पेपर कप में चाय पीना है हानिकारक, IIT खड़गपुर ने किया खतरनाक माइक्रोप्लास्टिक रिसर्च में खुलासा

भोपाल 

लोगों को ऐसा लगता है कि पेपर कप का हमारी सेहत पर कोई असर नहीं होता, लेकिन डॉक्टर्स ऐसा नहीं मानते. बता दें की पेपर कप्स को बनाने में मोम या प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है और जब इसमें गर्म चीज डाली जाती है, तो इसमें कैमिकल्स मिल जाते हैं. ऐसे में अगर आप भी इन कप का इस्तेमाल करते हैं, तो सावधान हो जाइए. आइए पेपर कप से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से जानते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, एक व्यक्ति जो दिन में तीन कप चाय पीता है, वह हर दिन लगभग 75,000 सूक्ष्म प्लास्टिक कण निगल रहा है। जो न केवल शरीर के लिए हानिकारक हैं, बल्कि कैंसर, हार्मोनल और नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

इस रिसर्च के सामने आने के बाद भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे मिट्टी (कुल्हड़), स्टील या कांच के कप का इस्तेमाल करें और अपनी सेहत को इन ‘साइलेंट टॉक्सिन्स’ से बचाएं।

अब जानते हैं शोध में क्या बताया गया…

हाइड्रोफोबिक फिल्म है हानिकारक– आईआईटी खड़गपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा गोयल और उनके शोध सहयोगी वेद प्रकाश रंजन और अनुजा जोसेफ द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह साबित किया गया कि पेपर कप की भीतरी परत में इस्तेमाल होने वाली पतली हाइड्रोफोबिक फिल्म, जो तरल को कप में रोकने के लिए लगाई जाती है।

गर्म तरल के संपर्क में आते ही टूटने लगती है। यह फिल्म पॉलीइथिलीन या अन्य को-पॉलिमर से बनी होती है और जब इसमें गर्म पानी (85–90°C) डाला जाता है, तो 15 मिनट के भीतर यह सूक्ष्म कणों में बदलकर पेय पदार्थ में घुल जाती है।

गंभीर बीमारी का बनते हैं कारण- रिसर्च के अनुसार, हर 100 मिलीलीटर गर्म तरल में लगभग 25,000 माइक्रो प्लास्टिक कण मिल जाते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते, लेकिन शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

रिसर्च में पाया गया कि ये कण भारी धातुओं जैसे पैलेडियम, क्रोमियम और कैडमियम के वाहक के रूप में काम करते हैं। जब ये शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे अंगों में जमा होकर हार्मोन असंतुलन, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

पेपर कप के नुकसान 

पेपर कप बनाने में केमिकल्स और माइक्रोप्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. ये कप गर्म चीज के संपर्क में आकर घुल जाते हैं, जिससे थायरॉइड और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है.

इन कप में बिसफेनोल और बीपीए केमिकल भारी मात्रा में मौजूद होते हैं. जब इनमें गर्म चाय या कॉफी डाली जाती है, तो उसमें मौजूद केमिकल इनमें घुलने लगते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं

पेपर कप न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक हैं. इन्हें डिस्पोज करना मुश्किल होता है और जलाने पर ये हार्मफुल केमिकल्स छोड़ते हैं. 

पेपर कप के इस्तेमाल से एसिडिटी और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि गर्म चीज के संपर्क में आने पर ये छोटे-छोटे कणों में टूटकर घुल जाते हैं.

क्या करें इस्तेमाल?

अगर आप इन बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं, तो पेपर कप के इस्तेमाल से बचें. इसकी बजाय आप चीनी मिट्टी या स्टेनलेस स्टील कप को इस्तेमाल कर सकते हैं. यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा होगा बल्कि अपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होगा.

पेपर कप बढ़ाता है कैंसर की संभावना

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब कोई व्यक्ति कैंसर से ग्रसित पाया जाता है तो उसका सिर्फ कोई एक कारण नहीं होता है। व्यक्ति के शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आना, खराब दिनचर्या, शरीर में टाक्सीसिटी का लेवल बढ़ाना, कैंसर कॉजिंग सेल्स की तेज ग्रोथ जैसे कई फैक्टर शामिल होते हैं।

पेपर कप और प्लास्टिक कब से निकलने वाला माइक्रो प्लास्टिक इन्हीं फैक्टर को बढ़ावा देते हैं। जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

भोपाल स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी आईआईटी खड़गपुर की इस रिपोर्ट के बाद भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने नागरिकों से अपील की है कि वे पेपर कप में गर्म पेय पदार्थों का सेवन बंद करें। सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए घर से अपना कप साथ लाएं। इसके अलावा बाजार में मिट्टी (कुल्हड़), कांच या स्टील के कप का उपयोग करें। प्लास्टिक या पेपर लाइनिंग वाले डिस्पोजेबल कप का उपयोग न करें।

