
निजी स्कूल संचालकों ने सीएम को लिखी चिट्ठी, प्ले स्कूल के लिए नियम बनाने की मांग
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रदेश भर में बिना मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों को लेकर आज सुनवाई हुई।
इससे ठीक एक दिन पहले छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन ने सीएम विष्णु देव साय को पत्र लिखकर पूर्व प्राथमिक शाला (नर्सरी शाला /प्री प्राइमरी, प्ले स्कूल) के लिए नियम बनाने का आग्रह किया है।
एसोसिएशन का कहना है कि विनियमन का कोई नियम अब तक नहीं बना है। ऐसे में प्रदेश में संचालित लगभग 3000 से ऊपर पूर्व प्राथमिक शालाओं (नर्सरी शाला /प्री प्राइमरी, प्ले स्कूल )के पास कोई विधिसम्मत कागजात नहीं है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने एक पत्र में कहा है कि मानव संसाधन मंत्रालय, केंद्र सरकार आज तारीख तक ऐसी नर्सरी शालाओं के विनिमयन सबंधी कोई भी नियम एवं मानक निर्धारित नहीं कर पाया है।
शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में भी फिलहाल 6 वर्ष की उम्र से ऊपर की कक्षाओं के विनियमन के नियम है। शिक्षा संहिता में भी नर्सरी शालाओं की मान्यता के संबंध में कोई भी दिशा निर्देश नहीं है।
एसोसिएशन ने जानकारी दी है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग एनसीपीसीआर) द्वारा 3 से 6 वर्ष के विद्यार्थियों के लिए संचालित प्ले स्कूल के दिशा निर्देश जारी किये गए हैं। (दिशा निर्देश पत्र के साथ संलग्न है) इन दिशानिर्देशों में नर्सरी शालाओं के विनिमयन सबंधी नियम तय किये गए हैं।
इसी तरह मध्य प्रदेश में भी पूर्व प्राथमिक शाला (नर्सरी शाला /प्री प्राइमरी, प्ले स्कूल) के विनियमन के नियम एवं मानक तय कर दिए गए हैं।
मध्य प्रदेश में प्ले स्कूल के विनियमन की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग को दी गई है। एसोसिएशन ने इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी नियम बनाने की मांग की है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जहां एक ओर शिक्षा विभाग द्वारा यह दलील दी गई कि प्रदेश में बिना मान्यता के ही नर्सरी स्कूल चलाये जा सकते हैं, वहीं याचिकाकर्ता द्वारा मई दस्तावेजों के यह जानकारी दी गई कि नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेने का प्रावधान 2013 से है।
इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई और कहा कि बिना मान्यता चला रहे स्कूल संचालकों पर कार्यवाही करें और वहां पढ़ रहे बच्चों को 5-5 लाख रूपये मुआवजा दिलवाएं।
निजी स्कूल एसोसिएशन की मानें तो प्रदेश में 3000 से भी अधिक नर्सरी स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं, जब्कि 2013 में जारी आदेश के मुताबिक इन्हे मान्यता लेकर स्कूल खोलना था। ऐसे में सरकार को इसके जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अफसरों के ऊपर कार्रवाई करनी चाहिए।