हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से पकड़े गए 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय

मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलाया गया सफलतापूर्वक अभियान

भोपाल 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर किसानों की फसलों को नुकसान से बचाने के लिये शाजापुर, उज्जैन और आस-पास के इलाकों में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का सफल प्रयोग वन्य जीवों को सुरक्षित पकड़ कर स्थानांतरित करने के लिए किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एक बार फिर संवेदनशीलता दर्शाते हुए लंबे समय से कृष्णमृगों और नीलगायों द्वारा फसलों को पहुंचाये जा रहे भारी नुकसान से बचाने के लिये निर्देश जारी किये थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर किसानों की इस गंभीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए देश में अपनी तरह का पहला प्रयास किया गया। अभियान के अंतर्गत वन्य जीवों को बिना हानि पहुँचाए अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से पकड़ कर सुरक्षित क्षेत्रों में छोड़ा गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “यह अभियान वन्य जीव संरक्षण और किसानों की सुरक्षा, दोनों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। मध्यप्रदेश में हम ऐसा संतुलन स्थापित करना चाहते हैं जहाँ प्रकृति, वन्य जीव और किसान, तीनों सामंजस्य के साथ आगे बढ़ें।” उन्होंने वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के समर्पण की सराहना करते हुए कहा टीम ने दीपावली के दौरान भी इस अभियान में हिस्सा लिया, जो उनके सेवा और वन्य जीव संरक्षण के प्रति समर्पण भाव का प्रतीक है।

हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक का अभिनव प्रयोग
अभियान में दक्षिण अफ्रीका की ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ कंपनी के 15 विशेषज्ञों ने भागीदारी की। विशेषज्ञों ने प्रदेश में वन विभाग की टीम को प्रशिक्षित किया और उनके सहयोग से 10 दिन तक लगातार अभियान चलाया गया। अभियान में रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया। इसे इस तरह के अभियानों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले क्षेत्रों में वन्य जीवों की लोकेशन का सर्वे किया गया। इसके बाद रणनीतिक रूप से ‘बोमा’ बनाया गया। हेलीकॉप्टर की सहायता से फिर धीरे-धीरे हांका लगाकर जानवरों को सुरक्षित रूप से एक फनल (शंकु) आकार की बाड़ में प्रवेश कराया गया, जो जानवरों को भयभीत होने से बचाने के लिए घास और हरे जाल से ढकी होती है। बोमा में आये वन्य जीवों को वाहनों से सुरक्षित रूप से अभयारण्य तक पहुँचाया गया। अभियान में अनुभवी दक्षिण अफ्रीकी पायलट के साथ भारतीय पायलट भी शामिल थे।

अभियान में सफलता पूर्वक 913 वन्य जीवों का किया गया सुरक्षित पुनर्वास
लगभग दस दिनों तक चले इस अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सफलतापूर्वक पुनर्वास कराया गया। इनमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय शामिल हैं। सभी नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य के 64 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में छोड़ा गया। साथ ही कृष्णमृगों को गांधीसागर, कूनो और नौंरादेही अभयारण्यों के उपयुक्त स्थानों पर पुनर्स्थापित किया गया। अभियान में वन्य जीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। सभी वन्य जीव अब अपने नए आवासों में स्वच्छंद होकर विचरण कर रहे हैं।

प्रशिक्षण और भविष्य की रणनीति
वन विभाग ने वन्य जीवों के पुनर्वास के चलाये गये अभियान में एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया, जो दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है। यह दल भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी इस प्रकार के कैप्चर ऑपरेशन्स संचालित करेगा। जिला प्रशासन और ग्रामीण समुदाय ने इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की। अभियान के दौरान यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि इस तकनीक से किसी भी वन्य जीव को बेहोश (ट्रैंक्युलाइज) करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। वन्य जीवों की पुनर्स्थापना की, जिससे पूरी प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक बनी रही।

अभियान से किसानों को मिली राहत
नीलगायों और कृष्णमृग के पुनर्वास अभियान के परिणामस्वरूप उज्जैन, शाजापुर और आसपास के क्षेत्रों के किसानों ने राहत की सांस ली है। कृष्णमृग और नीलगायों द्वारा फसलों को रौंदने और खाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे किसानों की आर्थिक हानि में कमी आयेगी और वन्य जीव-मानव के बीच सह-अस्तित्व की भावना भी सशक्त होगी।

अभियान न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए एक नवीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह सिद्ध करता है कि आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञता और जनसहयोग से मानव-वन्य जीव संघर्ष को मानवीय और वैज्ञानिक तरीकों से हल किया जा सकता है। भविष्य में वन विभाग ऐसे और अभियानों को अन्य जिलों में भी चलाने की योजना बना रहा है, जिससे किसानों को राहत मिले, वन्य जीव सुरक्षित रहें और पर्यावरणीय संतुलन कायम रहे। अभियान को सफल बनाने में वन विभाग, दक्षिण अफ्रीका की ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ टीम, स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग, और ग्रामीणों का अभूतपूर्व सहयोग रहा।

प्रशासनिक और विशेषज्ञों की निगरानी में चला अभियान
अभियान की हर गतिविधि की सतत् निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव अभिरक्षक श्री शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक (चीता प्रोजेक्ट) श्री उत्तम शर्मा और मुख्य वन संरक्षक उज्जैन श्री एम.आर. बघेल स्वयं अभियान स्थल पर उपस्थित रहे। इस अभियान में वाइल्ड लाइफ एवं फॉरेस्ट्री सर्विस के डॉ. कार्तिकेय ने तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इससे पहले गौर (बाइसन) ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट में भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। शाजापुर विधायक श्री अरुण भीमावद ने भी अभियान स्थल पर पहुंचकर इस अभिनव पहल की सराहना की। अभियान की सफलता पर एसीएस फॉरेस्ट श्री अशोक बर्णवाल और वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्हीएन अम्बाडे भी टीम को बधाई दी गई। 

CG ki Baat marsbahis giriş güncelsplashmarsbahis giriş güncelselçuksportssakarya escortultrabetjojobettaraftarium24Betpas girişjojobetnitrobahispusulabet girişgrandpashabet girişmeritking girişholiganbet girişmeritkingdeneme bonusugrandpashabetgrandpashabetpusulabetgrandpashabetpusulabetmeritkingholiganbetultrabetonwinultrabetonwinmatadorbetsahabetgrandpashabet giriş1xbetgrandpashabetjojobetjojobetholiganbet girişpusulabet girişgrandpashabetjojobetonwin girişmeritkingultrabet girişpusulabetholiganbet girişonwinmeritkingmarsbahispusulabetvaycasinonitrobahisholiganbetmarsbahis giriş güncelsweet bonanza oynamatbetpusulabetmatbetultrabetjojobetgrandpashabetgates of olympussweet bonanzabahiscasinobetovisbetofficevaycasinojojobetjojobetjojobetholiganbetBetpas girişCasibom Yeni Üyelere Bonuslarmarsbahisbetnanohttps://ballinacurra.com/matbetcasibombetcioatlasbettrendbetwbahisparibahisHoliganbetCasibommarsbahismarsbahisbetnanojojobetwinxbetcasibom güncel girişcasibom güncel girişcasibom resmi girişCasibom GirişcasibomCasibomaresbetmeritkingCasibom Orjinal GirişCasibom Advertisement Carousel