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CG NEWS:छत्तीसगढ़ में कर्मचारी/अधिकारियों की हड़ताल : कसौटी पर है बीजेपी की चुनावी गारंटी …?
CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) ।एक ओर केंद्र की सरकार अपने कर्मचारियों को समय समय पर महंगाई भत्ता देते रहती है।वही करीब चार लाख कर्मचारियों व अधिकारियों के महंगाई भत्ते और गृह भाड़े भत्ते के साथ साथ पिछले एरियर्स को समय पर देने में विष्णु देव साय की सरकार अपने ही किए वादे से पीछे हटते हुए नजर आ रही है..! इससे नाराज मंत्रालयीन अधिकारी कर्मचारी से लेकर ब्लाक स्तर के राज्य के करीब चालीस से पचास विभाग के सभी वर्गों के एक सौ दस से पंद्रह के करीब संघ /संगठन से जुड़े लोग अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले अपने दूसरे चरण में 27 सितंबर हो होने वाले एक दिवसीय चार सूत्रीय मांगो को लेकर काम बंद- कलम बंद आंदोलन का आगाज कर दिए है।
खास बात यह नज़र आती है कि नौ महीने पुरानी सरकार में इस आंदोलन की नीव खुद सत्ता पक्ष के नेताओ ने सत्ता आने के पूर्व अपने वादों से रखी है..! राज्य की सत्ता में आने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर विधान सभा चुनाव लड़ा और जीता भी, जिसमे जीत का बड़ा आधार मोदी की गारंटी बना..। लेकिन राज्य में डबल इंजन की सरकार के नौ महीने होने के बाद भी मोदी की गारंटी में किए गए वादे.. राज्य के अधिकारी और कर्मचारियों के लिए चुनावी बाते साबित होती हुई दिखाई दे रही है .. जिसका नतीजा अब एक दिन की हड़ताल है।
राज्य में होने वाले निकाय और पंचायत चुनाव के करीब मुख्यमंत्री सहित सात नए और तीन पुराने अनुभवी भाजपा के विधायक जो राज्य के कई विभागों के मंत्री है इनकी ओर से अभी तक राज्य के कामकाज को सुचारू रूप से चलने वाले अपने महत्वपूर्ण अंग अधिकारियों व कर्मचारियों को यह समझाते हुए भरोसे में नहीं लिया गया कि उनके लिए की गई घोषणाओं में मोदी की गारंटी कैसे और कब तक पूरी होगी ..? उसका रोड मैप क्या होगा ..?
यही वजह है कि मंत्रालय ,संचालनालय से लेकर विकासखंड कार्यालय और स्कूल के शिक्षक सहित जनपद पंचायत तक के अधिकारियो और कर्मचारियों के भीतर सरकार की वादा खिलाफी के रूप में आक्रोश बैठ गया है। जिसे लेकर 27 सितंबर को एक दिवसीय चार सूत्रीय मांगो को लेकर काम बंद – कलम बंद आंदोलन का आयोजन किया जाना अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन की ओर से प्रस्तावित किया गया है।
मालूम हो कि पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में भी अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन के बैनर तले एक बड़ा आंदोलन किया गया था। जो प्रदेश के इतिहास का अब तक का सबसे सफल और ऐतिहासिक आंदोलन था। वही इस सरकार में एक दिवसीय का आंदोलन बहुत खास हो जाता है..। क्योंकि इस आंदोलन के दौरान सत्ता में वही लोग हैं जो भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए आंदोलन में विपक्ष की भूमिका निभाते हुए अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन के मंच में अपना समर्थन दिए…! मंच से अनेकों जगहों पर घोषणाएं हुई कि हमारी सरकार बनते ही महंगाई भत्ते के लिए कभी आंदोलन की नौबत नहीं आएगी। बकाया एरियर्स तक दिया जाएगा। लेकिन सरकार बनते ही कर्मचारी वर्ग को नजर अंदाज कर दिया गया।
इस बात में दो मत नहीं कि विष्णु देव साय की सरकार ने मोदी की गारंटी में बने अपने घोषणा पत्र के अनुरूप बीते सिर्फ छह महीने के भीतर ही किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। कई योजनाओं को लागू किया लेकिन इन योजनाओं को चलाने वाले जमीनी स्तर पर योजनाओं का लाभ पहुंचाने वाले अधिकारी कर्मचारी पर सरकार की ओर से किए गए बड़े वादे पूरे होने की कोई किश्त भी इन्हे दिखाई नहीं दी है।
यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों अधिकारियों का दबाव समूह अब अपनी एकता अपनी शक्ति का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध का रास्ता चुनते हुए एक दिवसीय काम बंद कलम बंद आंदोलन के रूप में करते हुए शक्ति प्रदर्शन करने वाला है..! वही इस आंदोलन का लाभ अब निकाय और पंचायत चुनाव में विपक्ष के पास इस सरकार को घेरने के लिए बड़ा हथियार साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है।
देखा जाए तो कर्मचारीयों व अधिकारीयों के लिए मोदी की गारंटी में बनी चार सूत्रीय मांग का वादा वित्त से जुड़ा हुआ है..।मुख्य मांगो में केंद्र के सामान महंगाई भत्ता एवं देय तिथि से लंबित DA एरियर्स, चार स्तरीय वेतनमान, केंद्र के सामान गृह भाड़ा भत्ता, 240 दिन के स्थान पर 300 दिन अर्जित अवकाश नगदी करण शामिल हैं।जिसे लेकर बीते नौ महीने में कोई बड़ा निर्णय सरकार की ओर से नही लिया गया है । हो सकता है कि राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी तो नही है…! राज्य सरकार की ऐसी स्थिति कही लोक लुभावन योजनाओं को लागू किए जाने के साइड इफेक्ट तो नही है ..? जो राज्य सरकार अब महंगाई सूचकांक बढ़ने पर अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ता देने में डंडी मारते हुए आना कानी कर रही है ..!