बिलासपुर में होगा ओबीसी का मेयर…आओ जाने क्या कहता है छ्त्तीसगढ़ सरकार का राजपत्र…प्रदेश में कितनी जातियां हैं ओबीसी में शामिल…
छत्तीसगढ़ राजपत्र में ओबीसी जातियों की संख्या 95 से अधिक
बिलासपुर—आरक्षण घोषणा के बाद बिलासपुर नगर निगम अन्य पिछड़ा वर्ग के खाते में गया है। पिछली बार बिलासपुर नगर निगम सामान्य वर्ग घोषित था। लेकिन मेयर पद पर पिछड़ा वर्ग प्रत्याशी रामशरण यादव की हुई। एक बार फिर मेयर पद की लाटरी पिछड़ा वर्ग के खाते में गयी है।
आरक्षण और चुनाव एलान के साथ ही बिलासपुर नगर निगम मेयर पद के ओबीसी दावेदारों की लाइन लग गयी है। कुछ ऐसे भी दावेदार सामने आए..जिन्हें अब तक सामान्य माना जाता था। लेकिन उन्होने ओबीसी सर्टिफिकेट के साथ आरक्षण लाभ का दावा किया है। बहरहाल अब एक नई प्रकार की चर्चा शुरू हो गयी है कि आखिर ओबीसी जातियां कौन कौन सी है। क्या ऐसे लोग दावा कर सकत हैं जो दूसरे राज्य में ओबीसी वर्ग से हैं..और छत्तीसढ़ में आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं।
सवाल उठने के साथ ही जाहिर सी बात है कि लोग सरकारी अपना दावा मजबूत करने सरकारी दस्तावेज खंगालना शुरू कर दिया है। अब सवाल उठना लाजिम है कि आखिर छत्तसीगढ़ में ओबीसी जातियां कौन कौन सी है।
जानकारी देते चलें कि एक नवम्बर 2000 में राज्य बनने के बाद मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने 7 मार्च 2014 को राजपत्र में राज्य के अल्प पिछड़ा वर्ग जातियों के नाम का प्रकाशन किया। समय समय पर कुछ जातियों को संशोधन के साथ निकाला गया और जोड़ा भी गया। राज्य सरकार ने एक बार फिर साल 2020 में नए सिरे से ओबीसी जातियों,उपजातियों और समूह के नाम का प्रकाशन राजपत्र में किया। जो आज भी मान्य है। राजपत्र के अनुसार छत्तीसगढ में इस समय ओबीसी की 95 से 100 बड़ी जातियां निवास करती है। इसकी सैकड़ों उप जातियां और इससे कहीं ज्यादा समूह है। इनके कार्यों का भी जिक्र राजपत्र में किया गया है।
सवाल उठता है कि आखिर छत्तीसगढ़ में ओबीसी जातियों उपजातियों और समहूों का नाम और उनका कार्य क्या है। आईए पढ़ते हैं राजपत्र में प्रकाशित ओबीसी जातियों का नाम..
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