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बेशक संदेह मजबूत हो…लेकिन निर्णायक साक्ष्य नहीं बन सकता..कोर्ट में अपील खारिज…हत्या के आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट

हत्या के संदेहियों को हाईकोर्ट से मिली राहत

बिलासपुर—हाईकोर्ट ने दोहरे हत्याकाण्ड की सुनवाई के बाद शासन की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो..साक्ष्य का स्थान नहीं ले सकता है। दोहरे हत्याकाण्ड के दोषियों को आरोप मुक्त कर दिया है। मामला् जयराम नगर का है। 
               हाईकोर्ट ने दोहरे हत्याकाण्ड में निचली अदालत से दोषमुक्त किए गए आरोपियों के फैसले पर मुहर लगाया है। कोर्ट ने खिलाफ मेें पेश अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संदेह कितना भी मजबूत हो..लेकिन साक्ष्य का स्थान नहीं ले सकता है। फैेसला करते समय कोर्ट ने यह भी बताया कि गवाहों के बयान में विरोधाभास है।  मामले में शासन की तरफ से पीएम रिपोर्ट भी पेश नहीं किया गया है।
घटना 23 अप्रैल 2009 जयरामनगर में आयोजित शादी समारोह से जुड़ा है। मोहन लाल बंदे, संजय बंदे विवाह समारोह में शामिल होने जयराम नगर गए। समारोह के दौारन मोहनलाल बंदे मोबाइल से लड़की और महिलाओं का फोटोशूट करने लगा। और मौके पर झगड़ा हो गया। मारपीट में मोहनलाल ने रात 3.30 बजे मस्तूरी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया।
           घायलों को मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। डॉक्टर ने जांच पड़ताल के बाद ज्यादा चोट पहुंचने के कारण मोहनलाल और संजय बंदे को सिम्स रिफर किया। सामान्य चोट होने के कारण मनीष का इलाज कर छोड़ दिया गया। इसी दौरान ईलाज के समय संजय बंदे की सिम्स में मौत हो गई। मोहनलाल को अपोलो में भर्ती कराया। अन्ततः उसने भी दम तोड़ दिया।
 पुलिस ने दर्ज कायम कर रामकुमार बंदे, राजेन्द्र, शैलेश समेत 8 लोगो को गिरफ्तार किया। दोनों के खिलाफ बलवा और हत्या के आरोप में न्यायालय में चालान पेश किया। ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए छोड़ दिया। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ शासन ने हाई कोर्ट में वाद दायर किया। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई। कोरट ने रिकार्ड का बारीकी से अवलोकन कर फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने कहा कि घटना के समय दोनो मृतक मौके पर मौजूद थे। दोनो ने अध्यधिक शराब का सेवन किया था। सुनवाई के दौरान पाया गया कि मृतक-मोहन के पेट में हमेश दर्द रहता था..इलाज भी चल रहा था। इसी दौरान उसकी मौत हुई। यह भी जानकारी हुई कि ना तो पेट में और नाही उसके पेट में चोट का प्रमाण मिला है। शासन की तरफ से मृतक-संजय की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पेश नहीं किया गया है।
 गवाहों ने बयान और एमएलसी रिपोर्ट  के अनुसार मृतक के शरीर पर चोट पाया गया है। संजय की मौत ऊँचाई से गिरने से हुई है। पेश किये गए दोनो सबूत एक दूसरे के बयान से समानता नहीं रखते हैं। यह भी सिद्ध हुआ है कि घटना के दिन -मोहन लाल  बंदे शराब के नशे में था। लड़कियों की तस्वीरें खींच रहा था। शादी समारोह में मौजूद महिलाओं से उसका झगड़ा भी हुआ।
कोर्ट ने दुहराया कि अभियोजन की तरफ से पेश रिपोर्ट पर गौर करें तो बताना जरूरी होगा कि संदेह चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो, निर्णायक साक्ष्य का स्थान नहीं ले सकता है। ट्रायल कोर्ट में विस्तृत और सार्थक चर्चा हो चुकी है। कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि प्रकरण में बहुत ही विरोधाभास है। और जांच पड़ताल में चूक भी हुई है। गवाहों ने बढ़ाचढ़ाकर बयान दिया है। निश्चित रूप से अत्यधिक संदेहास्पद स्थिति को पैदा करता है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष किसी भी आरोप को साबित करने में पूरी तरह असफल है। इसलिए अपील को खारिज किया जाता है।
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Bhaskar Mishra

पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 16 साल का अनुभव।विभिन्न माध्यमों से पत्रकारिता के क्षेत्र मे काम करने का अवसर मिला।यह प्रयोग अब भी जारी है।वर्तमान में CGWALL में संपादकीय कार्य कर रहा… More »
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