Madhya Pradesh News

नशामुक्ति की दिशा में मोहन सरकार ने बढ़ाया प्रभावी कदम

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती पर मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने खरगोन जिले में अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर में कैबिनेट कर ऐसा ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसे पूरे प्रदेश में सराहा गया। निर्णय था, प्रदेश के 19 धार्मिक नगरों एवं ग्रामपंचायतों में शराबबंदी का।

Join Our WhatsApp News Group यहाँ क्लिक करे 

इसी दिन मोहन सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि पुण्य सलिला माँ नर्मदा के तट के दोनों किनारे 5 किलोमीटर की परिधि में शराबबंदी पूर्ववत लागू रहेगी। यह दिन इस लिये भी मध्यप्रदेश के इतिहास में स्मरणीय बनेगा, क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने महिलाओं के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के उद्देश्य से “देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन” को भी स्वीकृत कर लागू किये जाने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नशामुक्ति की दिशा में उठाया गया। यह कदम जन-आस्था और धार्मिक दृष्टि से श्रृद्धा के 19 नगरीय क्षेत्र एवं ग्राम पंचायतों में प्रभावशाली होगा। मंत्रि-परिषद ने जिन धार्मिक स्थान पर शराब बंदी का निर्णय लिया उसमें एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतें हैं।

जिन प्रमुख पवित्र नगरों में शराबबंदी लागू की जा रही है उनमें बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन, प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक, महेश्वर, ओरछा रामराजा मंदिर क्षेत्र, ओंकारेश्वर, मंडला में सतधारा क्षेत्र, मुलताई में ताप्ती उद्गम क्षेत्र, पीतांबरा देवीपीठ दतिया, जबलपुर भेड़ाघाट क्षेत्र, चित्रकूट, मैहर, सलकनपुर, सांची, मंडलेश्वर, वान्द्रावान, खजुराहो, नलखेड़ा, पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र मंदसौर, बरमान घाट और पन्ना शामिल हैं।

नये वित्तीय वर्ष से इन सभी क्षेत्र में शराब की दुकानें नहीं रहेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के लिये “विकास के साथ विरासत” का मंत्र दिया है। हमारी सरकार 13 दिसम्बर 2023 को कार्यभार संभालने के पहले दिन से ही इस सूत्र पर काम कर रही है। विरासत की रक्षा के लिये जितना महत्वपूर्ण भवनों, ऐतिहासिक स्थलों और साँस्कृतिक प्रसंगों को सहेजना होता है उतना ही महत्वपूर्ण समाज जीवन की विशिष्टताओं को सहेजना है जिससे आने वाली पीढ़ियाँ संस्कारवान बन सकें

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ केवल धार्मिक क्षेत्र ही नहीं होते, उन्हें समाज निर्माण का केन्द्र माना गया है। वहाँ का वातावरण सात्विक होना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आगामी उज्जैन सिहंस्थ के दृष्टिगत हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार विकास कार्यों के साथ विरासत सहेजने की दिशा में काम कर रही है। इस निर्णय से पहले कृष्ण पाथेय निर्माण करने, राम पथ गमन के विकास का काम तेज करने, वर्ष 2028 के सिंहस्थ की तैयारी आरंभ करने, खुले में माँस बिक्री प्रतिबंधित करने और ध्वनि विस्तारकों को सीमित करने जैसे निर्णय लिये गये हैं। इसके साथ पाठ्यक्रम में महापुरुषों का जीवन चरित्र जोड़ने की पहल की गई है, जिससे, नई पीढ़ी को संकल्पशीलता की प्रेरणा मिले। मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय भारतीय सांस्कृतिक विरासत की उस जीवन शैली की ओर है जिसमें शाकाहार, सात्विकता और नशामुक्त जीवन शैली को आदर्श माना गया है। मांस-मदिरा मुक्त जीवन शैली को देवों और मनुष्यता का प्रतीक माना जाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार आस्था केन्द्रों के माध्यम से ऐसा वातावरण बनाना चाहती है, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। प्रत्येक स्थान की अपनी मौलिक ऊर्जा होती है। प्रत्येक स्थान अथवा क्षेत्र की अपनी विशिष्ट ऊर्जा होती है। इसे हम धरती के विभिन्न भागों के निवासियों की जीवन शैली और मानसिकता से समझ सकते हैं। भारतीय मनीषियों ने ऐसे स्थानों में तीर्थ क्षेत्रों का चयन किया जो सकारात्मक ऊर्जा का केन्द्र हैं, जिससे व्यक्ति वहाँ जाकर क्षोभ से मुक्त होकर उत्साह के साथ लौटे जिससे उसके कर्म कर्तव्य भी आदर्श हों।

CG NEWS:सियासत तेजः कौन बनाएगा बिलासपुर ग्रामीण और शहर जिला कांग्रेस में अपना अध्यक्ष.... ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
CG News | Chhattisgarh News Latest Hindi| Breaking News| India News
close