
डेढ़ साल से प्राचार्य पदोन्नति की प्रक्रिया – किंतु पोस्टिंग नही
वस्तुतः प्राचार्य पदोन्नति 2022 में आरंभ किया गया था लेकिन तब विभाग में गंभीरता नहीं थी, फरवरी 2024 से प्राचार्य पदोन्नति पर गंभीरता आई, जब छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने व्याख्याता एल बी संवर्ग को 5 वर्ष पूरे होने के आधार पर प्राचार्य पदोन्नति में शामिल करने का खंभा लगा दिया.
इससे पहले तक एल बी संवर्ग को 5 वर्ष पूरा नहीं होने का हवाला दिया गया, पांच कैलेंडर वर्ष पूरा नहीं होने का हवाला दिया गया.
किंतु फरवरी 2024 में सारे साक्ष्य और दस्तावेज देते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और संचालक लोकशिक्षण को यह बताया गया कि 5 मार्च 2019 के भर्ती और पदोन्नति नियम के तहत 5 वर्ष की सेवा हो या पांच वर्ष का शैक्षिक कैलेंडर हो.
दोनों की शर्तें व्याख्याता एल बी संवर्ग पूर्ण करते हैं, इसके बाद विभाग में यह मान लिया की एल बी संवर्ग को शामिल किए बिना पदोन्नति संभव नहीं है। शिक्षा व आजाक विभाग में 10 साल से 3290 प्राचार्य के पद रिक्त है, जो रिटायर होने के साथ बढ़ता ही जा रहा है।
तत्पश्चात विभाग द्वारा प्राचार्य पदोन्नति की कवायद में तेजी आई और व्याख्याता, व्याख्याता एल बी, प्रधान पाठक तीनों संवर्ग से 5 वर्ष का सी आर और चल अचल संपत्ति की जानकारी इकट्ठा कराया गया।
पूरे प्रदेश से प्राचार्य के रिक्त पद की गणना की गई और संकलित किया गया। तीनों संवर्गों की वरिष्ठता सूची में निरंतर दावा – आपत्ति लेते हुए जनवरी 2025 में पूर्णतः प्रकाशन कर दिया गया और 5 मार्च से 9 मार्च तक छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में डीपीसी हुई, तत्पश्चात पदोन्नति का इंतजार पूरे प्रदेश के शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग में किया जाने लगा।
उच्च न्यायालय में अवरोध – विरोध इस दौर में चलता रहा बहुत सारे ऐसे याचिका न्यायालय में लगे जो व्याख्याता नियमित, व्याख्याता एल बी व प्रधान पाठक वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के दायरे में नहीं आ पा रहे हैं उन्हें लगने लगा कि कुछ दिन रुक जाने से आगे जाकर उन्हें शामिल होने का मौका मिलेगा या विभाग केवल हमारा ही है संविलियन हुए एल बी संवर्ग का नही है।
किंतु इन सभी विषयों को अलग रखते हुए 30 अप्रैल को स्कूल शिक्षा विभाग ने 2813 ई/टी व्याख्याता, व्याख्याता एल बी व प्रधान पाठक को पदोन्नति देते हुए प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी कर दी, अगले ही दिन 1 मई को पोस्टिंग पर अवरोध आ गया, उच्च न्यायालय ने इस पर स्टे दे दिया।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि उनके 30 वर्ष की सेवा काल में यह प्राचार्य पदोन्नति का पहला अवसर है जब प्रक्रिया प्रारंभ होने के डेढ़ वर्ष बाद भी पोस्टिंग संभव नहीं हुआ, पहली बार इसमें शिक्षा कर्मी के रूप में नियुक्त किए गए व्याख्याता एल बी संवर्ग भी पदोन्नत हो रहे हैं।
समान्यतः न्यायालय में अवरोध – विरोध के 2 बिंदु है, प्रधान पाठक से सीनियरिटी मिले व कोटे के अंदर कोटा क्यो,?
5 मार्च 2019 के भर्ती और पदोन्नति नियम में साफ-साफ सभी संवर्गों के लिए पदोन्नति का प्रावधान बनाया गया है.
एल बी संवर्ग इस नियम के बनते समय ही विरोध करता रहा कि व्याख्याता संवर्ग में उनकी संख्या अधिक है किंतु पदोन्नति कोटे में उन्हें कम प्रतिशत दिया गया है इसको सुधार किया जावे किंतु सुधार नहीं हुआ, अभी व्याख्याता एल बी 16800 है जबकि नियमित व्याख्याता 9400 है।
न्यायालय में भी कई ऐसे शिक्षकों ने याचिका दायर किया है जो अपने लिए लाभ की बात नहीं करते हैं बल्कि पूरी प्रक्रिया को रोकते हुए अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं, यह 16 जुलाई के बहस में भी स्पष्ट हुआ जब शासकीय पक्ष ने याचिकाकर्ताओं के लिए 1 सीट छोड़ने, 27 सीट छोड़ते हुए पोस्टिंग करने प्रे किया।
पूरे प्रदेश में 75% शालाओं में प्राचार्य के पद रिक्त हैं इससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित है, प्राचार्य पदोन्नति करने शिक्षा विभाग ने लगातार कार्य किया है.
लेकिन सफलता क्यों नहीं मिल रही है इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है, वरिष्ठता में नही आने वाले याचिकाकर्ताओं को विभाग में पक्ष रखने निर्देशित करना चाहिए।
छतीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि न्यायालय में जितने भी याचिका हैं वे शिक्षा विभाग से संबंधित है, आदिम जाति कल्याण विभाग के 1335 प्राचार्य पदोन्नति हुए हैं, उनकी पोस्टिंग में कोई अवरोध नहीं है, इस विभाग में 12 वर्ष से 1500 प्राचार्य के पद रिक्त है, विभाग को चाहिए कि उन्हें तत्काल पोस्टिंग दिया जाए।
क्योंकि ई और टी संवर्ग की शाला अलग है, ई/टी संवर्ग की वरिष्ठता सूची अलग है, ई/टी संवर्ग के फीडर कैडर अलग है। ई संवर्ग के शिक्षक ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता है, ई/टी दोनों पक्ष को अलग करते हुए तत्काल टी संवर्ग प्राचार्य की पोस्टिंग किया जावे और ई संवर्ग में पोस्टिंग न्यायालय की बाधा के कारण नहीं हो पा रहा है उसको दूर किया जावे।
प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने यह भी कहा है कि फरवरी 2024 से जो प्रक्रिया का दौर प्राचार्य पदोन्नति के लिए चला, इस डेढ़ वर्ष में 356 शिक्षक संवर्ग जो पदोन्नति की पात्रता रखते थे वे रिटायर हो गए.
लगातार प्राचार्य पदोन्नति में अपनी बारी का इंतजार करते रहे,,न्यायालय में निर्णय नही हुआ और विभाग ने कोई व्यवस्था नहीं दी, इसका अफसोस उन्हें भी है और हमें भी है.