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आदेश का नहीं किया पालन…हाईकोर्ट ने सीनियर प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाया..परदेशी, आनन्द,शारदा और प्रसन्ना को देना होगा जवाब

आदेश का पालन नहीं किया, वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को कोर्ट ने किया तलब

बिलासपुर—बार बार कहे जाने के बाद भी आदेश का पालन नही किए जाने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस संजय एस अग्रवाल की अध्यक्षता में राज्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ चल रहे अवमानना मामले मे हाईकोर्ट ने प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है। कोर्ट ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी परदेशी,आनन्द, शारदा वर्मा और प्रसन्ना को बुलाया है।
निर्धारित समय पर काम नहीं
हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ चल रहे अवमानना मामले में सख्त निर्देश जारी किया है।  डॉ. दीपक कुमार शुक्ला और अन्य ने याचिका दायर किया । मामला अदालत के पहले दिए आदेशों को लागू करने में देरी को लेकर है। अवमानना याचिका..राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों और पुनर्विचार याचिका में पारित आदेशों का पालन नही किए जाने को लेकर दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों को बरकरार रखा। साथ ही मामले को निर्धारित समय के भीतर पूरा करने को कहा। बावजूद इसके वरिष्ठ वेतनमान, प्रवर ग्रेड और पे बैंड IV के लिए याचिकाकर्ताओं के दावों को चार महीने के निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया गया।
एक लाख का वारंट जारी
      मामले को लेकर हाईकोर्ट के बार निर्देश पर भी आदेश का पालन नहीं किया गया। 8 मई 2024 को कोर्ट ने  प्रतिवादियों को आदेशों का पालन नही किए जाने का जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि आदेश का पालन नहीं किए जाने पर प्रतिवादी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। बावजूद इसके 19 जून 2024 पहले की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया। मतलब आदेशों का पालन नहीं करते हुए प्रतिवादी अदालत में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने इसके बाद सभी के  खिलाफ 1,00,000 की जमानती वारंट जारी किया। आदेश को 3 जुलाई 2024 तक लागू होना था।
अवमानना का आरोप
मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने सिद्धार्थ कोमल परदेशी, अंकित आनंद, शारदा वर्मा, आर. प्रसन्ना को 10 मार्च 2025 को उपस्थित होने और यह बताने का निर्देश दिया कि क्यो न उनके खिलाफ अवमानना का आरोप लगाए जाएं।
 
प्रतिवादियों की आनाकानी
याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता एल.सी. पटने और अधिवक्ता प्रांजल अग्रवाल ने राज्य अधिकारियों पर जानबूझकर देरी किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रतिवादियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की है। यह न्यायपालिका के अधिकार और याचिकाकर्ताओं के न्याय के प्रति अनादर है। अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दायर विशेष अनुमति याचिका को भी 28 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया था। इसके अलावा पुनर्विचार याचिका  को भी सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को खारिज किया है। अब मामले को 10 मार्च 2025 तक स्थगित कर दिया गया है। जब प्रतिवादी अदालत में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें ताकि आगे की सजा से बचा जा सके।
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