
डॉक्टरों ने किया हड़ताल का एलान…IMA का एलान…24 घंटे रहेंगी बन्द रहेंगी सेवाएं…सरकार को मानना होगा 5 सूत्रीय मांग
कोलकाता घटना के बाद चिकित्सकों में भयंकर आक्रोश
बिलासपुर–पश्चिम बंगाल स्थित कोलकाता में मेडिकल रेजिडेन्ट डॉक्टर की जघन्य हत्या के खिलाफ आक्रोश देश व्यापी हो चला है।इसी क्रम में आईएमए छत्तीसगढ़ और बिलासपुर के डाक्टरों ने में भई भारी आक्रोश है। शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा के दौारन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विनोद तिवारी, बिलासपुर अध्यक्ष डॉक्टर अखिलेश देवरस, प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर संदीप तिवारी,डॉक्टर प्रशांत द्विवेदी, डॉक्टर सौरभ लूथरा समेत घटना को लेकर आक्रोश जाहिर किया है। इस दौारन डॉक्टर डॉक्टर नितिन जुनेजा, डॉक्टर हेमंत चटर्जी, डॉक्टर प्रमोद तिवारी, और सीएमएचओ प्रभात श्रीवास्तव विशेष रूप से मौजूद थे।
आईएमए के बैनर तले चिकित्सकों ने बताया कि शनिवार 17 अगस्त को सुबह 6 बजे से रविवार 18 अगस्त सुबह 6 बजे तक यानी 24 घंटे के लिए आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर चिकित्सा सेवाएं बन्द रहेंगी। चिकित्सकों ने बताया कि कोलकाता में युवा महिला मेडिकल रेजिडेंट डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध किया गया। बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध से पूरा देश शोक में है। हम सब गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
आईएमए के पदाधिकारियों ने बताया कि हम शांतिपूर्वक शोक मना रहे थे। इसी दौरान कोलकाता में ही हमारे जूनियर डॉक्टरों को भीड़ अस्पताल में प्रवेश कर डराया धमकाया। गुंडों ने परिसर में तोड़फोड़ किया। दुख इस बात की है कि इस दौरान समाज और सिस्टम ने उदासीनता का परिचय दिया है। जबकि हिंसा मानवता के खिलाफ है।
हम जघन्य कृत्य की निंदा करते हैं। संगठन ने एक बार फिर फैसला किया है कि चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा के किसी भी कृत्य का “जीरो टॉलरेंस” के साथ विरोध किया जाएगा। जघन्य वारदात के खिलाफ चिकित्सा समुदाय एकजुट है। सवाल जवाब के दौरान आईएमए पदाधिकारियों ने शासन के सामने चार सूत्रीय मांग पेश किया।
चिकित्सकों ने कहा कि हमारी पहली मांग है कि घटना की सीबीआई जांच हो। जघन्य अपराध के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। हमारी दूसरी मांग अस्पतालों को “सुरक्षित क्षेत्र’ घोषित किया जाए। तीसरी प्रमुख मांग एनएमसी को मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में रेसिडेंट डॉक्टर्स के लिए सुरक्षा के साथ मानवीय कार्य वातावरण दिया जाए। चौथी मांग एनएमसी को रेजिडेंट डॉक्टरों से संबंधित विभिन्न मुद्दों को सुलझान को लेकर एक समिति का गठन किया जाए। समिति को मानसिक स्वास्थ्य बर्न-आउट, लंबे समय तक काम के घंटे, अत्यधिक फीस,मामूली वजीफा, बधुआ नीतिया, खराब आवासीय स्थितियों पर निर्णय का अधिकार दिया जाए। भारत सरकार से पांचवा और अंतिम मांग मेडिकेयर पेशेवरों और चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा के लिए जल्द से जल्द सख्त कानून बनाए।