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निगम ने किया फीस दोगुना…छात्रों ने लगाई कलेक्टर से गुहार…छात्र समर्थन में कूदे पूर्व विधायक…कहा..बच्चों से हो रहा अन्याय
प्रतियोगी बच्चों ने किया शुल्क बृद्धि का विरोध
बिलासपुर—निगम प्रशासन ने जिले के सबसे बड़े लाइब्रेरी का शुल्क बढ़ा दिया है। शु्ल्क बृद्धि के खिलाफ प्रतियोगी छात्र छात्राओं ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध जाहिर किया है। छात्रों ने बताया कि पंडित शिव दुलारे मिश्र सेंट्रल लाइब्रेरी की फ़ीस दो गुना होने से हमारी आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। क्योंकि सभी के लिए बढाए गए शुल्क का भुगतान संभव नहीं है। हमारी जिला प्रशासन से मांग है कि शुल्क और लाइब्रेरी खुलने का समय पहले की तरह ही रखा जाए। दूसरी तरफ छात्रों के समर्थन में पूर्व विधायक ने भी प्रेस नोट जारी कर छात्रों का साथ दिया है।
सोमवार को प्रतियोगी छात्र छात्राओं ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जिला प्रशासन से सेन्ट्रल लाइब्रेरी का शुल्क बढ़ाए जाने का विरोध किया है। छात्र छात्राओं ने कलेक्टर कार्यालय के सामने जमीन पर बैठकर अनशन किया। छात्र छात्राओं ने बताया कि आर्थिक रूप से ज्यादातर कमजोर छात्र छात्राएं सरकन्डा स्थित पंडित शिव दुलारे मिश्रा सेन्ट्रल लाइब्रेरी में अध्ययन करते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं का नोट तैयार करते हैं। लाइब्रेरी में पढ़ने वाले बच्चे दूसरे जिलों से भी है। अभिभावक पैसा भेजते हैं..सभी प्रतियोगी प्रति महीने 500 रूपये लाइब्रेरी शुल्क का भुगतान करते हैं।
छात्र छात्राओं ने बताया कि प्रशासन ने एक अगस्त से ग्रन्थालय शुल्क बढ़ाकर पांच सौ रूपयों की जगह 1100 रूपया कर दिया है। इसके अलावा लाइब्रेरी में पढ़ने का समय घटाकर सुबह 8 से 11 की जगह साढ़े 9 कर दिया है। इसके चलते ना केवल आर्थिक बल्कि मानसिक परेशानी बढ़ गयी है। इसलिए शुल्क को पहले की तरह 500 रूपया करते हुए समय 8 से 11 किया जाना बहुत जरूरी है। यदि इस पर विचार नहीं किया गया तो सभी पीड़ितों को भारी परेशानी से गुजरने को मजबूर होना पड़ेगा। इसका असर अभिभावकों पर भी पड़ना निश्चित है।
पूर्व विधायक ने भी किया समर्थन
छात्र छात्राओं के प्रदर्शन को पूर्व विधायक ने समर्थन किया है। शैलेष पाण्डेय ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं। बिलासपुर प्रतियोगी परीक्षा तैयारियों का केन्द्र है। अन्य जिलो और राज्यों से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। महंगी किताबौ को खरीदना सभी के लिए संभव नहीं है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे सेन्ट्रल लाइब्रेरी पहुंचकर तैयारी करते हैं। बच्चों के भविष्य को देखते हुए 1100 रूपया शुल्क उचित नहीं है। बेहतर होगा कि जिला प्रशासन 500 रूपये शुल्क यथावत करे। निगम प्रशासन कर्मचारियों की भर्ती कर लाइब्रेरी को मेन्टेन करे। लाइब्रेरी के दो भवनों के बन्द तालों को भी खोले।
शैलेष ने कहा कि वर्तमान सरकार बच्चों के भविष्य को लेकर बिलकुल चिंतित नहीं है। चाहे स्वामी आत्मानंद स्कूल हो या सेंट्रल लाइब्रेरी,सभी पर कुदृष्टि है। केन्द्रीय ग्रन्थालय में युवा पढ़ाई करते है। इस बात को ध्यान में रखते हुए छात्रहित में फैसला करे।