कही-सुनी : निगम -पंचायत चुनाव को लेकर सरकार असमंजस में
रवि भोई।बताते हैं निगम-पंचायत चुनाव जनवरी में कराने या फिर आगे बढ़ाने को राज्य की विष्णुदेव साय सरकार अनिर्णय की स्थिति में है। निगम-पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा में संगठन और सरकार स्तर पर लगातार मंथन चल रहा है, लेकिन फैसला नहीं हो पा रहा है। साय सरकार महापौर और नगर पालिका अध्यक्षों का प्रत्यक्ष चुनाव का फैसला लिया है। इसके अलावा राज्य में पहली बार स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव भी साथ-साथ कराने का प्रस्ताव है। साय सरकार इसके लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयक पारित करवा लिया है। निगमों में वार्ड वार आरक्षण भी चल रहा है, पर चुनाव की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जनवरी के पहले हफ्ते में ही कई निगमों में महापौर के कार्यकाल खत्म होने जा रहे हैं। भी राज्य के सभी महापौर कांग्रेस के हैं। साफ़ है कि सरकार कुछ दिन प्रशासक बैठा कर अपने अनुकूल माहौल बनाएगी। चर्चा है कि यही वजह है कि निगम और पंचायतों के चुनाव की तारीख को सरकार कुछ आगे खींचना चाहती है।
भाजपा में फूफा भी, फूफी भी
आम धारणा है कि दूल्हे की बारात में फूफा के तेवर कुछ अलग ही होते हैं। बताते हैं इन दिनों भाजपा के कुछ नेता फूफा के रोल में हैं, तो कुछ महिला नेता बुआ (फूफी) की भूमिका में।चर्चा है कि भाजपा के कुछ फूफा और फूफी आजकल सदन के बाहर और भीतर अपनी सरकार को घेरने में लगे है, तो कुछ मुंह फुलाए हुए हैं। खबर है कि मंत्री न बन पाने के कारण फूफा और फूफी नाराज चल रहे हैं। चर्चा है कि पद और सत्कार देने के बाद भी भाजपा की कुछ महिला नेता नाराज चल रही हैं। अब भाजपा संगठन और सरकार राज्य में खाली दो मंत्री पद को भर नहीं पा रही है। आगे -पीछे हो रही है। हर सरकार में फूफा-फूफी की भूमिका निभाने वाले नेता रहते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। राज्य में जब डॉ रमन सिंह की सरकार थी, तब भी भाजपा के कई नेता फूफा और फूफी की भूमिका में थे। कुछ मुख्यमंत्री की दौड़ में पिछड़ जाने के कारण फूफा-फूफी की भूमिका में आ गए थे तो कुछ अपने मन माफिक काम नहीं करा पाने के कारण फुफकार मारने लगे थे। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपने जमाने के फूफा और फुफियों को किस तरह मनाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
अमिताभ जैन बनेंगे मुख्य सूचना आयुक्त ?
चर्चा है कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन मुख्य सूचना आयुक्त बन सकते हैं। मुख्य सचिव के रूप में अमिताभ जैन का कार्यकाल जून 2025 तक है। 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन 30 नवंबर 2020 से छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव हैं। कहा जा रहा है कि जनवरी -फ़रवरी में अमित अग्रवाल को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी देकर अमिताभ जैन को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जा सकता है। अमिताभ जैन मुख्य सूचना आयुक्त बनते हैं तो उन्हें तीन साल और सेवा का मौका मिल जाएगा। पहले मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल का था और हाईकोर्ट के जज के सामान वेतन और भत्ते का प्रावधान था। अब कार्यकाल तीन साल और पद को मुख्य सचिव के स्तर का कर दिया गया है। एम के राउत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त का पद रिक्त है। बताते हैं कि अमिताभ जैन ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को आवेदन भेज दिया है। मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 16 दिसंबर तक आवेदन करना था। राज्य के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी में अजय सिंह अभी राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
आखिरकार सुबोध सिंह बने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव
