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Sarva Pitru Amavasya 2025: पितरों की विदाई का अंतिम दिन, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और श्राद्ध विधि!

Sarva Pitru Amavasya 2025।दिल्ली।आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन उन सभी पितरों को विदाई दी जाती है जिनका श्राद्ध पूरे पितृपक्ष के दौरान नहीं हो पाया हो।

Sarva Pitru Amavasya 2025।ऐसी मान्यता है कि अगर आप पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध या दान नहीं कर पाए हैं, तो इस अमावस्या पर पितरों को याद करके दान-पुण्य करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त : इस साल सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर यानी आज है। तिथि की शुरुआत 21 सितंबर को रात 12:16 बजे हो चुकी है और इसका समापन 22 सितंबर को रात 1:23 बजे होगा। इस दौरान तर्पण और श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

 कुतुप मूहूर्त: सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक

 रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12:38 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक

 अपराह्न काल: दोपहर 01:27 बजे से दोपहर 03:53 बजे तक

पितरों को विदा करने की विधि : सर्वपितृ अमावस्या के दिन, यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो भी आप श्राद्ध कर सकते हैं। इसके लिए इन सरल विधि का पालन करें:

 सबसे पहले, किसी विद्वान ब्राह्मण को घर पर निमंत्रण दें और उनके लिए सात्विक भोजन तैयार करें, जिसमें खीर-पूड़ी अवश्य शामिल हो।

 दोपहर में स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

 भोजन से पहले, पंचबली (गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी, और देवता के लिए) अर्पित करें और हवन करके आहुति दें।ब्राह्मणों को तिलक लगाकर दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।

 इसके बाद, परिवार के सभी सदस्य मिलकर भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन के उपाय : राहु की बाधा दूर करने के लिए: उड़द की दाल से बनी खीर-पूड़ी बनाकर मंत्र जाप करें और यह भोजन गरीबों और कुत्तों को दान करें।

 धन की समस्या के लिए: इस दिन स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करें और दोपहर में पितरों को जल से तर्पण दें। गाय को हरा चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है।Sarva Pitru Amavasya 2025

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