सम्राट विक्रमादित्य आदर्श शासन के प्रतीक — वीरता, न्याय और दानशीलता से दी प्रेरणा : CM डॉ. यादव

सम्राट विक्रमादित्य ने वीरता, दानशीलता, न्याय, शौर्य और सुशासन का प्रस्तुत किया उदाहरण : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

लाल परेड ग्राउंड पर पहली बार हुआ सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन

कलाकारों द्वारा अश्व दल के उपयोग, सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय से मंच हो उठा साकार

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने वीरता, दानशीलता, न्याय, शौर्य और सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया था। लगभग दो हजार साल पहले उनके शासनकाल की विशेषताओं पर महान नाट्य का मंचन पहली बार भोपाल में हो रहा है। आज का दिन ऐतिहासिक भी है क्योंकि कलाकारों द्वारा अश्व दल के उपयोग सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय से मंच साकार हो उठा। वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों का चित्रण राजधानी के दर्शकों के लिए मंचित किया गया। नाटक में सम्राट विक्रमादित्य के राज्यारोहण के दृश्य और अन्य प्रसंग अद्भुत हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को लाल परेड ग्राउंड में म.प्र. स्थापना दिवस के दूसरे दिन आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत के संरक्षण के साथ विकास की बात कही है। मध्य प्रदेश इस मंत्र को अपना कर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा किकभी ये परिस्थिति बनी कि राष्ट्र की स्वतंत्रता बाहरी आक्रामकों के कारण खतरे में पड़ी। राष्ट्र की गरिमा धूल धूसरित हो गई। गुलामी की काली छाया थी। हमारी धर्म में विश्वास रखने वाली शांति प्रिय जनता धर्म ध्वजा उठाए सुख वैभव से रहती थी। आक्रामकों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया। मथुरा, कंधार, उज्जयिनी जैसे केंद्र नष्ट भ्रष्ट किए जाने लगे। हाहाकार मच गया। उस दौर में अन्तत: पुनः समय बदला सम्राट विक्रमादित्य का युग प्रारंभ हुआ। वे बाल्य अवस्था में ही जन कल्याण को उन्मुख थे। आचार्य चन्द्रगुप्त से दीक्षा लेकर शासन के सूत्र अपने हाथ में लिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन के संपूर्ण भू भाग के नागरिकों को ऋण मुक्त करते हुए उन्हें अपने सामर्थ्य का लाभ दिया और विक्रम संवत प्रारंभ करने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया। शौर्य, दानशीलता, न्याय का परिचय देकर सुशासन की व्यवस्था लागू की। वे सम्पूर्ण राष्ट्र को ऋण मुक्त करने में सफल हुए। पुनः संवत का प्रवर्तन हो चुका था। सम्राट विक्रमादित्य ने नवरत्नों को जुटाया। विनम्रता से राज्य के छोटे से छोटे व्यक्ति के कल्याण की चिंता करते थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इतिहास की इस कथा को अनूठी कल्पना के साथ प्रस्तुत किया गया। सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में रात्रि गश्त का प्रसंग भी महत्वपूर्ण है। सम्राट विक्रमादित्य राज्य के अपराध से जुड़े लोगों के गुणों को भी जानते थे और उन गुणों का उपयोग राष्ट्र कल्याण में करने और देश हित में उन्हें उन्मुख करते थे। राज्य रोहण पूरी शान के साथ होता है। महाकाल महाराज की कृपा से वे अद्वितीय शासक बने।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य महानाटक के सभी कलाकार अभिनंदन के पात्र हैं। यहां फिल्मांकन की तरह नाट्य मंचन हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समस्त कलाकारों को बधाई दी और उनका अभिनंदन किया। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मती कृष्णा गौर,विधायक रामेश्वर शर्मा, भगवान दास सबनानी, भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, जनप्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव संस्कृति और पर्यटन शिवशेखर शुक्ला मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार राम तिवारी सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह “अभ्युदय मध्यप्रदेश” के दूसरे दिवस लाल परेड ग्राउंड, भोपाल का वातावरण सृजन, संस्कृति और कला के रंगों से सराबोर रहा। दिनभर विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, लोक-कलाओं और रचनात्मक गतिविधियों ने यह संदेश दिया कि मध्यप्रदेश न केवल विकास की राह पर अग्रसर है, बल्कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी नए उत्साह और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ संजोए हुए है। परंपरा और नवाचार के इस संगम ने राजधानी को रचनात्मक ऊर्जा से आलोकित कर दिया, जहाँ मंचों पर लोकधुनों, नृत्यनाट्य, संगीत और कलात्मक प्रदर्शनियों की श्रृंखला ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