जब से राज्य में भाजपा की सरकार बनी, तब से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के तौर पर 1997 बैच के आईएएस सुबोध सिंह का नाम चर्चा में था। आखिरकार 20 दिसंबर को उन्हें जिम्मेदारी दे दी गई। भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर लौटने के एक दिन बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव बना दिया गया। बताते हैं सुबोध सिंह को छत्तीसगढ़ भेजने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 16 -17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की। इसके बाद भारत सरकार ने सुबोध सिंह की वापसी की प्रक्रिया पूरी की। डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में सुबोध सिंह मुख्यमंत्री के सचिव रह चुके हैं। माना जा रहा है कि सुबोध सिंह के कार्यभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में बदलाव नजर आएगा। सुबोध सिंह राज्य के कई जिलों में कलेक्टर रहने के साथ भारत सरकार में करीब पांच साल पदस्थ रहे। समझा जा रहा है कि सुबोध सिंह केंद्र और राज्य सरकार के बीच सेतु का भी काम करेंगे।
1992 बैच के आईपीएस बन सकते हैं डीजीपी
जी पी सिंह की बहाली के बाद कहा जाने लगा है कि छत्तीसगढ़ का अगला डीजीपी 1992 बैच का कोई आईपीएस अफसर बनेगा। 1992 बैच के आईपीएस अफसरों में अरुणदेव गौतम और पवनदेव हैं। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार ने नए डीजीपी के लिए भारत सरकार को भेजे पैनल में अरुणदेव गौतम और पवनदेव के अलावा 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता का नाम भेजा है। तीनों डीजी हैं। जी पी सिंह 1994 बैच के हैं। सेवा से बर्खास्तगी के चलते उन्हें पिछले दिनों एडीजी के रूप में ही ज्वाइनिंग देनी पड़ी, लेकिन 1994 बैच के आईपीएस की वरिष्ठता सूची में उनका नाम हिमांशु गुप्ता से ऊपर है। इसके अलावा पांच राज्यों पंजाब, नागालैंड, जम्मू एंड कश्मीर, तेलंगाना और मेघालय में अभी 1992 बैच के आईपीएस डीजीपी हैं। इस कारण माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ का डीजीपी भी 1992 बैच का होगा। वैसे हल्ला है कि अशोक जुनेजा को छह माह का एक्सटेंशन और मिल सकता है। अब देखते हैं गणित क्या बैठता है।
क्या जोगी कांग्रेस का विलय हो पाएगा कांग्रेस में ?
जोगी कांग्रेस के नेता अमित जोगी और रेणु जोगी ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखा है। स्व. अजित जोगी ने कांग्रेस से ही टूटकर जोगी कांग्रेस बनाया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस ने पांच सीटें जीत कर अच्छी उपस्थिति दर्ज की थी, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली। वर्तमान में जोगी कांग्रेस का जनाधार नहीं के बराबर हो गया है। जोगी कांग्रेस की नींव रखने वाले अधिकांश नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। अब जोगी कांग्रेस में रेणु जोगी और अमित जोगी ही दो जाने-पहचाने चेहरे रह गए हैं, ऐसे में कांग्रेस की मर्जी पर फैसला निर्भर करेगा, फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव अमित जोगी के कांग्रेस वापसी का विरोध करते रहे हैं। जोगी परिवार की सीधी पहुंच सोनिया गांधी से रही है, ऐसे में जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय का फैसला प्रदेश इकाई लेगी, इसकी उम्मीद कम है। कहा जा रहा है कि जोगी कांग्रेस के विलय का फैसला तो गांधी परिवार की इच्छा पर निर्भर करेगा। इसके लिए रेणु जोगी और अमित को सोनिया या राहुल गांधी से ही मिलना पड़ेगा। मां -बेटे ने विलय के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर जरूर राज्य की राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है।
मंत्रियों को नसीहत मिली
कहते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 16-17 दिसंबर को अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान एक होटल में कुछ मंत्रियों को तलब किया था। चर्चा है कि एक मंत्री को नसीहत भी दी गई। बताते हैं कि एक मंत्री के बारे में आरएसएस और संगठन के लोगों ने हाईकमान से शिकायत की थी। अब देखते हैं अमित शाह की नसीहत के बाद मंत्रियों के काम में क्या सुधार आता है। कुछ महीने पहले राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने भी कुछ मंत्रियों को तलब किया था और कामकाज को लेकर नसीहत दी थी।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)