भोपाल में ही रोजाना 15 लाख पेपर कप इस्तेमाल होते

पेपर कप का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। भोपाल के थोक विक्रेता रविकांत द्विवेदी के अनुसार राजधानी भोपाल में ही अकेले रोजाना लगभग 15 लाख पेपर कप यूनिट की खपत होती है। यह अनुमानित आंकड़ा है। दरअसल, चाय-दुकान, फूड कोर्ट, रेलवे स्टेशन आदि में होने वाला उपयोग अधिक हो सकता है।

इन कप्स में इस्तेमाल होने वाली कोटिंग में 100% पेपर नहीं

ये पेपर कप पूरी तरह पेपर के नहीं होते। उनके अंदरूनी हिस्से को लीक-रोधी बनाने के लिए एक प्लास्टिक फिल्म या वैक्स कोटिंग लगाई जाती है। यह भी पाया गया कि जब गर्म पेय पेपर कप में दिया जाता है, तो इस कोटिंग से माइक्रोप्लास्टिक और अन्य रसायन निकलते हैं।

अब जानिए माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में कैसे असर डालते हैं?

हाल के अध्ययनों से संकेत मिलता है कि पेपर कप से माइक्रोप्लास्टिक (छोटे-छोटे प्लास्टिक कण) पेय में मिल सकते हैं। पूर्व सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जमा होने से ऑक्सीडेटिव तनाव, जीन में बदलाव, सूजन (inflammation) आदि हो सकते हैं। जिससे कैंसर, न्यूरोलॉजिकल और हारमोंस से जुड़ी समस्याओं का खतरा अधिक रहता है।

प्लास्टिक और फोम कप भी खतरनाक

प्लास्टिक कप ये सीधे प्लास्टिक सामग्री से बने होते हैं। इनमें BPA (Bisphenol-A), PFAS और अन्य रसायन पाए जाते हैं, जो गर्म पेय आने पर निकलकर हमारे शरीर में पहुंच सकते हैं। लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क से हार्मोनल असंतुलन, लिवर-किडनी पर असर और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। यह कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

फोम कप ये कप Styrene नामक रसायन से बनते हैं, जो कैंसर-कारक माना जाता है। जब इसमें गर्म पेय डाला जाता है, तो Styrene आपकी चाय या कॉफी में घुल सकता है। साथ ही यह 100% गैर-बायोडिग्रेडेबल है, यानी पर्यावरण में लंबे समय तक रहता है। इसमें लगातार लंबे समय तक चाय पीने से रेस्पिरेट्री डिसीसिस, फूड पाइप से जुड़ी समस्याएं समेत पेट और आंत का कैंसर होने का खतरा रहता है।

इन के बजाय ये है सुरक्षित विकल्प

    कुल्हड़: यह पूरी तरह प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल है। मिट्टी में कोई रासायनिक कोटिंग नहीं होती, इसलिए गर्म पेय डालने पर कोई हानिकारक तत्व नहीं निकलता।
    चीनी मिट्टी के ग्लास या कप: ये टिकाऊ और रासायनिक रूप से स्थिर होते हैं। इनमें कोई प्लास्टिक या रासायनिक परत नहीं होती। गर्म-ठंडे दोनों पेय के लिए सुरक्षित; सफाई से बार-बार उपयोग किए जा सकते हैं।
    कांच के कप: कांच निष्क्रिय पदार्थ है, जो किसी भी पेय में रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करता। स्वाद और पोषक-गुणों पर कोई असर नहीं डालता; पूरी तरह दोबारा उपयोग करने वाला होता है।
    स्टील के गिलास:
यह सबसे टिकाऊ और स्वास्थ्य-सुरक्षित विकल्पों में से एक है। इसमें किसी भी तरह की कोटिंग नहीं होती और यह उच्च तापमान भी झेल सकता है। इसमें शून्य स्वास्थ्य जोखिम।

CG ki Baat marsbahis giriş güncelsplashmarsbahis giriş güncelselçuksportssakarya escortultrabetjojobettaraftarium24Betpas girişjojobetnitrobahispusulabet girişgrandpashabet girişmeritking girişholiganbet girişmeritkingdeneme bonusugrandpashabetgrandpashabetpusulabetgrandpashabetpusulabetmeritkingholiganbetultrabetonwinultrabetonwinmatadorbetsahabetgrandpashabet giriş1xbetgrandpashabetjojobetjojobetholiganbet girişpusulabet girişgrandpashabetjojobetonwin girişmeritkingultrabet girişpusulabetholiganbet girişonwinmeritkingmarsbahispusulabetvaycasinonitrobahisholiganbetmarsbahis giriş güncelsweet bonanza oynamatbetpusulabetmatbetultrabetjojobetgrandpashabetgates of olympussweet bonanzabahiscasinobetovisbetofficevaycasinojojobetjojobetjojobetholiganbetBetpas girişCasibom Yeni Üyelere Bonuslarmarsbahisbetnanohttps://ballinacurra.com/matbetcasibombetcioatlasbettrendbetwbahisparibahisHoliganbetCasibommarsbahismarsbahisbetnanojojobetwinxbetcasibom güncel girişcasibom güncel girişcasibom resmi girişCasibom GirişcasibomCasibomaresbetmeritkingCasibom Orjinal GirişCasibom Advertisement Carousel