
CG NEWS:कर्मचारियों और अधिकारियों के मुद्दों पर ख़ामोशी के बीच मची है हलचल ..? “चिंता छोड़ो सुख से राज करो मोदी जी आएंगे निकाय और पंचायत चुनाव जिताएंगे…।”
CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) ।सूबे की सियासत में चल रहे चर्चित मुद्दे और विवाद चुनाव में अपना रोल अदा करते रहे है। प्रदेश में अब नगरीय निकाय चुनाव जल्द ही उफान मारने वाला है। ताजा घटनाक्रम में नए कर्मचारियों के लिहाज से इन दिनों बीएड और डीएड विवाद सुर्खियों में है..!वही शिक्षकों के बीच वीआईपी ट्रांसफर चर्चा में है। लेकिन मुद्दा इन से हट कर राज्य के करीब पांच लाख अधिकारी और कर्मचारियों से जुड़ा हुआ भी है। जो फिलहाल मेन स्ट्रीम में समाने नहीं आ रहा है पर कर्मचारियों के भीतर आक्रोश के रूप में दबा हुआ साफ दिखाई देता है..! इस वर्ग का आरोप है कि यह सरकार ने चुनाव से पहले मोदी की गारंटी में राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों से जो थोक में कई वादे किए थे, उन वादों को पूरा करने की कोई बड़ी किस्त अभी तक सामने नहीं आई है…! इसमें केंद्र के सामान महंगाई भत्ता, आवास भत्ता और बकाया एरियर्स का जीपीएस में समायोजन चुनावी जुमला साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। वही सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति का मुद्दा भी गायब है।
चुनाव आते है तो सत्ता के सिंहासन तलक जाने वाले हर एक एंगल पर नजर दौड़ाई जाती है।जिससे अनुमान निकलता है कि पलड़ा किसका भारी है। इस बात में दो मत नहीं कि इस सरकार ने मोदी की गारंटी में किसानों और महिलाओं से जुड़े जो वादे किए थे उस पर कुछ मामलों में खरी उतरती हुई लग तो रही है। लेकिन ये काम निकाय चुनाव के लिहाज से काफी होंगे।
प्रदेश में सरकार का सिस्टम और व्यवस्था का आधार राज्य के कर्मचारी / अधिकारी जो सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारते हैं उनके लिए यह सरकार मोदी की गारंटी लागू कब करेगी। इसको लेकर कोई टाइम लाइन से जुड़े आश्वासन बहुत कम सुनाई देते हैं।
अब तब होने वाले पंचायत और निकाय चुनाव में राज्य के कर्मचारी और अधिकारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इनके मत की कीमत इस चुनाव में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण होगी। ऐसे में अब धारणा बन रही है कि इनके मुद्दों और इनकी मांगों की फाइलों का तकिया बनाकर सियासत के जिम्मेदार लोग पंचायत और निकाय चुनाव में बड़ी जीत का सपना लिए सोते हुए दिखाई दे रहे है..। वही यह भी धारणा बन रही है कि सत्ता पक्ष का संगठन सत्ता के कामकाज पर मौन होकर.. ‘चिंता छोड़ो सुख से राज करो मोदी जी आएंगे निकाय और पंचायत चुनाव जिताएंगे.. इस मंत्र का जाप शुरू करता हुआ दिखाई दे रहा है।
चर्चाओं में अगर राज्य के अधिकारी / कर्मचारी से पूछो कि आपके मुद्दे और मांगे कहां पर है… तो इनका कहना है कि जो सरकार वादा करके केंद्र के सामान महंगाई भत्ता नहीं दे पा रही है तो समझ लीजिए मोदी की गारंटी में हमारी बाकी की मांगों को लेकर क्या होगा।
राज्य के अधिकारी और कर्मचारियों की ताकत का एहसास इस सरकार और इनके संगठन को पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन के आंदोलन के दौरान जरूर हुआ होगा। जब इनके आंदोलन के दौरान राज्य के अधिकांश विभागों में तालाबंदी की स्थिति आई थी।इसलिए भाजपा की जन घोषणा पत्र समिति ने फैडरेशन की मांगों सहित राज्य के कर्मचारियों की मांगों पर अपना विशेष फोकस भी किया था। लेकिन यह सरकार सत्ता पाते ही राज्य के कर्मचारियों की एकता, ताकत और उनके आक्रोश को भूल गई । अब नई टीम के इनके रणनीतिकार यह भी अंदाजा नहीं रखते कि नगरीय निकाय या शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक राज्य के अधिकारी कर्मचारी रहते हैं। जो निकाय चुनाव में गणित बना और बिगाड़ भी सकते है। इस सरकार के लिए कर्मचारियों से जुड़ा घोषणा पत्र बनाने वाले फिलहाल इस मुद्दे में कुछ कहने की हालत में नहीं है।इनके विधानसभा चुनाव से पूर्व दिए बयानों के वीडियो भी अब पुराने हो गए है।