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स्टोर कीपर बन गया फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार..नियुक्ति को याचिकाकर्ता ने बताया गलत..हाई कोर्ट से विवादित आदेश पर रोक
रजिस्ट्रार नियुक्ति में धांधली..सुनवाई के बाद हाईकोर्ट से रोक
बिलासपुर—छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के विवादित आदेश पर रोक लगा दिया है। हाईकोर्ट ने विवादित नियुक्ति आदेश पर आईएमए चेयरमैन औरफार्मेसी कौंसिल मेंबर डा राकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद लगाया है। मामले में याचिका कर्ता के वकील संदीप दुबे ने बताया कि मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के आदेश और क्रियान्वयन पर रोक लगा दिया है।
आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चेयरमैन और फार्मेसी कौंसिल मेंबर डा राकेश गुप्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका पेश किया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि डा गुप्ता मेडिकल कौंसिल आफ छत्तीसगढ़ के निर्वाचित सदस्य हैं। छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान और व्यवस्था के तहत डॉ.गुप्ता फार्मेसी कौंसिल ऑफ छततीसगढ़ के नामिनेटेड मेंबर हैं। 2020 से फार्मेसी कौंसिल के मनोनित सदस्य हैं। इस वह अपना काम धाम भी कर रहे हैं। संदीप दुबे के अनुसार कोर्ट को याचिका पर बहस के दौरान बताया गया कि सत्ता परिवर्तन के साथ राज्य सरकार ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार की नियुक्ति के समय नियमों और निर्देशों का खुलकर उल्लंघन किया है।
कोर्ट को संदीप ने बताया कि राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर स्वास्थ्य विभाग के स्टोर कीपर को अश्वनी गुरदेकर को फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त कर दिया। जबकि अश्वनी स्वास्थ्य विभाग में तृतीय वर्ग का कर्मचारी है। रजिस्ट्रार के पद पर काबिज होते ही अश्वनी गुरदेकर ने डॉ. गुप्ता को पद से हटा दिया। जबकि पद से हटाने का कारण बताया गया कि डॉ. गुप्ता तीन मीटिंग में लगातार अनुपस्थित रहे है। याचिकाकर्ता की तरफ से संदीप दुबे ने कोर्ट के बतया कि इस तरह के आरोप लगाकर पद से हटाने का अधिकार रजिस्ट्रार को नहीं है। रजिस्ट्रार ने नियमों विपरीत जाकर आदेश जारी किया है।
रजिस्ट्रार को जानकारी नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि फार्मेसी कौंसिल एक्ट और अन्य प्रावधान के अनुसार मेंबर्स को हटाने का अधिकार रजिस्ट्रार को नहीं है। किसी मेैम्बर को हटाने के लिए सामान्य सभा की बैठक होती है। इस दौरान आरोप सार्वजनिक रूप से रखा जाता है। सामान्य सभा में उपस्थित मेंबर्स के फैसले पर कार्रवाई होती है। रजिस्ट्रार ने सामान्य सभा के अधिकार का हनन किया है। ऐसा किया जाना नियम के खिलाफ है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के विवादित आदेश और क्रियान्वयन पर रोक लगा दिया है।
ऐसे होता है कौंसिल का गठन
संदीप दुबे ने बताया कि फार्मेसी कौंसिल एक्ट के अनसार कौंसिल में कुल 15 सदस्य होते हैं। इसमें छह इलेक्टेड और नामिनिटेड सदस्यों की भी संख्या छह होती है। कोई भी निर्णय सामान्य सभा की बैठक में बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
कौन बनते हैं कौंसिल के रजिस्ट्रार
फार्मेसी कौंसिल एक्ट और प्रावधान के अनुसार कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी को बैठाया जाता है। एक्ट के अनुसार सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार होंगे। राज्य शासन ने नियमों के विपरीत जाते हुए नियुक्ति आदेश जारी किया है।