स्थापना दिवस के दूसरे दिन की संध्या सर्वप्रथम अद्भुत, अलौकिक और अद्वितीय महानाट्य प्रस्तुति सम्राट विक्रमादित्य का मंचन हुआ। इस महानाट्य की प्रस्तुति उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति द्वारा दी गई, जिसका निर्देशन संजीव मालवीय ने किया है। नाटक की भव्यता जहां कलाकारों के अभिनय, परिधान, संवाद और सेट कर रहा था, वहीं ऊंट, घोड़े, हाथी, पालकी, बग्गी इत्यादि ने भी इसकी आकर्षकता को बढ़ाया। तीन अलग स्टेज पर अत्याधुनिक ग्राफिक, आश्रम एवं जंगल के भव्य सेट के साथ ही भव्य महाकाल मंदिर के प्रतिरूप सेट और 150 कलाकारों ने महानाट्य को जीवंत बना दिया।

इस महानाट्य की प्रस्तुति का उद्देश्य मात्र प्रदर्शन नहीं, बल्कि आम नागरिकों को इस बात से परिचित कराना था कि हमारा मध्यप्रदेश प्राचीन काल से ही कितना महान रहा है। आज जब हम जनकल्याण, सुशासन और विकास की बात कर रहे हैं, तो यह प्रेरणा हमें सम्राट विक्रमादित्य जैसे महान इतिहास पुरुषों से ही प्राप्त हुई है, जो हमारे वैभवशाली अतीत के महानायक हैं। ऐसे विक्रमादित्य जो काल गणना, विवेकपूर्ण न्याय, शौर्य और महानता के लिए जाने जाते हैं।

महानाट्य के बारे में

राम और कृष्ण जैसे अवतार नायकों के बाद भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नायक विक्रमादित्य ही हैं। भारत वर्ष के सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध पुरातन पुरुषों में विक्रमादित्य अग्रणी है। उनकी वीरता, देश को पराधीनता से मुक्त करने की उत्कृष्ट अभिलाषा राजनीतिक उपलब्धियों सैनिक अभियान और विजय यात्राएँ शासन की आदर्श अनोखी विवेकपूर्ण न्यायपद्धति, कला एवं साहित्य की उन्नति में उदार सहयोग तथा सहभागिता जैसे उदात्त गुणों ने भारत ही नहीं आस-पास और सुदूर देशों में भी उन्हें सदा के लिये प्रतिष्ठित कर दिया। शकों तथा यवनों ने भारत पर आक्रमण कर आंतक मचा रखा था। शक राजा महाबली, अर्थलोभी, पापी और दुष्ट थे, क्रूर हिंसक देश विरोधी शकों की उस दुर्दान्त, प्रलयंकारी काली छाया से विक्रमादित्य ने भारत को मुक्त कराया और 96 शक सामन्तों को पराजित कर उन्हें भारत से भागने पर विवश कर दिया था। शकों को खदेड़ कर ही शकारि और साहसांक की उपाधियाँ धारण की। आज भी विकमादित्य द्वारा 2082 वर्ष पूर्व प्रारम्भ विक्रम संवत् भारत वर्ष ही नहीं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ काल गणना का आधार है। बेताल पच्चीसी और सिहांसन बत्तीसी में विक्रमादित्य के अद्भुत, विवेकपूर्ण न्याय, वीरता, शौर्य एवं महानता की कथाएँ सर्वविदित है। इसके दरबार में नवरत्न कालिदास, वररुचि, वराहमिहिर, क्षपणक, घटखर्पर, अमर सिंह, बेताल भट्ट, शंकु, धन्वन्तरि जैसे प्रसिद्ध महापुरुष सदा जनकल्याणकारी कार्यों में ही लगे रहते रहते थे। इस महानाट्य में विक्रमादित्य के जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की सभी गाथाएँ अंकित की गई है।

