CG News।जगदलपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सख्ती के बाद, मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई शुरू हो गई है।
बस्तर जिले में, बच्चों को गुणवत्ताहीन और कम भोजन परोसने के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। कलेक्टर हरीश एस के निर्देश पर, शिक्षा विभाग ने सात शिक्षक-शिक्षिकाओं की एक-एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी किया है।
यह मामला बकावंड विकासखंड के अंतर्गत माध्यमिक शाला उलनार का है। निरीक्षण के दौरान, अधिकारियों ने पाया कि बच्चों को परोसी गई आलू-बड़ी की सब्जी में न तो तेल था और न ही मसाले।
यहां तक कि कई महीनों से प्याज का उपयोग भी नहीं किया गया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि बच्चों को 6 सितंबर के बाद से मिड-डे मील मिला ही नहीं था।
बच्चों ने अधिकारियों को बताया कि उन्हें कभी भी भरपेट भोजन नहीं मिला और न ही उन्होंने कभी पापड़ या अचार खाया है।
मिली जानकारी अनुसार राज्य सरकार ने यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि भोजन परोसने से पहले किसी शिक्षक को उसका परीक्षण करना होगा और इसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करनी होगी, लेकिन इस विद्यालय में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा था।
मिली जानकारी अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए, बस्तर के संयुक्त संचालक शिक्षा ने बीईओ बकावंड देसनाथ पांडेय, बीआरसी सोनसिंह बघेल, संकुल समन्वयक पवन कुमार समरथ, प्रधान पाठक सुनीता कश्यप, शिक्षिका अलका कुरुवंशी, पदमा कश्यप और विमला झलके के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।
