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कैंसर के खिलाफ जंगः 147 देशों को अपोलो कैंसर ट्रीटमेन्ट पर भरोसा..बिलासपुर बना दक्षिण एशिया पहला सेन्टर…यहां पेंसिल बीम प्रोटॉन से होता है ईलाज

भारत में कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित करने की मांग.. यूनिफाई टू नोटिफाई अभियान

बिलासपुर— अपोलो अस्पताल में विश्व कैंसर दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया्। अपोलो प्रबंधन के अनुसार सेन्टर से कैंसर का ईलाज के बाद ठीक हुए सभी मरीजों का परीक्षण किया गया। विशेषज्ञों ने मरीजों के परिजनों का भी निशुल्क स्वास्थ्य जांच किया। कैंसर के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रबंधन ने फैसला किया है कि कैंसर मरीजों को फ्री सेकंड ओपिनियन और डॉक्टर की सलाह पर  एक निशुल्क जांच उपलब्ध कराया जा रहा है कोई भी व्यक्ति इसका लाभ 14 फरवरी से 19 फरवरी के बीच अपोलो सेन्टर पहुंचकर ले सकता है। अपनी समस्याओं को भी विशेषज्ञों के सामने खुलकर रख सकता है
 
 
पत्रकार वार्ता कर अपोलो प्रबंधन ने बताया कि अपोलो कैंसर सेंटर्स ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और राज्य ऑन्कोलॉजी एसोसिएशन के सहयोग से ‘यूनिफाई टू नोटिफाई’ नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। विश्व कैंसर दिवस शुरू किए गए अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार से निवेदन करना है कि  कैंसर को एक अधिसूचित रोग की केटेगरी में रखा जाए। ऐसा करने से देश में कैंसर की चुनौती से निपटने में आसानी होगी।
 
कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित करने का लाभ
 
कैंसर विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में हर साल 14 लाख से अधिक कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। 2025 तक यह संख्या 15.7 लाख तक पहुंचने की संभावना है। यदि कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित किया जाता है, तो इसके कई फायदे होंगे। वास्तविक समय में डेटा संग्रह और सटीक रिपोर्टिंग में आसानी होगी। रोग की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी। महामारी विज्ञान के आधार पर मानक के अनुसार प्रोटोकाल का निर्धारण होगा। मरीजों के इलाज में स्पष्टता होगी। इसके लिए जरूरी नियम निर्देश तैयार किया जाएगा। कैंसर उपचार की सटीकता, दक्षता और पहुंच में सुधार होगा। इसमें भारत की वैश्विक ऑन्कोलॉजी अनुसंधान और देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान भी होगा।
 
अधिसूचित रोग बनाने की सिफारिश
 
सवाल जवाब के दौरान अपोलो के डाक्टर ने बताया कि 2022 में, संसदीय स्थायी समिति ने राज्यसभा में रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट में कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित करने की सिफारिश की गई थी। लेकिन मामला अभी तक लटका है। उम्मीद है कि एक बार फिर प्रयास के बाद कैंसर महामारी को वर्गीकृत श्रेणी में शामिल कर लिया जाएगा।
 
 
डॉ. विनोद तिवारी ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पहल के साथ मजबूती से खड़ा है। कैंसर को अधिसूचित करने से हमारे कैंसर निगरानी तंत्र में मौजूद कमियों को दूर किया जा सकेगा। विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर समन्वय स्थापित होगा। अपोलो कैंसर सेंटर्स ने हमेशा व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
 
डॉ. अमित वर्मा ने कहा कि कैंसर को अधिसूचित रोग बनाने से राज्य स्तर पर लोगों मोें कैंसर के रुझानों  की गहरी समझ विकसित होगी। विभिन्न क्षेत्रों में कैंसर के प्रकार और जोखिम कारकों की पहचान करने में मदद मिलेगी। प्रभावी रोकथाम कार्यक्रम विकसित किए जा सकेंगे।”
 
सवाल जवाब के दौरान डाॅ  वर्मा ने बताया कि कैंसर के ईलाज में सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि ईलाज किस स्टेज में आरंभ हो रहा है। प्रथम और द्वितीय चरण के कैंसर में उपचार होने पर स्वस्थ होने की संभावना प्रबल होती है। 
 
डॉ. सार्थक मोहरिर ने बताया कि यह एक क्रांतिकारी कदम होगा। भारत में कैंसर देखभाल के तरीके को पूरी तरह से बदल देगा। यदि प्रत्येक कैंसर मामले का दस्तावेजीकरण किया जाए, तो इससे संसाधनों का अधिक कुशलता से आवंटन किया जा सकेगा । 
 
डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि अपोलो कैंसर सेंटर में हम कैंसर उपचार को हर व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए संकल्पित है। हम सरकार से पहल कर कैंसर को अधिसूचित रोग बनाने का आग्रह करते रहे है। दूसरी तरफ प्रत्येक नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास भी कर रहे है। पिछले दो वर्षों में अपोलो कैंसर सेंटर में ईलाज हुआ है या ईलाज जारी है, उनके परिजनों के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच,  मरीजों को फ्री सेकंड ओपिनियन और डॉक्टर की सलाह भी दे रहे हैं।
 
अधिसूचित रोग बनाने की वैश्विक और राष्ट्रीय स्थिति
 
वर्तमान में भारत के 15 राज्यों—हरियाणा, कर्नाटक, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, मिज़ोरम, आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, मणिपुर और राजस्थान—ने पहले ही कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित कर दिया है। हालांकि, इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है। दुनिया  में 12 से अधिक देशों—अमेरिका, इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, नॉर्डिक देश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, इसराइल, क्यूबा, प्यूर्टो रिको और गाम्बिया—ने कैंसर की अनिवार्य रिपोर्टिंग को मान्यता दी है।
 
 रोगियों के जीवन में आशा की किरण
 
आज कैंसर देखभाल का अर्थ है 360-डिग्री संपूर्ण देखभाल, जिसके लिए प्रतिबद्धता, विशेषज्ञता और कैंसर विशेषज्ञों की अदम्य भावना की  आवश्यकता होती है।अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर, ने 2013 में अपने स्थापना से अब तक लगभग   26000 कीमोथेरेपी, 5000 सर्जरी व 43000 रेडियेशन सिटिंग संपन्न कर चुका है। अपोलो कैंसर सेंटर भारत में फैले अपने नेटवर्क के माध्यम से 390 से अधिक ऑन्कोलॉजिस्ट्स की टीम के साथ अत्याधुनिक कैंसर उपचार प्रदान करता है।147 देशों के मरीज कैंसर उपचार के लिए अपोलो कैंसर सेंटर पर भरोसा करते हैं। दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व का पहला पेंसिल बीम प्रोटॉन थेरेपी सेंटर भी अपोलो कैंसर सेंटर में स्थित है।
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