
बड़ी खबरः पटवारी ने 6 लाख रूपया लिया..सरकारी को बना दिया निजी जमीन..रिपोर्ट में खुलासा..आवेदक ने कुल्हाड़ी पर मारा पैर
हाईकोर्ट के आदेश पर जांच पड़ताल में हुआ खुलासा
बिलासपुर—खबर पचपेढ़ी तहसील के ग्राम भुरकुण्डा से है। जांच पड़ताल में खुलासा हुआ है कि तत्कालीन पटवारी राजीव टोन्ड्रे ने 6 लाख रूपये लेकर सरकारी जमीन को निजी स्वामी के नाम पर चढाया है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जांच पड़ताल के दौरान मामले का खुलासा हुआ। सूत्र के अनुसारह एसडीएम ने रिपोर्ट में बताया है कि पटवारी राजीव टोन्ड्रेै ने मंशाराम से सरकारी जमीन को निजी बनाने के लिए तहसीलदार और एसडीएम के नाम 6 लाख रूपया लिया। इसके बाद रिकार्ड दुरूस्त करने के साथ पर्ची काटा है।
खबर मस्तूरी विकासखण्ड के पटपेढ़ी तहसील से है। जानकारी के अनुसार तत्कालीन पटवारी ने पांच एकड़ सरकारी जमीन को निजी बनाने के लिए आवेदक मंशाराम से 6 लाख रूपया लिया है। मामले का खुलासा हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच पड़ताल के दौरान सामने आया है।
कहां से आई सरकारी जमीन
जानकारी देते चलें कि पचपेढ़ी तहसील स्थित भुरकुण्डा गांव में 1928-29 में खसरा नम्बर 423 में अयोध्या प्रसाद के नाम करीब 15 एकड़ जमीन दर्ज था। बाद में आयोध्या प्रसाद के वारिश अमरनाथ नाथ साव ने अपने पिता गेंदराव साव के नाम पर प्रसूति गृहन निर्माण के लिए जमीन मध्यप्रदेश सरकार को दान में दिया। यद्यपि इसके पहले साल 1954-55 में यह जमीन मध्यप्रदेश स्वास्थ्यव विभाग के नाम पर रिकार्ड में दर्ज पाया गया। 1996 तक खसरा की 15 एकड़ जमीन सरकार के नाम पर रिकार्ड में दर्ज है। साल 2007 से 2016 तक खसरा 423 की जमीन छत्तीसगढ स्वास्थ्य विभाग के नाम पर है। नई व्यवस्था के तहत 2017 से 2021 तक यह जमीन घास मद में दर्ज होना पाया गया।
हाईकोर्ट जाकर पैर पर मारा कुल्हाड़ी
सीजीवाल संवाददाता को जानकारी मिली कि मंशाराम ने राजस्व प्रशासन को आवेदन कर बताया कि 423/2,423/3,423/4 की कुल पांच एकड़ उसकी निजी जमीन है। 2009 में धान बेचने के लिए सोसायटी से पर्ची कटवाया है। 2021 में धान बेचने के लिए सोसायटी में पंजीयन कराने गया। लेकिन रिकार्ड में जमीन को सरकारी होना बताया गया। इसके बाद मंशाराम हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमीन दिये जाने की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश पर राजस्व टीम ने जांच पड़ताल किया। पटवारी और तहसीलदार की रिपोर्ट पर तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को सरकारी होना बताया।
6 लाख लिया..रिकार्ड से छेड़छाड़
सूत्र की माने तो एसडीएम रिपोर्ट के अनुसारह खसरा नम्बर 423/2,423/3,423/4 की कुल 5 एकड़ जमीन पर अपना होने का दावा किया है। जबकि इसमें किसी प्रकार की सच्चाई नहीं जांच पड़ताल के दौरान पाया गया कि तत्कालीन पटवारी राजीव टोन्ड्रे ने मंशाराम से 6 लाख रूपया लेकर रिकार्ड से छेड़छाड़ किया। राजीव टोन्ड्रे ने सरकारी जमीन को निजी बनाने के लिए मंशाराम से 6 लाख रूपया लिया है। उसने बताया कि रूपया तहसीलदार और एसडीएम को देंगे। इसके बाद ही पर्ची कटेगी। मांगे जाने पर मंशााम ने 6 लाख रूपया राजीव टोन्ड्रे को दिया। पटवारी राजीव ने सरकारी जमीन को काटकर निजी जमीन बनाया। इसके बाद राजीव टोन्ड्रे ने मंशाराम के नाम पर पर्ची काटा। बहरहाल पटवारी राजीव टोन्ड्रे इस समय जीपीएम जिले में पदस्थ है।
तहसीलदार की भूमिका
सूत्र ने बताया कि मंशाराम के साथ इसमें तत्कालीन तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है। जानकारी के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम में तहसीलदार ने राजीव टोन्ड्रे को ना केवल ऐसा करने के लिए मजबूर किया है। बल्कि तत्कालीन एसडीएम को अंधेरे में रखकर नामांतरण और रजिस्ट्री कराने में योगदान दिया है।