दिव्यता, भव्यता और सुरों के आनंद की अनंत यात्रा

महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य की यादगार प्रस्तुति के बाद आरंभ हुई सुरों की यात्रा, एक ऐसी यात्रा जिसमें भाव थे, दिव्यता थी और सुरीलापन। अनंत आनंद को समेटे एक ऐसी आवाज जिसे पसंद करने वाले न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में भी अनेक हैं। हंसराज रघुवंशी, चंडीगढ़ जो अपने भजन गायन के लिए 70वें स्थापना दिवस समारोह में पधारे। अपने पूरे ग्रुप के साथ वे जब मंच पर श्रोताओं से मुखातिब हुए तो उनके चाहने वालों ने जोरदार तालियों से उनका अभिनंदन किया। मेरा भोला है भंडारी….भजन के लाखों-करोड़ो दीवाने हैं और महादेव के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति में पिरोया यह गीत हंसराज रघुवंशी ने गाया था।

अहिराई, गणगौर, मटकी नृत्यों के बिखरे रंग

सायंकालीन प्रस्तुतियों से पूर्व दोपहर में 3 बजे से मध्यप्रदेश के लोक एवं जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति हुई। इसमें संतोष यादव एवं साथी, सीधी द्वारा अहिराई लाठी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बघेलखंड में यादव समुदाय द्वारा ‘अहिराई नृत्य’ अहीर नायकों की वीर गाथाएँ गाई जाती है। वहीं, शिशुपाल सिंह एवं साथी, टीकमगढ़ द्वारा मोनिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। बुंदेलखंड का यह लोकनृत्य कार्तिक माह में अमावस्या से पूर्णिमा तक नृत्य किया जाता है। सु अनुजा जोशी एवं साथी, खंडवा द्वारा गणगौर नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गणगौर निमाड़ी जन-जीवन का गीति काव्य है। सु स्वाति उखले एवं साथी, उज्जैन द्वारा मटकी नृत्य की प्रस्तुति दी। विभिन्न अवसरों पर मालवा के गाँव की महिलाएँ मटकी नाच करती है।

कार्यक्रम में अरविंद यादव एवं साथी, सागर द्वारा बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुन्देलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्यौहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है। अगले क्रम में लालबहादुर घासी एवं साथी द्वारा घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सरगुजा जिले के सुदूर ग्रामीण अँचल में रहने वाले विशेष कर घासी जाति का यह परम्परागत नृत्य एवं जीविका का साधन है। इसके बाद संदीप उइके एवं साथी, सिवनी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुन्नूरसाई की प्रस्तुति दी गई।

