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Bihar Assembly Election 2025-BJP में टिकट कटने का डर और युवा चेहरों की तलाश

चुनाव समिति की बैठक में बीजेपी की जीती हुई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन हुआ. बैठक में बीजेपी के सिटिंग विधायकों के कामकाज, जमीन से मिले फीडबैक के साथ ही सर्वे रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई. बैठक में सिटिंग विधायकों की परफॉर्मेंस और जीतने की संभावना के साथ ही उन सीटों पर मिले नए आवेदन और नाम की दावेदारी पर भी चर्चा हुई है.

Bihar Assembly Election 2025/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान हो चुका है, और सत्ता में वापसी की कवायद में जुटी राज्य की एनडीए सरकार ने जनता को साधने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया है।

युवा, महिला, बेरोजगार समेत समाज के हर तबके के लिए नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने कई घोषणाएं की हैं और सरकार बनने के बाद भी वादे पूरे करने का आश्वासन दिया है। इस चुनावी रण में अब सबसे बड़ा दारोमदार उम्मीदवारों के चयन पर टिका है। इसी सिलसिले में पटना में भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई है।

इस बैठक में भाजपा की जीती हुई सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर गहन मंथन किया गया।

समिति ने मौजूदा विधायकों के कामकाज, जमीनी फीडबैक और विभिन्न सर्वे रिपोर्टों पर विस्तार से चर्चा की। सिटिंग विधायकों की परफॉर्मेंस और उनके फिर से चुनाव जीतने की संभावना के साथ-साथ उन सीटों पर आए नए आवेदनों और नए दावेदारों के नामों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार भाजपा चुनाव में अपने एक तिहाई से ज्यादा विधायकों के टिकट काट सकती है। बताया जा रहा है कि अभी तक की चर्चा में मौजूदा 80 में से कम से कम 21 सिटिंग विधायकों के टिकट कटने की संभावना है।

इन विधायकों के टिकट कटने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें जनता की नाराजगी, सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इंकम्बेंसी), बढ़ती उम्र, विवादास्पद बयानबाजी, पार्टी और सहयोगी दलों के नेताओं का विरोध, भ्रष्टाचार के आरोप, युवाओं को तरजीह देने की रणनीति, बदलते चुनावी और जातीय समीकरण, और कार्यकर्ताओं के साथ खराब व्यवहार जैसे मुद्दे शामिल हैं।

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जिन विधायकों के टिकट कटने की संभावना है, उनमें नंदकिशोर यादव (पटना साहिब, 72 साल), बिरेंद्र सिंह (वजीरगंज, 70+ साल), अरुण कुमार सिन्हा (कुम्हरार, 70+ साल), विनोद नारायण झा (बेनीपट्टी, यह सीट अदला-बदली में जदयू को जा सकती है), भागीरथी देवी (रामनगर), मिश्रीलाल यादव (अलीनगर), रश्मि वर्मा (नरकटियागंज), जयप्रकाश यादव (नरपतगंज, 70 साल), विजय खेमका (पूर्णिया), विनय बिहारी (लौरिया), विद्यासागर केसरी (फारबिसगंज), ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू (बाढ़), केदार प्रसाद गुप्ता (कुढ़नी), अमरेंद्र प्रताप सिंह (आरा, 74+ साल, आरके सिंह की नाराजगी), रामसूरत राय (औराई), राघवेंद्र प्रताप सिंह (बड़हरा, 70+ साल, आरके सिंह विरोध में), संजय कुमार सिंह (लालगंज), पवन यादव (कहलगांव), डॉ. सीएन गुप्ता (छपरा, 75+ साल), अशोक कुमार सिंह (पारू) और रामनारायण मंडल (बांका) के नाम शामिल हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार भाजपा टिकट वितरण में नए, युवा चेहरों और महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देगी। सिटिंग विधायकों के टिकट काटने और नए उम्मीदवारों के चयन पर अंतिम फैसला भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लिया जाएगा। इस बड़े बदलाव की उम्मीद से बिहार के चुनावी परिदृश्य में काफी रोमांच और अनिश्चितता बढ़ गई है।

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