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Chhattisgarh
सबकी समस्या सुनने वाले तहसीलदार.. जब खुद अपना ज्ञापन लेकर पहुंचे कलेक्टोरेट…550 से अधिक मजिस्ट्रेट ने बताया..हमें क्या चाहिए
जब फरियाद सुनने वाले..बन गये फरियादी
बिलासपुर—दोपहर बाद प्रदेश के करीब साढ़े पांच सौ से अधिक मजिस्ट्रेट कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव के नाम न्याय पाने के लिए ज्ञापन दिया। इसके पहले प्रदेश के एक एक कोने से पहुंचे तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने सरकन्डा स्थित खेल परिसर में बैठक किया। इस दौरान दो दिन पहले बस्तर जिले के करपावंड प्रभारी तहसीलदार के साथ सरकन्डा थाना प्रभारी की तरफ से की गयी कार्रवाई को आक्रोश जाहिर किया। मौके पर मौजूद सभी मजिस्ट्रेट एकजुट होकर शासन से घटनाक्रम में मजिस्ट्रेट की मांग को लेकर दबाव बनाने का फैसला किया। इसके बाद सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। और जांच टीम में एडीएम स्तर के कर्मचारी को शामिल कर मजिस्ट्रेट जांच की मांग की है।
क्या है मामला
जानकारी देते चलें कि दो दिन पहले देर रात्रि बस्तर जिला स्थित करपावंड प्रभारी तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा और उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया। दरअसल पुष्पराज मिश्रा बस्तर देर रात्रि ट्रेन से दो बजे बिलासपुर पहुंचे। उन्हें स्टेशन लेने उनके पिता और इंजीनियर भाई गया। तीनों मोटरसायकल से अशोक नगर स्थित की तरफ रवाना हुए। इसी दौरान पुलिस गश्त टीम ने डीएलएस कालेज के पास रोका। इसी दौरान पुलिस से विवाद हुआ। मामला थाने तक पहुंचा। पुष्पराज का आरोप है कि थानेदार तोपसिंह नवरंग और स्टाफ ने मारपीट और गाली गलौच किया है।
देर रात्रि पुष्पराज मिश्रा के इंजीनियर भाई ने कलेक्टर अवनीश शरण को थाने से ही फोन लगाकर बातचीत करवाया। बावजूद इसके थानेदार तोपसिंह नवरंग ने पुष्पराज को नहीं छोड़ा। बल्कि एफआईआर दर्ज कराया। आज कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले प्रदेश के करीब 550 से अधिक तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने घेराव किया। इसके पहले सरकन्डा स्थित खेल मैदान में बैठक भी किया। पदाधिकारियों ने कलेक्टर अवनीशरण को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन पत्र देकर मजिस्ट्रेट जांच की मांग की। टीम में एडीएम स्तर के अधिकारी को शामिल करने को कहा। पदाधिकारियों ने इस दौरान पत्रकारों से बातचीत कर अपनी बातों को भी रखा।
एडीएम स्तर के अधिकारी करें शामिल
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश चन्द्रवंशी ने बताया कि मामले में आईजी ने संज्ञान में लिया है। लेकिन अभी तक यह जानकारी नहीं है कि जांच टीम में किन्हें रखा गया है। हमारी मांग है कि मामले में मजिस्ट्रेट जांच करायी जाए। टीम में एडीएम स्तर के अधिकारी समेत आईएएस,पुलिस और मजिस्ट्रेट को शामिल किया जाए। एक सवाल पर चन्द्रवंशी ने कहा कि हम दबाव नहीं डाल रहे हैं। बल्कि मामले में दूध और पानी को अलग करना चाहते हैं। यदि पुलिस के पास तहसीलदार की तरफ से किए गए कोई दुर्व्यवहार का प्रमाण है तो वह जांच टीम के सामने आ जाएगा। ओमप्रकाश ने यह भी कहा कि हम पुलिस को फंसाने के लिए ज्ञापन देने नहीं आए है। बल्कि न्याय के लिए कलेक्टर से गुहार लगाने आए है।
व्यवस्था बिगाड़ने से इंकार
संगठन के प्रांताध्यक्ष नीलमणि दुबे ने इस बात से इंकार किया कि हमें कलेक्टर पर विश्वास नहीं है। बस हम यह चाहते हैं कि मामले में मजिस्ट्रेट जांच हो। उन्होने कहा कि लाइन अटैच कोई सजा नहीं होती है। हमें आईजी और कलेक्टर पर विश्वास है। कलेक्टर इसमें सीधे सीधे शामिल हैं। इसलिए न्याय मिलने में किसी प्रकार की आशंका नहीं है। बस हमारी मांग है कि टीम में एडीएम स्तर के अधिकारी को शामिल किया जाए। सवाल जवाब के दौरान दुबे ने दबाव डालने से लेकर व्यवस्था बिगा़ड़ने की बात से इंकार किया। उन्होने दुहराया कि हमने प्रशासन के खिलाफ तलवार नहीं निकाला है। ना ही आंख दिखाने आए है।
https://youtu.be/DhXKJnbAMro?si=xQJQFHGIvEfwTVxu
सात बिन्दु का मांग पत्र दिया
पदाधिकारियों ने बताया कि हमने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सात सूत्रीय मांग पत्र दिया है। इसमें घटना की मजिस्ट्रेट जांच समेत दोषियों पर कठोर कार्रवाई,एफआईआर को खत्म करने,प्रशासनिक अधिकारियों की गरिमा की रक्षा करने की मागं प्रमुख है। इसके अलावा पदाधिकारियों ने जानकारी दिया कि पुलिस विभाग की संवेदनशीलता के अलावा, प्रशासन से सार्वजनिक आश्वासन और प्रभावित अधिकारी की मनोबल बढ़ाने की बात को ज्ञापन पत्र में शामिल किया गया है।
मांग पूरी नहीं..होने पर अग्रिम कदम
नीलमणि दुबे ने बताया कि यदि हमारी मांगो को शासन प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया तो नई रणनीति पर विचार करेंगे। एक सप्ताह के इंतजार के बाद बैठक करेंगे। इसके बाद जो भी उचित फैसला होगा..उसी के अनुसार कदम भी उठाएंगे।