ।इसे भी एक वजह के रूप में देखा जा रहा है।
दूसरी तरफ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे दावेदारों के नजरिए से देखें तो उन्हें अच्छा समय मिल गया है। क्योंकि समय पर चुनाव कराए जाने की उम्मीद में नगरीय निकायों में पार्षदों के आरक्षण की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी कर ली गई है। इसके पहले के वर्षों में देखा जाता था कि आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के कुछ समय बाद तारीखों का ऐलान हो जाता था। जिससे दावेदारों को कम समय मिल पाता था। इस बार पहले से ही यह साफ हो चुका है कि नगरी निकायों के कौन से वार्ड आरक्षित हैं और कौन से वार्ड सामान्य है। ऐसी सूरत में दावेदार टिकट के लिए सक्रिय हो गए हैं। आरक्षण के बाद दावेदार अपनी पार्टी के बड़े नेताओं से संपर्क बनाए हुए हैं। राजनीतिक दलों को भी तैयारी के लिए उम्मीदवारों के चयन के सिलसिले में तैयारी के लिए समय मिल गया है।