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प्रबंधन ने बनाया विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा…कांग्रेस नेता विजय का आरोप..अटल के सिद्धान्तों से किया खिलवाड़

प्रबंधन ने कुल उत्सव को बनाया भाजपा उत्सव

बिलासपुर—जिला कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय कुल उत्सव कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक और मेयर को नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जाहिर किया है। प्रेस नोट जारी कर विजय केशरवानी ने बताया कि विश्वविद्यालय को राजनीति से दूर रहना चाहिए। विश्वविद्याल योक  विद्या और संस्कार का पावन केन्द्र माना जाता है। बावजूद इसके प्रबंधन ने अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय को राजनीति का मैदान बना दिया है। चूंकि विश्वविद्यालय का नाम भारत रत्न अटल बिहारी के नाम पर है। इसलिए ज्यादा दुख होता है कि अटल ने कभी भी दलगत राजनीति नहीं की है। बावजूद इसके उनके नाम वाले विश्वविद्यालय को राजनीति का केन्द्र बना दिया गया है। जानबूझकर कोटा और मस्तूरी विधायक समेत मेयर को नहीं बुलाया गया।
 विजय केशरवानी ने कहा कि शायद अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय को प्रबंधन को नहीं पता कि इसके निर्माण में पूरे बिलासपुर का योगदान है। विश्वविद्यालय के गठन में भाजपा ही नहीं कांग्रेस का भी योगदान है। सब ने समेकित प्रयास और दलगत भावना से ऊपर विश्वविद्याल के लिए संघर्ष किया है। बावजूद इसके प्रबंधन ने कांग्रेस जनप्रतिनिधियों का अपमान किया है। सवाल उठता है कि क्या अटल विश्वविद्यालय भाजपा पोषित संस्थान हैं? इसलिए राज्यपाल के कार्यक्रम में कोटा और मस्तूरी कांग्रेस विधायक को नहीं बुलाया गया।
विजय केशरवानी ने सवाल किया कि अटल विश्वविद्यालय क्या लोकतंत्र और संविधान से ऊपर उठकर काम करने लगा हैं? यदि ऐसा नहीं है तो अटल विश्वविद्यालय के संस्थानिक कार्यक्रम में बिलासपुर जिले से लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित विधायक और महापौर को आमंत्रित क्यों नहीं किया गया। सवाल उठता है कि क्या अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का  “कुल उत्सव” कार्यक्रम “भाजपाई कुल का उत्सव” समारोह था?
विधायक अटल श्रीवास्तव, दिलीप लहरिया, और शहर के पहले नागरिक महापौर राम शरण यादव निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं। तीनों  बिलासपुर जिले से ही है। उन्हें सिर्फ इसलिए आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वह भाजपा के नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी से हैं! विजय ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लोकतंत्र की गहरी समझ थी। उनकी लोकप्रियता और व्यक्तित्व सभी दलों में रही है। बावजूद इसके अटल के विचारों के खिलाफ जाकर प्रबंधन ने भारती लोकतंत्र के सर्वमान्य, नेता भारत रत्न के जयंती पर उनके नाम के साथ खिलवाड़ किया है। प्रबंधन ने उनके विचारों का गला घोंटा है।
जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया जाना सीधे तौर पर जनादेश का अपमान है। लोकतांत्रिक परिपाटी के उल्लंघन का विरोध करने के लिए यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने मुख्य अतिथि के सामने विरोध प्रदर्शन किया। जनादेश के अनादर का पाप विश्वविद्यालय प्रशासन और भाजपा सरकार ने किया है। गिरफ्तार किए गए यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के अधिकारों का दमन किया है।  छत्तीसगढ़ में निरंकुश शासन की तानाशाही चरम पर है।
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