India News

Monsoon in India News in Hindi- समय से पहले पहुंचेगा मानसून? जानिए कब देगा केरल में दस्तक और क्या होगा इसका असर

मौसम विभाग ने मंगलवार को बताया कि मानसून अगले चार से पांच दिनों में केरल में दस्तक दे सकता है। आमतौर पर यह 1 जून को पहुंचता है, लेकिन इस बार यह पहले आ सकता है।

Monsoon in India News in Hindi,South West Monsoon 2025 Prediction/दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने संकेत दिए हैं कि इस बार मानसून तय समय से पहले केरल में प्रवेश कर सकता है। आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल में पहुंचता है

Join Our WhatsApp News Group यहाँ क्लिक करे 

लेकिन 2024 में इसके 27 मई से पहले ही दस्तक देने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है, तो यह 2009 के बाद का सबसे जल्दी आने वाला मानसून होगा, जब 23 मई को इसकी शुरुआत हुई थी।

Monsoon in India News in Hindi,South West Monsoon 2025 Prediction/आईएमडी के अनुसार, केरल में अगले चार से पांच दिनों में मानसून के प्रवेश के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं। मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि इस बार अल नीनो का असर नहीं दिखेगा, जिससे बारिश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे उम्मीद की जा रही है कि मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय रहेगा और देशभर में अच्छी वर्षा देगा।

पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में मानसून के 30 मई को केरल पहुंचने की संभावना जताई गई थी, जबकि 2023 में यह 8 जून, 2022 में 29 मई, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को पहुंचा था। यह बताता है कि इस बार मानसून की चाल पहले से तेज है और किसानों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है।

Monsoon in India News in Hindi,South West Monsoon 2025 Prediction/आईएमडी के लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के अनुसार, भारत में 50 साल का औसत मानसून वर्षा 87 सेंटीमीटर है। अगर बारिश 96 से 104 प्रतिशत के बीच होती है तो इसे सामान्य माना जाता है। 105 से 110 प्रतिशत के बीच की वर्षा को सामान्य से अधिक और 110 प्रतिशत से ज्यादा को अत्यधिक बारिश माना जाता है। इस बार उम्मीद की जा रही है कि वर्षा की मात्रा सामान्य से अधिक हो सकती है।

भारत में मानसून का असर सिर्फ मौसम पर नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ता है। करीब 42.3 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है और जीडीपी में इस सेक्टर का 18.2 प्रतिशत योगदान है। साथ ही, देशभर में पेयजल और जलविद्युत के लिए जरूरी जलाशय भी मानसून की बारिश से भरते हैं।

इसलिए समय पर और सामान्य से ज्यादा मानसून आना खेती, जल आपूर्ति और ऊर्जा क्षेत्र तीनों के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
CG ki Baat