बार बार तारीख बदलने का अर्थ..फरफार्मेन्स सुधार कवायद तो नहीं ?..पंचायत चुनाव भी सिम्बाल पर होगा.?..तो शपथ कब..?
अन्दर की खबर..सरकार कर रही परफार्मेन्स सुधार...
बिलासपुर—अब तक बहुत कम देखने को मिला कि चुनावी तैयारी को यकायक ब्रेक लग जाए..फिर शुरू हो जाए..और फिर ब्रेक लग जाए…। इस बीच जिम्मेदार लोगों का बयान भी आए कि चुनाव बैलेट से होंगे…परीक्षाएं प्रभावित नहीं होंगी…। फिर आरक्षण फैसला की तारीख भी बढ़ा दिया जाए। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों और किसलिए हो रहा है। अन्दर खाने से सिर्फ दो बातें सामने आ रही हैं कि दरअसल सरकार जनमत का रूख भांपकर परफार्मेन्स सुधार रही है। जहां तहां पत्थर और पैसा गाडकर जनता को पुचकार रही है। क्योंकि सरकार में बैठे लोगों को बुद्धत्व मिल गया है कि मंत्रीमंडल में फेरबदल कभी भी किया जा सकता है। लेकिन जनता की नाराजगी को टाला नहीं जा सकता । खबर यह भी मिल रही है कि सरकार पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ करवाने का मूड में है।सरकार के अन्दर बैठे लोगों की चर्चा पर विश्वास करें तो इस संभवना से इंकार नहीं किया जा सकता कि पंचायत चुनाव भी पार्टी सिम्बाल पर होगा।
लगातार चुनाव तैयारी प्रक्रिया पर ब्रेक लगने के बाद अन्दर से बाहर तक चुनाव तारीख को लेकर जमकर चर्चा है। खासकर बाहर बैठे लोग चुनावी तारीख को लेकर अपना अपना कयास लगा रहे हैं। लेकिन चुनावी प्रक्रिया है कि रूक रूक कर शादी की घोड़ी की तरह चल रही है..और चलते चलते रूक जा रही है। फिर इस बात को लेकर चर्चा न हो यह कैसे संभव है।
अन्दरखाने की बातों पर विश्वास करें तो सब कुछ सरकार की सोची रणनीति का हिस्सा है। सामने निकाय और पंचयत चुनाव और ठीक समय पर मंत्रीमंडल में फेरबदल जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए सभी को एक साथ साधकर आगे बढ़ा जाए तो बेहतर होगा। की बोर्ड पर बैठे जिम्मेदार लोगों की माने तो सरकार आज की परिस्थिति मेें चुनाव को भरसक टालना चाहती है। यही कारण है कि कभी मतदाता सूची प्रकाशन, कभी पुनरीक्षण, कभी आरक्षण प्रक्रिया के नाम पर समय काट रही है। दरअसल सरकार फैसला ही नहीं कर पा रही है कि चुनाव परीक्षा के बाद कराएं या परीक्षा के पहले…मंत्रीमंडल में परिवर्तन चुनाव से पहले करें..या चुनाव के बाद। इसके पीछे भी कई कई तर्क दिये जा रहे हैं। इन तर्कों के बीच मंत्री का बयान भी आ रहा है कि चुनाव बैलेट से होगा…यह भी चर्चा चल रही है कि इस बार पंचायत चुनाव पार्टी सिम्बाल पर होगा।
पुख्ता जानकारी पर विश्वास करें तो सरकार को अच्छी तरह से अहसास हो चुका है कि पिछले एक साल में जनता के बीच स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए तारीख पर तारीख देकर..गांव से लेकर शहर तक योजना और विकास का पत्थर, पैसा गाड़ा जा रहा है। मतलब सरकार इस बहाने परफार्मेन्स ठीक कर रही है।