एक जिला- एक उत्पाद शिल्प मेला

समारोह में 'एक जिला-एक उत्पाद' के अंतर्गत शिल्प मेला का आयोजन किया गया है। इसमें प्रदर्शन के साथ आम नागरिक उत्पादों को क्रय भी कर सकते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के विशिष्ट व पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इनमें भोपाल का जूट उत्पाद, बुरहानपुर की जैविक दाल, गुना की मेहंदी, जबलपुर के संगमरमर के उत्पाद, अनूपपुर का काष्ठ शिल्प, नर्मदापुरम की अगरबत्ती, अशोकनगर का चंदेरी उत्पाद, मण्डला की गोण्ड पेंटिंग, बुरहानपुर के केले के रेशे से निर्मित उत्पाद, छतरपुर का लकड़ी शिल्प इत्यादि विशेष हैं। उल्लेखनीय है कि जो उत्पाद शिल्प मेला में प्रदर्शित किये जा रहे हैं वे पारंपरिक उत्पादकों द्वारा ही निर्मित किये जाते हैं और वे ही इन्हें यहां लेकर आए हैं। इसके अलावा बाग छापाकला, काष्ठ खिलौना, काष्ठ मुखौटे, खराद शिल्प, दरी चादर बुनाई, महेश्वरी वस्त्र, गोबर शिल्प, जूट एवं डोकरा जैसे शिल्प भी यहां आकर्षण का केन्द्र बने हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने वीरता, दानशीलता, न्याय, शौर्य और सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया था। लगभग दो हजार साल पहले उनके शासनकाल की विशेषताओं पर महान नाट्य का मंचन पहली बार भोपाल में हो रहा है। आज का दिन ऐतिहासिक भी है क्योंकि कलाकारों द्वारा अश्व दल के उपयोग सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय से मंच साकार हो उठा। वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों का चित्रण राजधानी के दर्शकों के लिए मंचित किया गया। नाटक में सम्राट विक्रमादित्य के राज्यारोहण के दृश्य और अन्य प्रसंग अद्भुत हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को लाल परेड ग्राउंड में म.प्र. स्थापना दिवस के दूसरे दिन आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत के संरक्षण के साथ विकास की बात कही है। मध्य प्रदेश इस मंत्र को अपना कर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा किकभी ये परिस्थिति बनी कि राष्ट्र की स्वतंत्रता बाहरी आक्रामकों के कारण खतरे में पड़ी। राष्ट्र की गरिमा धूल धूसरित हो गई। गुलामी की काली छाया थी। हमारी धर्म में विश्वास रखने वाली शांति प्रिय जनता धर्म ध्वजा उठाए सुख वैभव से रहती थी। आक्रामकों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया। मथुरा, कंधार, उज्जयिनी जैसे केंद्र नष्ट भ्रष्ट किए जाने लगे। हाहाकार मच गया। उस दौर में अन्तत: पुनः समय बदला सम्राट विक्रमादित्य का युग प्रारंभ हुआ। वे बाल्य अवस्था में ही जन कल्याण को उन्मुख थे। आचार्य चन्द्रगुप्त से दीक्षा लेकर शासन के सूत्र अपने हाथ में लिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन के संपूर्ण भू भाग के नागरिकों को ऋण मुक्त करते हुए उन्हें अपने सामर्थ्य का लाभ दिया और विक्रम संवत प्रारंभ करने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया। शौर्य, दानशीलता, न्याय का परिचय देकर सुशासन की व्यवस्था लागू की। वे सम्पूर्ण राष्ट्र को ऋण मुक्त करने में सफल हुए। पुनः संवत का प्रवर्तन हो चुका था। सम्राट विक्रमादित्य ने नवरत्नों को जुटाया। विनम्रता से राज्य के छोटे से छोटे व्यक्ति के कल्याण की चिंता करते थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इतिहास की इस कथा को अनूठी कल्पना के साथ प्रस्तुत किया गया। सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में रात्रि गश्त का प्रसंग भी महत्वपूर्ण है। सम्राट विक्रमादित्य राज्य के अपराध से जुड़े लोगों के गुणों को भी जानते थे और उन गुणों का उपयोग राष्ट्र कल्याण में करने और देश हित में उन्हें उन्मुख करते थे। राज्य रोहण पूरी शान के साथ होता है। महाकाल महाराज की कृपा से वे अद्वितीय शासक बने।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य महानाटक के सभी कलाकार अभिनंदन के पात्र हैं। यहां फिल्मांकन की तरह नाट्य मंचन हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समस्त कलाकारों को बधाई दी और उनका अभिनंदन किया। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मती कृष्णा गौर,विधायक रामेश्वर शर्मा, भगवान दास सबनानी, भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, जनप्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव संस्कृति और पर्यटन शिवशेखर शुक्ला मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार राम तिवारी सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह “अभ्युदय मध्यप्रदेश” के दूसरे दिवस लाल परेड ग्राउंड, भोपाल का वातावरण सृजन, संस्कृति और कला के रंगों से सराबोर रहा। दिनभर विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, लोक-कलाओं और रचनात्मक गतिविधियों ने यह संदेश दिया कि मध्यप्रदेश न केवल विकास की राह पर अग्रसर है, बल्कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी नए उत्साह और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ संजोए हुए है। परंपरा और नवाचार के इस संगम ने राजधानी को रचनात्मक ऊर्जा से आलोकित कर दिया, जहाँ मंचों पर लोकधुनों, नृत्यनाट्य, संगीत और कलात्मक प्रदर्शनियों की श्रृंखला ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

स्थापना दिवस के दूसरे दिन की संध्या सर्वप्रथम अद्भुत, अलौकिक और अद्वितीय महानाट्य प्रस्तुति सम्राट विक्रमादित्य का मंचन हुआ। इस महानाट्य की प्रस्तुति उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति द्वारा दी गई, जिसका निर्देशन संजीव मालवीय ने किया है। नाटक की भव्यता जहां कलाकारों के अभिनय, परिधान, संवाद और सेट कर रहा था, वहीं ऊंट, घोड़े, हाथी, पालकी, बग्गी इत्यादि ने भी इसकी आकर्षकता को बढ़ाया। तीन अलग स्टेज पर अत्याधुनिक ग्राफिक, आश्रम एवं जंगल के भव्य सेट के साथ ही भव्य महाकाल मंदिर के प्रतिरूप सेट और 150 कलाकारों ने महानाट्य को जीवंत बना दिया।

