Chhattisgarh
मच्छरदानी भी बंट रही…मलेरिया के रोगी भी बढ़ रहे…कारण भी पता..6 महीने क्या कर रहे थे…अब कर रहे कूद-फांद
डायरिया, मलेरिया मतलब...स्वच्छता और साफ पानी अभियान के खिलाफ गंदा मजाक
बिलासपुर—पिछले 6 महीने से कलेक्टर अवनशी शरण ने क्षेत्रों का लगातार दौरा किया। अस्पताल और सामुदायिक केन्द्रों का भ्रमण कर लगातार चेतावनी भी दी। मानसून जन्य बीमारियों के खिलाफ समय से पहले ही लगातार अभियान चलाने को कहा। बावजूद इसके बेलगाम अधिकारियों ने नहीं सुना। निर्देशों को एक कान से सुना तो जरूर लेकिन दूसरे से शायद निकाल दिया। अब जब मलेरिया और डायरिया ने रंग दिखाना शुरू किया तो..अधिकारियों ने कूंद फांद शुरू कर दिया। काश यह कूद फांद पहले कर लिये होते। तो आज जिले में क्रानिक स्थित पैदा नहीं होती। मुख्यमंत्री को भी निर्देश देने का मौका नहीं मिलता।
कलेक्टर के फटकार और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद…अब अधिकारी कहीं चौपाल लगा रहे हैं तो कहीं मच्छरदानी बांट रहे हैं। सवाल उठता है कि अधिकारी पिछले 6 महीने से कर क्या रहे थे। अधिकारी बताएं या ना बताएं लेकिन मलेरिया और डायरिया रोगियों ने जरूर बता दिया है कि उन्हें पीने का साफ पानी मिल रहा है। और स्वच्छता अभियान ढकोसला से ज्यादा कुछ नहीं है। रही बात स्वास्थ्य विभाग की तो उसे टीए, डीए बनाने और कागज को नीला काला करने से हमेशा की तरह फुर्सत नहीं है।
पिछले कुछ दिनों से जिले में मलेरिया और डायरिया मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। गांव से लेकर शहर तक अस्पताल में मरीजों की संख्या प्रयास के बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। डाक्टरों ने मरीजों की तिमारदारी में अपने आप को समर्पित कर दिया है। कलेक्टर भी लगातार मैदानी क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। सिम्स,जिला अस्पताल से लेकर छोटे बड़े स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचकर लगातार दिशा निर्देश दे रहे है। मरीजों से संवाद भी कर रहे हैं। परिजनों के बीच पहुंचकर हौसला अफजाई करने के अलावा मेडिकल टीम को फटकार भी रहे हैं।
स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की टीम गांव गांव पहुंचकर जनचौपाल लगा रही है। चौपाल में अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मलेरिया और डायरिया रोग से बचने का उपाय बताया जा रहा है। साथ ही डायरिया और मलेरिया पैदा होने की जानकारी भी दे रहे हैं। सभी को साफ सफाई का पाठ पढ़ाने के अलावा गंदे पानी के उपयोग से बचने का मंत्र दे रहे हैं। दवाईयों और मच्छरदानी का वितरण भी किया जा रहा है। साथ ही झोलछाप डाक्टरों से बचने की सलाह दी जा रही है। राजस्व और मेडिकल की टीम लगातार कार्रवाई कर झोलाछाप क्लिनिक पर धावा बोलकर संचालकों को धर पकड़ भी कर रही है।
बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर पिछले 6 महीने से मेडिकल और प्रशासनिक अधिकारी कर क्या रहे थे। जहां तक सभी को याद है कि कलेक्टर अवनीश शरण पिछले 6 महीने से लगातार गांव गलियों का दौरा कर रहे हैं।अस्पताल और सामुदायिक स्वासंथ्य केन्द्र का निरीक्षण भी कर रहे है। कमियों को दूर करने की नसीहत भी दिए हैं। बावजूद इसके परिणाम ढाक के तीन पात सामने आने लगे हैं। निश्चित रूप से नाफरमानी के दोषियों पर कार्रवाई की जरूरत है।
सबको मालूम है कि डायरिया का कारण गंदा पानी है। समझा जा सकता है कि आज भी जिले की जनता को साफ पानी नसीब नहीं है। जबकि शासन प्रशासन लगातार दावा करता आ रहा है कि गांव गांव तक साफ पानी के लिए कई प्रकार के उपाय किए गए हैं। यदि उपाय किये गए थे तो बढ़ते डाय़रिया मरीजों की संख्या को क्या कहें।
पिछले आठ साल से देश, प्रदेश समेत बिलासपुर में भी प्रधानमंत्री सफाई अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन गंदगी है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। अधिकारियो की तरह मच्छर भी जिद पर अड़े हैं। एक तरफ अधिकारी सफाई के नाम पर पुरस्कार पर पुरस्कार समेट रहे हैं। दूसरी तरफ मच्छर मलेरिया मरीजों की संख्या बढ़ाने में मस्त हैं। मतलब गांव से शहर तक गंदगी का बोलबाला है। जबकि 6 महीने पहले ही मेडिकल विभाग ने दावा किया था कि मानसून से पहले बारिश जन्य बीमारियो को लेकर विभाग सजग है। कैम्प लगाकर लगा्तार मलेरिया और डाय़रिया के खिलाफ जानजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। विभाग ने दावा किया कि गांव गांव मलेरिया दवाई का वितरण किया गया है। बावजूद इसके सभी प्रयास ढाक के तीन पात साबित होते नजर आ रहे हैं। मतलब ना तो प्रयास किया गया और ना ही घर-घर साफ पानी ही पहुंचाया गया है। कम से कम मलेरिया और डायरिया की बढ़ती संख्या तो यही साबित हो रहा है।
फिलहाल अब युद्धस्तर पर मच्छरदानी का वितरण किया जा रहा है। दवाइयां भी बांटी जा रही है। गंदे पानी के उपयोग से बचने के की नसीहत दी जा रही है। अच्छा होगा कि कलेक्टर महोदय के प्रयासों पर पानी फेरने वाले अधिकारियों पर सख्त एक्शन लिया जाए। ताकी सिस्टम सिस्टम की तरह काम करे।