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रामबोड़ कुसुम प्लान्ट में बड़ी लापरवाही…गायब हो गया लालची प्रबन्धन…धरमलाल ने कहा प्लान्ट की बड़ी चूक…अभी तक शुरू नहीं हुआ रेस्क्यू

गायब मजदूरों की तलाश..प्लान्ट हादसे के लिए प्रबंधन ही नहीं प्रशासन भी जिम्मेदार

बिलासपुर— मुंगेली जिला स्थित प्लान्ट का टनों बजनी सायलो गिरने से अब तक मिली जानकारी के अनुसार एक मजदूर की मौत तीन के गायब होने की खबर है। हादसा के बाद स्थानीय विधायक धरमलाल कौशिक मौके पर पहुंचे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि निश्चित रूप से प्लान्ट प्रबन्धन ने बड़ी लापरवाही की है। उन्होने कहा कि हादसे के कारण का पता लगया जाएगा। राज्यस्तरीय जांच के बाद सारी गड़बड़ी सामने आ जाएगी।  24 घंटे पहले हुए हादसे के बाद अभी तक रेस्क्यू अभियान की स्थिति ठीक नहीं है। गायब अब तक चार मजदूदों की कहीं अता पता नहीं है। कयास लगाया जा रहा है कि गायब मजदूर या कर्मचारी मलवा के नीचे दबे हो सकते हैं।

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राज्यस्तरीय जांच की मांग

       जानकारी देते चलें कि 24 घंटे पहले गुरूवार को रामबोड़ स्थित कुसुम शेल्टर प्लान्ट का सायलो गिरने की जानकारी मिली। घटना के दो घंटे बाद प्रदेश के मुखिया बिलासपुर चकरभाठा दौरे पर थे। जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने मुआवजा प्रकरण समेत हादसे की जानकारी लेने को कहा। खबर के बाद स्थानीय विधायक धरमलाल कौशिक रामबोड़ पहुंचे। उन्होे बातचीत के दौरान बताया कि निश्चित रूप से प्रबंधन की तरफ से बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। मामले में राज्यस्तरीय जांच का निर्देश देंगे।

भारी लापरवाही उजागर

धरमलाल कौशिक ने बताया कि रेस्क्यू जारी है..लेकिन सफलता नहीं मिली है। बाहर से बुलवाया गया क्रेन काम नहीं कर रहा है। जानकारी के अनुसार तीन मजदूरों के गायब होने की खबर है। एक मजदूर खतम हो गया है। पूरी कार्रवाई के बाद ही पता चलेगा कि कितने लोग हादसे की चपेट में आए हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा पूरे घटनाक्रम में लापरवाही हुई है। बड़े जांच की जरूरत है। खासकर टेक्निकल जांच हो। और सायलो के गिरने का कारण का पता लगाया जाएगा। सबसे बड़ी बात कि मजदूर के बिना फैक्ट्री चल नहीं सकती है। लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि मजदूरों की जिन्दगी सुरक्षित हो।

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 बताते चलें कि रामबोड़ स्थित कुसुम शेल्डर प्लान्ट के मालिकों का नाम सतीश अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, विशाल अग्रवाल समेत दो अन्य लोग है। अभी तक प्रबंधन की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। जिला प्रशासन युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चला रहा है। लेकिन अभियान को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। सायलो को अब कटर मशीन से काटकर हटाने का प्रयास किया जा रहा है। सायलों करीब पांच सौ टन से अधिक है।

प्रोडक्शन की हड़बडी

बताते चलें कि कुसुम शेल्डर प्लान्ट का काम करीब तीन साल पहले शुरू हुए। एक साल पहले अधूरे प्लान्ट से ही प्रोडक्शन शुरू कर दिया गया। इस दौरान प्रदूषण को लेकर आस पास के ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। करीब 20-25 दिन पहले ही सायलो इन्स्टाल किया गया। बताया जा रहा है कि सायलो का इन्स्टालेशन बहुत ही जल्दबाजी में किया गया। ना तो उसका ठीक रिस्टोरेशन की कार्रवाई की गयी और ना ही  ट्रायल ही किया गया। निर्धारित मापदण्डों को दरकिनार कर लालची प्रबंधन ने सीधा प्रोडक्शन शुरू कर दिया। इस तरह प्रबंधन ने सैकड़ों मजदूरों की जिन्दगी को दांव पर लगा दिया। 

भारी लापरवाही उजागर

प्लान्ट में काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि प्लान्ट में करीब करीब 375 से अधिक मजदूर और कर्मचारी शिफ्ट में काम करते हैं। हड़बड़ी में सायलो इन्स्टालेशन के बाद  प्रोडक्शन के दौरान स्ट्रक्चर हिलता था। मामले में शिकायत भी हुई। लेकिन प्रबंधन ने शिकायत को एक कान से सुना और दूसरे से बाहर निकाल दिया। घटना के समय कर्मचारियों का लंच था। कुल चार मजदूर चपेट में आ गए।

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तीन मजदूरों की तलाश

करीब 80 से 120 टन सायलो गिरने से चार मजदूर चपेट में आ गए। दगौरी निवासी मजदूर मनोज की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी। यद्यपि मजदूर को श्री राम केयल में भर्ती कराया गया। लेकिन ड़ॉक्टर की टीम ने मृत घोषित कर दिया। गायब तीन अन्य मजदूरों का नाम सुपरवाइजर जयंत साहू, अखिलेश और प्रकाश यादव है। बताया जा रहा है कि तीनो सायलो के नीचे दबे हो सकते हैं।

घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार

जिम्मेदार प्रशासन की खुली पोल..हादसे ने जिला प्रशासन की लापरवाही को बेनकाब कर दिया है। साथ ही पूंजीपति प्लान्ट मालिकों की पोल भी खोल दिया है। रसूखदार प्लान्ट मालिक के दबाव में जिला प्रशासन का सुरक्षा महकमा हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहा। और घटना में चार मजदूरो की जिन्दगी को दांव पर लगा दिया। बताते चलें कि उद्योग खोलते समय मजदूरों और कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यस्था का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन अधिकारी अपनी जेब की परवाह कर प्लान्ट के हाथों मजदूरों की जिन्दगी को दांव पर लगा देते हैं।

गायब हो गया प्रबंधन

               बताया जा रहा है कि प्लान्ट मालिक का सरकार और अधिकारियों में अच्छी धमक है। बेशक जांच को लेकर बड़ी बड़ी बाते कहीं जा रही हो…लेकिन अन्त में पूंजीपति का बचना निश्चित है। बहरहाल स्थानीय लोगों मे घटना को लेकर जमकर आक्रोश है। प्रबंधन ने भी अभी तक मुंह नहीं खोला है।

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