इस महानाट्य की प्रस्तुति का उद्देश्य मात्र प्रदर्शन नहीं, बल्कि आम नागरिकों को इस बात से परिचित कराना था कि हमारा मध्यप्रदेश प्राचीन काल से ही कितना महान रहा है। आज जब हम जनकल्याण, सुशासन और विकास की बात कर रहे हैं, तो यह प्रेरणा हमें सम्राट विक्रमादित्य जैसे महान इतिहास पुरुषों से ही प्राप्त हुई है, जो हमारे वैभवशाली अतीत के महानायक हैं। ऐसे विक्रमादित्य जो काल गणना, विवेकपूर्ण न्याय, शौर्य और महानता के लिए जाने जाते हैं।

महानाट्य के बारे में

राम और कृष्ण जैसे अवतार नायकों के बाद भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नायक विक्रमादित्य ही हैं। भारत वर्ष के सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध पुरातन पुरुषों में विक्रमादित्य अग्रणी है। उनकी वीरता, देश को पराधीनता से मुक्त करने की उत्कृष्ट अभिलाषा राजनीतिक उपलब्धियों सैनिक अभियान और विजय यात्राएँ शासन की आदर्श अनोखी विवेकपूर्ण न्यायपद्धति, कला एवं साहित्य की उन्नति में उदार सहयोग तथा सहभागिता जैसे उदात्त गुणों ने भारत ही नहीं आस-पास और सुदूर देशों में भी उन्हें सदा के लिये प्रतिष्ठित कर दिया। शकों तथा यवनों ने भारत पर आक्रमण कर आंतक मचा रखा था। शक राजा महाबली, अर्थलोभी, पापी और दुष्ट थे, क्रूर हिंसक देश विरोधी शकों की उस दुर्दान्त, प्रलयंकारी काली छाया से विक्रमादित्य ने भारत को मुक्त कराया और 96 शक सामन्तों को पराजित कर उन्हें भारत से भागने पर विवश कर दिया था। शकों को खदेड़ कर ही शकारि और साहसांक की उपाधियाँ धारण की। आज भी विकमादित्य द्वारा 2082 वर्ष पूर्व प्रारम्भ विक्रम संवत् भारत वर्ष ही नहीं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ काल गणना का आधार है। बेताल पच्चीसी और सिहांसन बत्तीसी में विक्रमादित्य के अद्भुत, विवेकपूर्ण न्याय, वीरता, शौर्य एवं महानता की कथाएँ सर्वविदित है। इसके दरबार में नवरत्न कालिदास, वररुचि, वराहमिहिर, क्षपणक, घटखर्पर, अमर सिंह, बेताल भट्ट, शंकु, धन्वन्तरि जैसे प्रसिद्ध महापुरुष सदा जनकल्याणकारी कार्यों में ही लगे रहते रहते थे। इस महानाट्य में विक्रमादित्य के जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की सभी गाथाएँ अंकित की गई है।

दिव्यता, भव्यता और सुरों के आनंद की अनंत यात्रा

महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य की यादगार प्रस्तुति के बाद आरंभ हुई सुरों की यात्रा, एक ऐसी यात्रा जिसमें भाव थे, दिव्यता थी और सुरीलापन। अनंत आनंद को समेटे एक ऐसी आवाज जिसे पसंद करने वाले न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में भी अनेक हैं। हंसराज रघुवंशी, चंडीगढ़ जो अपने भजन गायन के लिए 70वें स्थापना दिवस समारोह में पधारे। अपने पूरे ग्रुप के साथ वे जब मंच पर श्रोताओं से मुखातिब हुए तो उनके चाहने वालों ने जोरदार तालियों से उनका अभिनंदन किया। मेरा भोला है भंडारी….भजन के लाखों-करोड़ो दीवाने हैं और महादेव के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति में पिरोया यह गीत हंसराज रघुवंशी ने गाया था।

