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ढाई महीना चलेगा धान महोत्सव…खरीदी की एक एक गतिविधियों पर रहेगी कलेक्टर की सीधी और तिरछी नजर…लगातार होगी मानीटरिंग
14 नवम्बर से 31 जनवरी तक चलेगा धान महोत्सव
बिलासपुर–14 नवम्बर यानी धान उत्सव की शुरूआत। शासन के आदेश पर प्रदेश के सभी किसान 14 नवम्बर से धान बेचने के लिए केन्द्र पहुंचेंगे।जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार धान उत्सव 14 नवम्बर से शुरू होकर 31 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान जिले के 1 लाख 37 हजार किसान धान बेचेंगे। धान खरीदी का काम 140 उपार्जन केन्द्रों में किया जाएगा। सभी गतिविधियों पर कलेक्टर की सीधी के साथ तिरछी नजर भी रहेगी।
राज्य सरकार ने 14 नवम्बर से प्रदेश में धान उत्सव का एलान किया है। प्रदेश के साथ बिलासपुर जिले के किसान धान खरीदी केन्द्र पहुंचकर 14 नवम्बर से 31 जनवरी के बीच अपना धान सरकार को बेचेंगे। ढाई महीने तक चलने वाले उत्सव के मद्देनजर बिलासपुर जिला प्रशासन ने धान खरीदी केन्द्रों से लेकर जिला कार्यालयों तक प्रशासनिक तैयारियां पूर्ण कर ली है। कलेक्टर अवनीश शरण ने धान खरीदी से जुड़े सभी अधिकारियों को हिदायत दी है।कि खरीदी कार्य से जुड़ी हर स्तर की समस्या का तत्काल समाधान करें। किसानों को किसी भी स्तर पर परेशानी नहीं होनी चाहिए। 140 उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी होगी।
धान खरीदी केन्द्रों पर गड़बड़ी रोकने के लिए सीसीटीव्ही कैमरों से निगरानी रखी जाएगी। प्रत्येक केन्द्र पर 2-2 कैमरे लगाए गए है। संग्रहण केन्द्रों और राईस मिल परिसरों में भी कैमरे इंस्टॉल किये जाएंगे। तौल में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए कलेक्टर ने इलेक्ट्रॉनिक कार्ड बांट का उपयोग का आदेश दिया है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में इस साल धान बेचने के लिए 1 लाख 37 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। जिले में धान खरीदी का अनुमानित लक्ष्य 7.80 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। धान की खरीदी 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर और प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से धान खरीदी की जाएगी।
धान खरीदी प्रति सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक की जाएगी। शासकीय अवकाश के दिन खरीदी बंद रहेगी। धान में 17 प्रतिशत से ज्यादा नमीं नहीं होनी चाहिए। किसानों को अपना धान सुखाकर और अच्छी तरह से साफ कर बेचने को कहा गया है। पंजीकृत किसानों से जारी टोकन के अनुसार धान खरीदा जाएगा। खरीदी केन्द्रों पर साफ-सफाई के साथ ही कम्प्यूटर, इन्टरनेट, आद्रतामापी, कांटा-बांट, रंग एवं सुतली, कर्मचारी एवं हमाल, चबूतरा, तारपोलिन की व्यवस्था, डनेज, संग्रहण केन्द्रों की दूरी, प्राथमिक उपचार पेटी, किसानों के लिए पानी और छाया, एफएक्यू का प्रदर्शन की तैयारी पूर्ण कर प्रतिवेदन जिला कार्यालय को मिल गया है।