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आरक्षण अध्यादेश को चुनौती…हाईकोर्ट में याचिका दाखिल.. ओबीसी को लेकर हुई सरकार से चूक

नगरीय निकाय चुनाव आरक्षण के खिलाफ याचिका

बिलासपुर।… नगरीय निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर सूरजपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है… उपाध्यक्ष ने राज्य सरकार के पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती दी है।

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याचिका मे कहा गया है कि राज्य सरकार ने अध्यादेश लाकर चूक की है.. कोर्ट ने अभी तक याचिका पर सुनवाई तय नहीं हुई है। याचिका में बताया गया है कि अध्यादेश जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ विधान सभा के 16 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक के सत्र में अध्यादेश को पारित नहीं कराया गया है.. अध्यादेश को सिर्फ विधान सभा के पटल पर रखा गया है… इसलिए  यह अध्यादेश वर्तमान में विधि-शून्य और औचित्यहीन है… ऐसी स्थिति में वर्तमान में संशोधन के आधार छत्तीसगढ़ पर पंचायत निर्वाचन नियम (5) में 24 दिसंबर 2024 को किया गया संशोधन पूर्णतः अवैधानिक हो गया है…

याचिका में आरक्षण को चुनौती देते हुए अध्यादेश को निरस्त करने की मांग की गई है.. सूरजपुर ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने अपने एडवोकेट शक्तिराज सिन्हा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है.. 

ओबीसी के साथ अन्याय

याचिका में बताया गया कि राज्य शासन ने ओबीसी आरक्षण को कई जिलों में शून्य कर दिया है.. ,याचिकाकर्ता के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार ने पांचवी अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है..   सरकार ने पिछले साल 3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 लाया है..

संविधान के अनुच्छेद 213 में दिए गए प्रावधान के तहत कोई भी अध्यादेश अधिकतम छह माह की अवधि तक ही क्रियाशील होता है.. या विधान सभा में प्रस्ताव पारित कर अध्यादेश को अधिनियम का रूप दिलाना होता है… 

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