अहिराई, गणगौर, मटकी नृत्यों के बिखरे रंग

सायंकालीन प्रस्तुतियों से पूर्व दोपहर में 3 बजे से मध्यप्रदेश के लोक एवं जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति हुई। इसमें संतोष यादव एवं साथी, सीधी द्वारा अहिराई लाठी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बघेलखंड में यादव समुदाय द्वारा ‘अहिराई नृत्य’ अहीर नायकों की वीर गाथाएँ गाई जाती है। वहीं, शिशुपाल सिंह एवं साथी, टीकमगढ़ द्वारा मोनिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। बुंदेलखंड का यह लोकनृत्य कार्तिक माह में अमावस्या से पूर्णिमा तक नृत्य किया जाता है। सु अनुजा जोशी एवं साथी, खंडवा द्वारा गणगौर नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गणगौर निमाड़ी जन-जीवन का गीति काव्य है। सु स्वाति उखले एवं साथी, उज्जैन द्वारा मटकी नृत्य की प्रस्तुति दी। विभिन्न अवसरों पर मालवा के गाँव की महिलाएँ मटकी नाच करती है।

कार्यक्रम में अरविंद यादव एवं साथी, सागर द्वारा बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुन्देलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्यौहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है। अगले क्रम में लालबहादुर घासी एवं साथी द्वारा घसियाबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सरगुजा जिले के सुदूर ग्रामीण अँचल में रहने वाले विशेष कर घासी जाति का यह परम्परागत नृत्य एवं जीविका का साधन है। इसके बाद संदीप उइके एवं साथी, सिवनी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुन्नूरसाई की प्रस्तुति दी गई।

एक जिला- एक उत्पाद शिल्प मेला

समारोह में 'एक जिला-एक उत्पाद' के अंतर्गत शिल्प मेला का आयोजन किया गया है। इसमें प्रदर्शन के साथ आम नागरिक उत्पादों को क्रय भी कर सकते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के विशिष्ट व पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इनमें भोपाल का जूट उत्पाद, बुरहानपुर की जैविक दाल, गुना की मेहंदी, जबलपुर के संगमरमर के उत्पाद, अनूपपुर का काष्ठ शिल्प, नर्मदापुरम की अगरबत्ती, अशोकनगर का चंदेरी उत्पाद, मण्डला की गोण्ड पेंटिंग, बुरहानपुर के केले के रेशे से निर्मित उत्पाद, छतरपुर का लकड़ी शिल्प इत्यादि विशेष हैं। उल्लेखनीय है कि जो उत्पाद शिल्प मेला में प्रदर्शित किये जा रहे हैं वे पारंपरिक उत्पादकों द्वारा ही निर्मित किये जाते हैं और वे ही इन्हें यहां लेकर आए हैं। इसके अलावा बाग छापाकला, काष्ठ खिलौना, काष्ठ मुखौटे, खराद शिल्प, दरी चादर बुनाई, महेश्वरी वस्त्र, गोबर शिल्प, जूट एवं डोकरा जैसे शिल्प भी यहां आकर्षण का केन्द्र बने हैं।

CG ki Baat marsbahisgrandpashabetmarsbahistürk ifşasakarya escortultrabetmarsbahiscasinoroyalBetpas girişjojobetgrandpashabetmeritking girişsekabet girişmatbetpusulabetdeneme bonusugrandpashabetvaycasinograndpashabet girişmeritkinggrandpashabet girişpusulabetjojobetmeritkingholiganbetsuperbetartemisbetasyabahismeritkingsuperbetbahsinegrandpashabetartemisbetgalabetasyabahismatadorbet girişholiganbet,holiganbet giriş,holiganbet güncel girişholiganbetbahsinemeritkingmeritkingbahsine girişasyabahismarsbahismeritking girişmarsbahisholiganbetgrandbetting girişcasibommarsbahiscasibom girişmatbetpusulabetsuperbetmarsbahisgrandpashabetgates of olympussweet bonanzaholiganbet güncel girişjojobetholiganbetholiganbet girişjojobetjojobetjojobetmatbetBetpas girişmarsbahisbetnano girişhttps://ballinacurra.com/matbetcasibomcasibombetnanokulisbetwbahisjokerbetHoliganbetNakitbahismarsbahismarsbahisparibahisSheratonbetsheratonbetpashagamingpashagamingpashagamingcasibomultrabetcasibom girişmarsbahisSheratonbetcasibomgalabetbetciomarsbahis girişcasibom girişsolibetsolibet girişsolibet giriş adresisolibetsolibetcasibomcratosroyalbetcratosroyalbet girişmarsbahistaraftarium24 Advertisement Carousel