रामबोड़ हादसाः 35 लाख में पक्का हुआ मौत का सौदा…वाह रे सिस्टम..आरोप मालिक पर…मैनेजर पर FIR…प्रशासन और पुलिस को मिली सफलता
प्लान्ट मालिक फरार...मैनेजर बीमार...दलाल ने किया मामला सेट
बिलासपुर— पुलिस और प्रशासन के अथक प्रयास से कुसुम स्मेल्टर प्लान्ट प्रबन्धन को चारों मौत को लेकर सौदा करने में सफलता मिल गयी है। यद्यपि पिछले दो दिन में प्रबन्धन की तरफ से दलाल और परिजनों के बीच जमकर कहा सुनी हुई। लेकिन प्रबंधन ने मुंगेली जिला और पुलिस प्रशासन की ठेकेदारी में प्रत्येक मौत पर 35 लाख का सौदा करने में सफल रहा। रविवार को प्रबंधन के दलालों और परिजनों के बीच कई दौर की बात हुई। एक बार तो मामला 23 लाख पर खत्म हो गया था। लेकिन बाद में पीड़ित परिजनों की तरफ से एक करोड़ की मांग को 35 लाख रूपयों पर फिक्स किया गया। इसके बाद पोस्टमार्टम कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
आज दिनभर रामबोड़ का मामला सिम्स में वाद विवाद के रूप में नजर आया। सुबह से ही मुंगेली जिला और पुलिस प्रशासन मृतक के परिजनों को मानने में जुटे रहे। रविवार दोपहर तक वाद विवाद के बीच परिजनों और प्रबंधन के बीच मुआवजा एक करोड़ से घटकर 23 लाख पहुंचा। बाद में दो मृतक के परिजनों ने प्रबंधन के खिलाफ दुबारा मोर्चा खोल दिया। पुलिस और प्रशासन के बीच बचाव से मामला 35 लाख पर जाकर रूका। दोनो पक्षों के बीच सुलह समझौता के बाद मुआवजा की राशि 35 लाख निश्चित हुई। बताया जा रहा है पीड़ित के परिजनों ने पोस्टमार्टम की अनुमति दे दिया है।
लाश में सड़न और बदबू शुरू
सिम्स प्रबंधन के अनुसार लाश की स्थिति बिगड़ती जा रही है। हम दिन पर पुलिस कप्तान मुंगेली और बिलासपुर पुलिस कप्तान की अनुमति का इंतजार करते रहे। दोपहर को जानकारी मिली कि पीड़ित और प्रबंधन के बीच फैसला हो गया है। लेकिन पुलिस कप्तान का आदेश नहीं आया। इसलिए पोस्टमार्टम शुरू नहीं हुआ। सिम्स प्रबंधन ने बताया कि लाश की स्थिति अब ठीक नहीं है। सड़न के साथ बदबू आना शुरू हो गया है। यदि अब ज्यादा देर किया गया तो पोस्टमार्टम से फाइंडिंग आना मुश्किल है।
मुंगेली प्रशासन ने मालिक को बचाया
मरच्यूरी के सामने पोस्टमार्टम को लेकर कुसुम प्रबंधन और पीड़ितो के बीच रह रहकर जमकर विवाद देखने को मिला। इस दौरान मुंगेली जिला प्रशासन के अधिकारी पीड़ितों को समझाते रहे। मुंगेली जिला प्रशासन की मध्यस्थता में मौत का सौदा 35 लाख निश्चित हुआ।
अपराध मालिक का..मैनेजर पर एफआईआर
मजेदार बात है कि अब तक लोग मालिक के खिलाफ आवाज बुलन्द करते नजर आए। पहली मौत के बाद बताया गया कि कुसुम प्लान्ट के पांचो मालिक के खिलाफ कठोर धाराओं के तहत अपराध दर्ज हुआ है। बाद में खुलासा हुआ कि बेशक मौत के लिए मालिक और प्रबंधन जिम्मेदार है। लेकिन एफआईआर कम्पनी कर्मचारी अनिल प्रसाद और मैनेजर अमित केड़िया के खिलाफ दर्ज हुआ है। मजेदार बात है कि पीड़ितो को मुआवजा और एक्सग्रेसिया का भुगतान मालिक के कंधे पर है। सवाल उठना लाजिम है कि मालिक सतिश अग्रवाल,आदित्य अग्रवाल विशाल अग्रवाल समेत अन्य दो मालिकों के खिलाफ अपराध दर्ज क्यों नहीं किया गया। उत्तर सीधा और सरल है कि मुंगेली जिला और पुलिस प्रशासन की घटना की लीपापोती करने में अहम भूमिका है। क्योंकि मुंगेली ने मामले को बिलकुल ठेकेदारो की तरह हैंडल किया है।
बताते चलें कि मालिकों को बचाने के लिए एफआईआर में सिर्फ कम्पनी कर्मचारी अनिल प्रसाद और मैनेजर अमित केड़िया का ही नाम है। संभाला है। इसके एफआईआर में अन्य प्रबंधन का जिक्र है। मतलब पुलिस और कुसुम प्रबंधन के बीच फेविकोल से भी ज्यादा मजबूत बन्धन हुआ है।
मैेनेजर गिरफ्तार..अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी
जानकारी देते चलें कि अनिल प्रसाद और अमित केड़िया और अन्य के खिलाफ बीएनएस की धारा 106,(1), 289 और 3(5) के तहत अब तक गिरप्तारी नहीं हुई है। मालिक के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं होने के कारण गिरफ्तारी का सवाल उठता ही नहीं। बताया जा रहा है कि अनिल प्रसाद और अमित केड़िया बीमार है। इसलिए पुलिस ने अब तक दोनों को गिरप्तार नहीं किया गया है।
जमकर हुआ मालिकों को बचाने का खेल
सूत्र ने बताया कि प्लान्ट मालिक को बचाने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने जमकर खेल किया है। जबकि मिले दस्तावेजों के अनुसार पोस्टमार्ट के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया है। जल्द ही फर्जीवाडा का खेल उजागर किया जाएगा।
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